● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस स्थित विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग एवं आईक्यूएसी के तत्वावधान में "हिन्दी भाषा, साहित्य एवं राष्ट्रीय चेतना" विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. आरकेपी रमण, प्रतिकुलपति प्रो. आभा सिंह सहित अन्य ने किया। सेमिनार का शुभारंभ कुलपति डॉ आरकेपी रमन प्रति कुलपति डॉ डॉ आभा सिंह सहित अन्य अतिथियों ने किया इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार शिक्षक, शोधार्थी, और छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल बनाने को सेमिनार का आयोजन आवश्यक है।
उन्होंने "हिंदी भाषा साहित्य एवं राष्ट्रीय चेतना" पर आयोजित होने वाले सेमिनार में आए हुए अतिथियों का स्वागत भी किया। उन्होंने कहा कि सेमिनार हॉल को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जाएगा। कुलपति ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग की।
सेमिनार में प्रति कुलपति डॉ आभा सिंह ने कहा कि आज के वैश्वीकरण के दौर में नई तकनीक के साथ शिक्षण संस्थान में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में सेमिनार की आवश्यकता है। उन्होंने कुलपति से विश्वविद्यालय में एक आधुनिक तकनीक से युक्त सभागार बनाने की मांग की। उन्होंने हिंदी साहित्य को की महत्ता को बताते हुए कहा कि साउथ इंडिया में जो फिल्म का निर्माण होता है उसके व्यापारिक दृष्टिकोण से हिंदी रूपांतर किया जाता है। यह हिंदी की महत्ता है। उन्होंने कहा कि हिंदी संप्रेषण की भाषा है। प्रति कुलपति ने छात्रों से कम से कम तीन भाषा की जानकारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा, हिंदी और अंग्रेजी का सीखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब तक भाषा पर अधिकार नहीं होगा तब तक हम राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकते हैं।
प्रो. आभा सिन्हा ने नई शिक्षा नीति में भाषा शिक्षा के महत्व और उसकी चुनौतियों पर विस्तार से बात की।
हीन भावना से मुक्त हों हिंदी भाषी: बीएनएमयू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में ऑनलाइन
अमेरिका से जुड़े अशोक ओझा ने अमेरिका में हिन्दी और हिंदुस्तानियों की स्थिति पर बात करते हुए हिन्दी भाषियों को हीन भावना से मुक्त होने की बात कही। उन्होने हिन्दी को सबको जोड़ने वाली भाषा का नाम दिया। फिनलैंड से जुड़े मिको विटा माकी ने फिनलैंड में हिन्दी शिक्षण की स्थिति और उसकी चुनौतियों पर बात की। आईक्यूएसी के डायरेक्टर डॉ. नरेश कुमार ने विश्वविद्यालय को नेक मूल्यांकन में सेमिनार की महत्ता को बताया।
राष्ट्र के निर्माण में साहित्य का अहम योगदान: सेमिनार में रांची से आए डॉ. जंग बहादुर पांडेय ने राष्ट्र के निर्माण में साहित्य के योगदान को अहम बताया। उन्होंने हिन्दी के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त और दिनकर के काव्य के राष्ट्रीय महत्व को बताया। उन्होंने कवियों की सामाजिक रचनात्मक भूमिका पर भी प्रकाश डाला। सेमिनार में अभय साहेब, कबीर पारख निकेतन ने भाषा और साहित्य को संस्कृति से जोड़कर इसे मानव जाति के उन्नयन में महत्वपूर्ण माना।
टीपी कॉलेज में हिंदी की एचओडी डॉ. वीणा कुमारी ने हिंदी साहित्य इतिहास के विविध कालों में राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति से संबंधित रचनाओं का जिक्र किया और उसकी अर्थवत्ता पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन किया गया।
पटना से आए
प्रो. शंकर प्रसाद ने हिंदी की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान साहित्य तक में मौजूद राष्ट्रीय चेतना के तत्वों को उजागर करते हुए, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि भारत को छोड़कर दुनिया के हर देश में अपनी राष्ट्रभाषा है। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की वकालत की।
भाषा और साहित्य राष्ट्र जागृति का माध्यम: हिंदी विभाग की अध्यक्ष सह आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. उषा सिन्हा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव काल में इस संगोष्ठी के माध्यम से अपनी भाषा और साहित्य की राष्ट्रीय जागरण में महत्ता पर प्रकाश डाला गया।
संकायाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार चौधरी ने कोशी अंचल और हिंदी के रिश्ते को व्याख्यायित कर साहित्य की सर्वसमावेशी भूमिका पर प्रकाश डाला।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रफुल्ल कुमार ने किया।
मौके पर डीएसडब्ल्यू डॉ. राजकुमार सिंह, डीन डॉ. नबीन कुमार, डॉ. सचिंद्र, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. कुलदीप यादव, डॉ. भूपेंद्र मधेपुरी, डॉ. अमोल राय, डॉ. ललन अद्री, डॉ. एमआई रहमान, डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. जवाहर पासवान, डॉ सुधांशु शेखर, डॉ. राणा सुनील कुमार सिंह, डॉ. रश्मि कुमारी, डॉ. मुन्ना कुमार, डॉ. संजय कुमार परमार, शोधार्थी सारंग तनय, विभीषण कुमार(एसआरएफ)), पल्लवी राय, स्वाति, अश्विनी, माधव, ज्ञान रंजन कुमार, नरेश कुमार, शंकर सुमन, सिंकू सुमन,परमेश कुमार, सुनील कुमार, प्रवीण कुमार,निखिल कुमार, सहित अन्य मौजूद थे।
सेमिनार में डॉ. नेहा कुमारी, विद्या कुमारी सहित अन्य ने स्वागत गान और कुलगीत की प्रस्तुति दी।
सेमिनार स्थल पर राजकमल प्रकाशन एवं साहित्य प्रकाशन के द्वारा स्टूडेंट्स एवं शोधार्थियों के लिए बुक स्टॉल लगाया गया जो आकर्षण का केंद्र रहा।।
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