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बुधवार, 18 नवंबर 2020

मधेपुरा: शहर के युवाओं ने रेजांगला के वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार:  बुधवार को यूनिवर्सिटी चौक गौशाला परिसर स्थित श्रीकृष्ण मंदिर मधेपुरा के प्रांगण में शहर के युवाओं, बुद्धिजीवियों, यदुवंशीयों आदि द्वारा गौरव गाथा "रेजांगला के वीर अहीरों" को श्रधांजलि अर्पित किया गया। 
 कार्यक्रम की अध्यक्षता सुशांत कुमार उर्फ बमबम यादव ने किया। उन्होंने विस्तार से वीर आहिरों की गाथा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया का सैन्य इतिहास यूं तो वीरता की कहानियों से भरा पड़ा है, परंतु रेजांगला की गौरवगाथा हर लिहाज से शहादत की अनूठी दास्तां हैं। 
बिना किसी तैयारी के अहीरवाल के वीर जवानों ने 18 नवंबर 1962 को लद्दाख की दुर्गम बर्फीली चोटी पर शहादत का ऐसा इतिहास लिखा था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह यहां के वीरों के जज्बे का ही परिणाम था, जिसके चलते चीन सीज फायर के लिए मजबूर हो गया था। बेशक भारत को इस युद्ध में अधिकारिक रूप से जीत नसीब नहीं हुई, परंतु सामरिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी जाने वाली रेजांगला पोस्ट पर यहां के जांबाज जवानों ने हजारों चीनी सैनिकों को मार गिराया था। रेजांगला पोस्ट पर वर्ष 1962 की इस लड़ाई में तत्कालीन 13 कुमाऊं बटालियन के कुल 124 जवान शामिल थे, जिनमें से 114 शहीद हो गये थे।
शहादत देने वालों में अधिकांश जवान अहीरवाल क्षेत्र के थे। कुर्बानी देने से पूर्व इन जवानों ने देश की सरहद की ओर बढ़ रहे चीन के 1300 जवानों को मौत के घाट उतार दिया था। इस युद्ध की खास बात यह थी कि चीनी सैनिक जहां पहाड़ी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों व बर्फीले मौसम से पूरी तरह अभ्यस्त थे, वहीं मैदानी क्षेत्रों से गये भारतीय सैनिकों के लिए परिस्थितियां पूरी तरह प्रतिकूल थी। हथियारों के मामले में भी भारतीय जवान चीन के सैनिकों से पीछे थे।
 विशेष बात यह भी थी कि चीन जहां पूरी तैयारी के साथ युद्ध मैदान में उतरा था, वहीं भारत-चीनी भाई-भाई के नारे के बीच भारत को सपने में भी चीनी आक्रमण का आभास नहीं था। रेजांगला पोस्ट पर लड़ रहे वीरों के सामने परीक्षा की घड़ी 17 नवंबर की रात उस समय आई, जब तेज आंधी-तूफान के कारण रेजांगला की बर्फीली चोटी पर मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में मोर्चा संभाल रहे सी कंपनी से जुड़े इन 124 जवानों का संपर्क बटालियन मुख्यालय से टूट गया। 
ऐसी ही विषम परिस्थिति में 18 नवंबर को तड़के चार बजे युद्ध शुरू हो गया। नजदीक की दूसरी पहाड़ियों पर मोर्चो संभाल रहे अन्य सैनिकों को रेजांगला पोस्ट पर चल रहे इस ऐतिहासिक युद्ध की जानकारी तक नहीं थी। लद्दाख की बर्फीली, दुर्गम व 18 हजार फुट ऊंची इस पोस्ट पर सूर्योदय से पूर्व हुए इस युद्ध में यहां के वीरों की वीरता देखकर चीनी सेना कांप उठी। इस युद्ध में 124 में से कंपनी के 114 जवान शहीद हो गये, लेकिन उन्होंने चीन के आगे बढ़ने के मंसूबों पर पानी फेर दिया। पीकिंग रेडियो ने भी तब केवल रेजांगला पोस्ट पर ही चीनी सेना की शिकस्त स्वीकार की थी।
 रेजांगला पोस्ट पर दिखाई वीरता का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने कंपनी कंमाडर मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार पदक परमवीर चक्र से अलंकृत किया था तथा इसी बटालियन के आठ अन्य जवानों को वीर चक्र, चार को सेना मैडल व एक को मैंशन इन डिस्पेच का सम्मान दिया था। इसके अलावा 13 कुमायूं के सीओ को एवीएसएम से अलंकृत किया गया था। 
भारतीय सेना के इतिहास में किसी एक बटालियन को एक साथ बहादुरी के इतने पदक अब तक कभी नहीं मिले। सरकार ने चार्ली कंपनी की वीरता को देखते हुए बाद में एक अहम निर्णय लेते हुए कंपनी का दोबारा गठन किया तथा इसका नाम रेजांगला रखा। रेजांगला युद्घ में शहीद हुए सैनिकों में मेजर शैतान सिंह पीवीसी जोधपुर के भाटी राजपूत थे, जबकि नर्सिंग सहायक धर्मपाल सिंह दहिया (वीर चक्र) सोनीपत के जाट परिवार से थे। कंपनी का सफाई कर्मचारी पंजाब का रहने वाला था। इनके अलावा शेष सभी जवान अहीर जाति के थे। इनमें से भी अधिकांश हरियाणा के रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़ व सीमा से सटे अलवर जिले के रहने वाले थे।
ख़ास बात ये रही की जब गोलियां खत्म हो गई तो जवानों ने हथियारों का इस्तेमाल लाठियों के रूप में किया और रेजांगला पोस्ट पर दुश्मन का कब्जा होने नहीं दिया।
 मंच संचालन आकाश यदुवंशी ने किया। 
कोषाध्यक्ष सारंग तनय, सचिव नीतीश कुमार उर्फ जापानी यादव, संयोजक हिमांशु राज, माधव यादव, रॉय प्रिंस, विकास कुमार यादव, अमरेश कुमार नुनु बाबू, नवीन कुमार, प्रिंस यादव, विकास यादव, रामकुमार यादव, ज्योतिष कुमार, रंजीत कुमार, मन्नू महाराज, राजेश यादव, प्रवेश यादव, प्रदीप यादव, सिंटू कुमार सुमन, कवींद्र कुमार, पप्पू कुमार, बादल कुमार, सुभाष यादव, शिवम यादव, राकेश कुमार, रोहित कुमार, गुंजन यादव, रोशन कुमार, निक्कू कुमार, सिट्टू कुमार, पवन कुमार, सूरज यादव, राहुल यादव ,लक्ष्मण यादव आदि उपस्थित रहे।।

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