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बुधवार, 14 अप्रैल 2021

कॉलेज कैम्पस: डॉ अम्बेडकर के जीवन का एक-एक क्षण हमारे लिए प्रेरणादायी और प्रासंगिक हैं- कुलपति...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: डाॅ.अंबेडकर दुनिया के सबसे बड़े विद्वान एवं हम सबों के प्रेरणास्रोत हैं। वे मात्र एक महान व्यक्ति ही नहीं, बल्कि अमर विचारपुंज भी हैं। हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। उक्त बातें कुलपति प्रो.(डॉ.)आर के पी रमण ने कही। वे बुधवार को भारतरत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के 130वें जन्मोत्सव समारोह का उद्घाटन कर रहे थे। समारोह का आयोजन राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास में किया गया। 
कुलपति ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज एवं राष्ट्र के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनके जीवन का एक-एक क्षण हमारे लिए प्रेरणादायी और प्रासंगिक हैं। इसके आधार पर ही नए भारत एवं नए विश्व का निर्माण हो सकता है। 
उन्होंने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने हमें मनुष्य बनने का संदेश दिया है। वे चाहते थे कि सभी लोगों के साथ एक समान व्यवहार हो। किसी के साथ भी जाति, धर्म, नस्ल आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो। सबों को समता, स्वतंत्रता एवं बंधुता का अधिकार दिया।
उन्होंने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने विपरीत परिस्थितियों में भी उच्च शिक्षा ग्रहण किया। आज दुख की बात है कि हम सुविधाओं के बावजूद शिक्षा ग्रहण करने में पीछे हैं। हमें यह याद रहे कि यदि हमारे मन में सच्चा संकल्प हो, तो गरीबी हमारे विकास के मार्ग में बाधा नहीं बन सकती है।
उन्होंने सभी विद्यार्थियों से अपील की कि वे ज्ञानार्जन को अपने जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता दें। कक्षा में आएं और किताबों से प्रेम करें। साथ ही स्वाध्याय पर पर्याप्त ध्यान दें। अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ डाॅ. अंबेडकर को भी पढ़ें। आप डाॅ. अंबेडकर को जितनी बार पढ़ेंगे, वह आपको उतना ही नवीन लगेगा।
इस अवसर पर कुलपति ने राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास में एक पुस्तकालय खोलने की जरूरत बताई। साथ ही विश्वविद्यालय में अंबेडकर चेयर की स्थापना हेतु प्रयास करने की घोषणा की।
मुख्य अतिथि जिला कल्याण पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने "शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो" का नारा दिया है। आज इसमें एक नारा और जोड़ने की जरूरत है कि संविधान की रक्षा करो।
उन्होंने बताया कि डाॅ. अंबेडकर के तीन गुरु थे- गौतम बुद्ध, संत कबीर और ज्योतिबा फुले। इन तीनों के विचारों के आधार पर ही अंबेडकरवाद का विकास हुआ है। हमें इसे आगे ले जाने की जरूरत है। जैसे वृक्ष को जिंदा रखने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है, वैसे ही विचारों को जिंदा रखने के लिए उन्हें बार-बार दुहराना पड़ता है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए छात्रावास अधीक्षक सह सीनेट- सिंडिकेट सदस्य डाॅ.जवाहर पासवान ने कहा कि डाॅ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से भारत के सभी लोगों के लिए "स्वतंत्रता, समानता, बंधुता" की गारंटी दी है। यह संविधान चंद लोगों के लिए नहीं है, सबों के लिए है। अतः हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम संविधान की मूल भावना को अक्षुण्ण रखें। 
उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि आजादी के 73 वर्षों बाद भी हम संविधान की मूल भावना को आत्मसात नहीं कर पाए हैं। इसी कारण हम आज भी बदहाल हैं। आज भी वंचितों को उनका हक-अधिकार एवं मान-सम्मान नहीं मिला है। इसमें हमारी अपनी कमी है। 
उन्होंने कहा कि  हम डाॅ. अंबेडकर के कारवाँ को आगे बढ़ाने का संकल्प लें। उनके विचारों को जीवन में अपनाकर ही हम अपना जीवन सफल एवं सार्थक कर सकते हैं।
बीएनएमयू के जनसंपर्क पदाधिकारी सुधांशु शेखर ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने केवल दलितों के नेता नहीं थे, बल्कि वे संपूर्ण मानवता के उन्नायक थे। उन्होंने जीवनभर संघर्ष कर हम सबों के लिए सामाजिक न्याय की रोशनी लाई। हमें इस रोशनी को घर-घर तक पहुँचाना है। डॉ. अंबेडकर के विचारों एवं कार्यों को आगे बढ़ाना है। उनके सपनों को साकार करना है।
राजद जिलाध्यक्ष जयकांत प्रसाद यादव ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने दुनिया के कई देशों के संविधानों का अध्ययन कर भारत का संविधान बनाया। यह विश्व का सबसे बड़ा एवं बेहतर संविधान है। 
माया के अध्यक्ष राहुल यादव ने कहा कि देश-दुनिया अंबेडकर के विचारों के आधार पर ही आगे बढ़ेगी।
ग्रीन फील्ड स्कूल के निदेशक राजेश कुमार ने हम खुद भी पढ़ें और समाज के वंचित वर्ग को पढ़ने का अवसर दें।
प्रधानाध्यापक डाॅ. सुभाष पासवान ने कहा कि हमें डाॅ. अंबेडकर का भक्त नहीं बनना है, बल्कि हमें उनके विचारों का अनुयायी बनना है।
कार्यक्रम का संचालन राहुल पासवान ने किया। धन्यवाद ज्ञापन छात्र नायक राजहंस राज उर्फ मुन्ना कुमार पासवान ने किया। जन्मोत्सव की शुरुआत अतिथियों ने केक काटकर किया। सबों ने डाॅ. अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि किया।
इस अवसर पर गंगादास, डाॅ. राजकुमार रजक, ललन कुमार राम, गौरब कुमार, अमरेश कुमार अमर, माधव कुमार, किशोर क्रांति, पिंटू कुमार, ओम अंकार, गुरुदेव कुमार, सृष्टि कुमारी, दृष्टि कुमारी, मनीष कुमार, दीपक कुमार, राजन कुमार, सोनू भारती, जय नारायण पंडित, नीतीश कुमार, आशीष कुमार, दिलखुश कुमार, कुंदन कुमार, चुन्ना कुमार, चंदा पासवान, सुभम रंजन, ओम रंजन आदि उपस्थित थे।।

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