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मंगलवार, 19 मार्च 2024

व्यक्ति निर्माण ही है शिक्षा का मुख्य उद्देश्य: राज्यपाल



मधेपुरा/बिहार: बीएन मंडल विवि में अधिषद्  का 24 वां वार्षिक अधिवेशन शांति पूर्वक संपन्न हो गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। हमारे नालंदा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए पूरी दुनिया के विद्यार्थी आते थे। लेकिन आज हमारे विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए राज्य से बाहर जाना पर रहा है। वे इस स्थिति को बदलना चाहते हैं। उनका सपना है कि भारत के अन्य राज्यों तथा विदेशों के विद्यार्थी पढ़ने के लिए बिहार के विश्वविद्यालय में आएं। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा के क्षेत्र में फैली सुस्ती को दूर करना है और सभी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त बनानी हैं। युवाओं को बेहतर भविष्य देना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा



 का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति-निर्माण है। व्यक्ति-निर्माण से ही समाज एवं राष्ट्र का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि आने वाला समय भारत का समय है और हमें अभी से देश को विकसित का संकल्प लेना है। अभी से काम करने को तत्पर रहना है। वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाना है।उन्होंने कहा कि प्रोन्नति का कार्य अविलंब हो। सेवानिवृत्ति के दिन ही सभी सेवांत लाभ का भुगतान हो। अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए। विद्यार्थियों को उनके आसपास के महाविद्यालयों में नामांकन मिलना चाहिए। 



●अब विवि में अलग से होगी एकेडमिक सीनेट की बैठक:

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में वर्ष में एक बार बजट अधिवेशन होता है। इस बैठक में सदस्यों को अपनी बात रखने का समय नहीं मिल पाता है। इसलिए विश्वविद्यालय में अलग से एकेडमिक सीनेट की बैठक होनी चाहिए। जिसमें मुख्य रूप से सभी सदस्यों से सिर्फ विश्वविद्यालय के एकेडमिक विकास पर चर्चा किया जा सके। 



उन्होंने सीनेट सदस्यों से सिर्फ सीनेट में ही नहीं, बल्कि अन्य दिनों में भी विश्वविद्यालय के विकास के लिए सक्रिय रहने और कुलपति से मिलकर उन्हें समस्याओं से अवगत कराने तथा सुधार हेतु सुझाव देते रहने का आग्रह किया।

● यूएमआईएस में कई गड़बड़ियां  बर्बाद हो रहा विश्वविद्यालय का  धन:

उन्होंने कहा कि यूएमआईएस में कई गड़बड़ियां हैं। इसके पीछे विश्वविद्यालय का काफी धन भी बर्बाद हो रहा है। अतः यह आवश्यक है कि यूएमआईएस को बंद कर दिया जाए और सभी विश्वविद्यालय अपनी आवश्यकता के अनुरूप अपना सॉफ्टवेयर विकसित करें और उसे स्वयं संचालित करें। इससे परीक्षा का संचालन, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, परीक्षाफल का प्रकाशन एवं डिग्री वितरण आदि कार्यों में गति आएगी और सत्र को नियमित करने में काफी सहायता मिलेगी।

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