● Sarang Tanay@Mafhepura
मधेपुरा/बिहार: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(UGC) द्वारा ही बिहार सहित अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियमित नियुक्ति हेतु आवश्यक निर्णय लेने हेतु मांग जोड़ पकड़ने लगा है। इसे लेकर यूजीसी के अध्यक्ष के संजय मूर्ति को पत्र लिखते हुए बीएनएमयू के अतिथि सहायक प्राध्यापक सह बिहार राज्य अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉ ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि देश के सभी राज्यों के उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की संख्या नगण्य सा होने के कारण कई बार यूजीसी ने आदेश निर्गत किये हैं। फिर भी कहीं भी जल्द बहाली नहीं कि जा रही है। कई राज्यों में तो अतिथि सहायक प्राध्यापक की बहाली की गई एवं उन्हीं के सहारे पठन पाठन चल रहा है। इसे कई राज्यों ने नियमितीकरण भी कर दिये हैं।
वहीं बिहार में भी लगभग सात-आठ हजार शिक्षकों का पद रिक्त है और सरकार द्वारा 2018 में ही विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन करके 4600 शिक्षकों की बहाली निकाली गई है, जो 3 वर्ष बीत जाने के बावजूद कुछ नहीं कर पाई है, और यहां भी 1800 अतिथि सहायक प्राध्यापकों के सहारे ही पठन-पाठन हो रही है। अब यहां गौर करने वाली विशेष बात यह है कि सरकार की ढीले ढाले रवैया के कारण कुछ और राजनीतिक रोटी सेकने की नियत से नियमित बहाली को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता रहा है, ऐसे में कभी भी उस शिक्षा मजबूत नहीं हो सकता है। जबकि विश्वविद्यालयों के द्वारा नियोजन पर पर बहाल अतिथि सहायक प्राध्यापकों को भी यूजीसी की गाइडलाइन पर नियमित बहाली के लिए निर्धारित अहर्ता का पालन करते हुए किया गया है। ऐसे में इन्हें ही
नियमित कर देने से शिक्षकों की नियमित बहाली आसानी से हो सकेगी। ऐसे में बिहार के उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी को मद्देनजर रखते हुए तत्काल अतिथि सहायक प्राध्यापकों को ही नियमित करने हेतु यूजीसी को अब अपने से एक आदेश जारी किया जाना चाहिए, विश्वविद्यालय को जल्द ही नियमित शिक्षक भी मिल जाएगी।।
बहुत ही अच्छी खबर
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