● आर के झा, वरीय संपादक
मधेपुरा/: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के बीएड ऑन स्पॉट में फर्जी/अवैध तरीके से लिए गए डेढ़ दर्जन स्टूडेंट्स का एडमिशन अब रद्द होगा, साथ ही उन स्टूडेंट्स का रिजल्ट भी रोका जाएगा। फर्जी नामांकन के दोषी अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है। विश्वविद्यालय ने पटना हाई कोर्ट को दिए हलफनामा में बीएड एडमिशन कमिटी में शामिल पदाधिकारियों को इसके लिए जिम्मेवार माना है।
इससे पहले दो दिसंबर 2022 को पटना पटना हाई कोर्ट ने बीएड सेशन 2020-22 में फर्जी तरीके से एडमिशन लेने के मामले में बीएनएमयू पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
एडमिशन प्रक्रिया में शामिल अधिकारी से पांच लाख रुपये का जुर्माना लेकर पीड़ित छात्र मो. शाहबाज को देने का निर्णय कोर्ट ने सुनाया है। साथ ही 30 दिसंबर 2020 को दोपहर तीन बजे के बाद से नामांकित स्टूडेंट्स के नामांकन को रद्द करते हुए पटना हाई कोर्ट ने बीएड की डिग्री के लिए उन्हें अयोग्य ठहरा दिया है।
पटना हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव प्रसाद शर्मा ने फैसला सुनाते हुए अपने 17 पेज के आदेश में बीएनएमयू प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिया है कि पीड़ित छात्रों को पांच लाख रुपये की राशि दी जाए। राशि दोषी पदाधिकारी से वसूल की जाय। बीएनएमयू के कुलसचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय दोषी पदाधिकारी को चिन्हित कर रही है।
पटना हाई कोर्ट में 19 सितंबर 2022 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बीएनएमयू को बीएड एडमिशन से जुड़े सम्पूर्ण रिकार्ड, स्टूडेंट्स के फोटो व हस्ताक्षर युक्त एडमिशन रजिस्टर, फीस से जुड़ी फ़ाइल, एकाऊंट का स्टेटमेन्ट आदि के साथ उपस्थित होने का फरमान सुनाया था। अगली सुनवाई में विश्वविद्यालय ने एडमिशन से जुड़ी आवश्यक कागजात के साथ कोर्ट में जवाब समर्पित किया था। जिसमें विवि ने यह माना था कि एडमिशन कमिटी में शामिल सभी लोग इस फर्जी नामांकन के लिए दोषी है, जबकि हाई कोर्ट में पीड़ित स्टूडेंट मो. शहवाज ने आरक्षण रोस्टर में भी उल्लंघन का आरोप लगाया है। हाई कोर्ट के सामने यह मामला आया कि 30 दिसम्बर 2020 को 5 बजे तक एडमिशन की प्रक्रिया चलनी थी, लेकिन प्रभारी इंचार्ज ने एक हस्तलिखित नोटिस द्वारा इसे 3:00 बजे तक सीमित करने को कहा।
हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से सुनने के बाद अपने निर्णय में टिप्पणी दी है कि न्यायालय इस बात पर संतुष्ट है की एडमिशन प्रक्रिया में फर्जी तरीके से मनचाहे स्टूडेंट्स को चुनकर शामिल किया गया है।
इससे पहले बीएड के ऑन स्पॉट एडमिशन मामले में पटना हाई कोर्ट ने बीएनएमयू को पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले पीड़ित स्टूडेंट् मो शाहबाज को बतौर हर्जाना विश्वविद्यालय को देना है। साथ ही हाईकोर्ट ने गलत तरीके से लिए गए एडमिशन को रद्द करने का निर्देश दिया है। सीडब्ल्यूजेसी संख्या- 5526/21 में हाई कोर्ट के अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीएनएमयू के शिक्षा शास्त्र विभाग ने कम अंक वाले स्टूडेंट् का एडमिशन लेकर मो शाहबाज के साथ अन्याय किया है।
हाईकोर्ट ने पाया कि शिक्षा शास्त्र विभाग ने ऑन स्पॉट एडमिशन में निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया। हाईकोर्ट ने पाया कि विभाग ने 30 दिसंबर 2020 को दिन के तीन बजे तक एडमिशन की बात कही। जबकि कई स्टूडेंट्स के साक्ष्य प्रमाण करते हैं कि एडमिशन तीस से 31 दिसंबर तक हुआ।
विश्वविद्यालय के अपील में जाने का रास्ता भी लगभग हुआ बंद: पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील जाने का रास्ता भी बीएनएमयू के लिए बंद है। हाईकोर्ट ने बीएड प्रकरण में डेढ़ दर्जन से अधिक बिंदुओं पर बीएड के ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण पर चर्चा करते हुए 'माडर्न डेंटल कालेज एंड रिसर्च सेंटर एंड अदर्स के सुप्रीम कोर्ट' के केस का विस्तार पूर्वक उल्लेख करते हुए फैसला सुनाया है। फैसले में जस्टिस संजीव प्रसाद शर्मा ने माना कि व्यापक स्तर पर आरक्षण रोस्टर की अनदेखी हुई और मो शाहबाज से बहुत कम अंक वाले स्टूडेंट्स का एडमिशन लिया गया।।
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