Manish:बीएन मंडल विवि के गलत तरीके से बीएड के आन स्पाट नामांकन प्रकरण में उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है। कोर्ट ने जारी आदेश में बीएनएमयू को पांच लाख का जुर्माना
लगाया है। यह राशि कोर्ट में याचिका दायर करने वाले पीड़ित छात्र मो शाहबाज को बतौर हर्जाना विवि को देना है। साथ ही कोर्ट ने गलत तरीके से लिए गए दो नामांकन को रद्द करने का निर्देश दिया है। इससे पहले बीएड प्रकरण में मो शाहबाज को कोर्ट से न्याय मिला है। केस संख्या 5526/21 में हाई कोर्ट के जज संजीव प्रसाद शर्मा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीएनएमयू के शिक्षा शास्त्र विभाग ने कम अंक वाले छात्र का नामांकन लेकर मो शाहबाज के साथ अन्याय किया है। कोर्ट ने पाया कि कि विभाग ने आन स्पाट एडमिशन में निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया। कोर्ट ने पाया कि विभाग ने तीस दिसंबर 2020 को दिन के तीन बजे तक एडमिशन की बात कही। जबकि कई छात्रों के साक्ष्य प्रमाण करते हैं कि एडमिशन तीस से इकतीस दिसंबर तक हुआ। कोर्ट ने बी एड प्रकरण में डेढ़ दर्जन से अधिक बिंदुओं पर बीएड के आन स्पाट एडमिशन प्रकरण पर चर्चा करते हुए माडर्न डेंटल कालेज एंड रिसर्च सेंटर एंड अदर्स के सुप्रीम कोर्ट के केस संख्या 2016(7)SCC 353 का विस्तार पूर्वक उल्लेख करते हुए फैसला सुनाया है। फैसले में जस्टिस संजीव प्रसाद शर्मा ने कहा कि मो शाहबाज के साथ अन्याय हुआ है। कोर्ट ने माना कि व्यापक स्तर पर रोस्टर की अनदेखी हुई और मो साहबाज से बहुत कम अंक वाले छात्र का एडमिशन लिया गया। फैसले में हाई कोर्ट ने बीएनएमयू पर पांच लाख का जुर्माना किया है। कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना के तौर पर यह राशि विवि अदा करेगी। साथ ही दो छात्र संजीव व अवनीत कुमार को अयोग्य मानते हुए उनके फीस वापसी का आदेश दिया है।
इधर, पीड़ित छात्र की याचिका पर आदेश पारित होने के बाद बीएड सत्र 2020 के रिजल्ट प्रकाशन का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले कोर्ट ने अंतिम आदेश तक रिजल्ट पर रोक लगा दिया था। केस के कारण पांच महीने से छात्रों का रिजल्ट प्रकाशित नहीं सका। विवि में सेशन 2020-22 के आन-स्पाट नामांकन में बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई थी। इस कारण नामांकन से वंचित रह गए एक छात्र ने न्यायालय का शरण लिया। पटना हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता मो शहवाज अहमद के सीडब्ल्यूजेसी केस संख्या 5526/2021 पर संज्ञान लेते हुए बीएड के फाइनल रिजल्ट पर सुनवाई पूरी होने तक तत्काल रोक लगा दिया था। ।
इससे पहले बीएनएमयू के 13 बीएड कालेज के करीब साढ़े 13 सौ स्टूडेंट्स का भविष्य पटना हाई कोर्ट के सुनवाई व फैसले पर टिका हुआ था। 19 सितंबर की सुनवाई में कोर्ट ने विवि को बीएड एडमिशन से जुड़े सम्पूर्ण रिकार्ड, स्टूडेंट्स के फोटो व हस्ताक्षर युक्त एडमिशन रजिस्टर, फीस से जुड़ी फ़ाइल, एकाऊंट का स्टेटमेन्ट आदि के साथ उपस्थित होने का फरमान सुनाया। बीएड सेशन 2020-22 के सिलसिले में 12 अक्टूबर को माननीय पटना हाई कोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन उक्त तिथि को सुनवाई नहीं हो सकी। उधर, पटना हाई कोर्ट के के आदेश से यूनिवर्सिटी में हलचल तेज है। कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। इस मामले ने शिकायतकर्ता शहवाज अहमद ने बीएड आन- स्पाट नामांकन में उनसे बहुत कम अंक वाले दूसरे छात्र का नामांकन होने की बात कह न्याय की गुहार लगाई।
विवि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेगी।
प्रो डा मिहिर कुमार ठाकुर, कुलसचिव, बीएनएमयू, मधेपुरा
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन कर परीक्षा विभाग बीएड का रिजल्ट प्रकाशित करेगी।
प्रो आरपी राजेश, परीक्षा नियंत्रक, बीएनएमयू
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