● आर के झा, वरीय संपादक
मधेपुरा/बिहार: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में बीएड से लेकर पीजी स्तर तक फर्जी/अवैध तरीके से एडमिशन लेने वालों के हाथ-पांव फूलने लगे है। विश्वविद्यालय में अपने पसंदीदा व मनचाहा लोगों के एडमिशन को पटना हाई कोर्ट ने काफी गंभीर मामला बताया है।
विश्वविद्यालय अगली कार्रवाई के तहत फर्जी एडमिशन में संलिप्त अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर सकती है। चूंकि पटना हाई कोर्ट ने बीएड प्रकरण में दायर याचिका को मैन्डेमस (परमादेश) प्रकृति का बताया है। हाईकोर्ट के परमादेश में कार्यालय की संलिप्तता की बात सामने आई है। इस एडमिशन में विश्वविद्यालय शिक्षा शास्त्र विभाग के वरीय अधिकारी से लेकर बीएड के तत्कालिक एचओडी (विभागाध्यक्ष) और एक शिक्षक के साथ एमएड के एचओडी (विभागाध्यक्ष) भी शामिल हैं। शिक्षा शास्त्र विभाग के तात्कालिक एचओडी की मानें तो वरीय अधिकारी के निर्देश पर सभी की सहमति से विभाग ने 30 दिसंबर 2020 को दिन के 03:00 बजे तक एडमिशन की सूचना टांगी। जबकि सीट खाली रहने पर कई स्टूडेंट्स का 30 से 31 दिसंबर 2020 तक एडमिशन हुआ। वहीं प्रोफेसर इंचार्ज ने एडमिशन में अपनी किसी भी प्रकार की भूमिका से इनकार किया है।
विश्वविद्यालय ने भी पटना हाई कोर्ट को दिए जवाब में एडमिशन में शामिल पदाधिकारियों को इसके लिए जिम्मेवार माना है। इससे पहले दो दिसंबर 2022 को पटना हाई कोर्ट ने बीएड सेशन 2020-22 में फर्जी तरीके से एडमिशन लेने के मामले में बीएनएमयू पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
एडमिशन प्रक्रिया में शामिल अधिकारी से पांच लाख रुपये का जुर्माना लेकर पीड़ित स्टूडेंट मो. शाहबाज को देने का निर्णय हाईकोर्ट ने सुनाया है।
◆ होता रहा खेला:
विश्वविद्यालय के तमाम आलाधिकारियों के नाक नीचे शिक्षा शास्त्र विभाग में फर्जीवाड़ा का खेल किया गया और सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
यह मामला सिंडिकेट से सीनेट तक की बैठक में उठा, पर कार्रवाई सिफर रही। हैरत वाली बात यह है कि शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रबंध समिति में विश्वविद्यालय के कुलपति( पदेन अध्यक्ष हैं) प्रतिकुलपति, रजिस्ट्रार(पदेन सचिव हैं), वित्तीय सलाहकार और प्रोफेसर इंचार्ज के अलावे अन्य पदाधिकारी भी शामिल हैं।
प्रबंध समिति का भी यह दायित्व बनता है कि विभाग नियम-परिनियम के तहत संचालित हो। प्रबंध समिति ने समय रहते फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई की होती तो आज विश्वविद्यालय की इतनी बड़ी फजीहत व बदनामी नहीं होती।
विश्वविद्यालय की गलती का खामियाजा अब उन सभी स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ेगा, जिनका बीएड कोर्स करने में दो वर्ष बहुमूल्य समय बीएनएमयू में बीत गया। हाईकोर्ट ने बीएड ऑन स्पॉट में फर्जी तरीके से हुए स्टूडेंट्स के एडमिशन को अवैध माना है।
इन स्टूडेंट्स के रिजल्ट पर रोक लगा गया है।
फर्जी एडमिशन में/के दोषी अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है। पटना हाईकोर्ट के सामने यह मामला आया कि 30 दिसम्बर 2020 को शाम को 05:00 बजे तक एडमिशन की प्रक्रिया चलनी थी। लेकिन डिपार्टमेंट के प्रभारी एचओडी ने एक लिखित नोटिस चिपका कर इसे 03:00 बजे तक ही सीमित करने को कहा। लेकिन सीट रहने पर 31 दिसंबर 2020 तक डिपार्टमेंट में एडमिशन लिया गया।
30 दिसम्बर 2020 को दिन के 03:00 बजे के बाद नामांकित सभी स्टूडेंट्स के डिग्री को कोर्ट ने अयोग्य करार दिया है।
◆ पीजी सेशन 2021-23 के ऑन स्पॉट राउंड:
इधर, विश्वविद्यालय बीएड विभाग की तरह पीजी सेंटर सहरसा में भी स्टूडेंट्स का गलत/अवैध तरीके से एडमिशन हुआ है। यहां कम अंक वाले स्टूडेंट्स का एडमिशन लिया गया है। पीजी सेंटर,सहरसा के हिन्दी विभाग में 60 हजार रुपए लेकर सीट बेचने का आरोप लगा था।
इस गड़बड़ी को लेकर विश्वविद्यालय स्तर से अब बड़ी कार्रवाई हो सकती है। मामला अनुशासन समिति के निर्णय पर टिका हुआ है। विगत दिनों अनुशासन समिति की बैठक में जांच समिति ने अपना रिपोर्ट समर्पित कर दिया है। इसमें कहा गया है कि हिन्दी डिपार्टमेंट ने मेरिट लिस्ट को दरकिनार कर बिना एचओडी के अनुमति से एडमिशन लिया है।
वह एडमिशन बिल्कुल गलत व अवैध है। इसमें शामिल दोषी अधिकारी पर कार्रवाई होना तय है।।
Hii
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