● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, नॉर्थ कैम्पस, मधेपुरा राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर(डॉ.) राजकुमार सिंह जो वर्तमान में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन भी हैं, को नोबेल रिसर्च एकेडमी पांडिचेरी द्वारा सत्र 2020-21 का "राइजिंग स्टार अवॉर्ड" 20 अक्टूबर 2020 को प्रदान किया गया है।
ज्ञातव्य हो कि यह अवार्ड इन्हें एकेडमी द्वारा 'उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इनके उत्कृष्ट एवं बहुमूल्य योगदान को मूल्यांकन कर' प्रदान किया गया है। इस संबंध में जैसा कि पूर्व से ही ज्ञात है कि डॉ राजकुमार सिंह पिछले 25 वर्षों से लेखन कार्य में व्यस्त हैं तथा अब तक इनकी 17 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें जर्मनी तथा मॉरीशस से प्रकाशित पुस्तकें भी शामिल हैं। इनकी अगली पुस्तक 'Pandemic Covid-19: Major effects and Side effects' भी नई दिल्ली के आयू पब्लिकेशन से वर्ष 2021 में प्रकाशित हो रही है। इसके अतिरिक्त देश एवं विदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं दैनिक समाचार पत्रों के संपादकीय पृष्ठ आलेख भी 600 से अधिक प्रकाशित हो चुके हैं। देश एवं विदेशों के करीब 20 पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल में भी इनका नाम दर्ज है।
डॉ सिंह को यह चौथा अवार्ड मिला है, इससे पूर्व इन्हें इनके शोध एवं प्रकाशन के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए वर्ष 2018 में वेस्ट एकेडीमिशियन अवॉर्ड 2019 में,तथा बेस्ट रिसर्चर इन सोशल साइंस अवॉर्ड , एवम अगस्त 2019 में ही चेन्नई की एक एकेडमी द्वारा 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' दिया जा चुका है।
मालूम हो कि प्रो. राजकुमार सिंह के 134 आलेख विभिन्न जर्नलओं एवं सेमिनारों में प्रकाशित हो चुके हैं। दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनारों, सम्मेलनों, कार्यशाला आदि में अपने विचार से लोगों को अवगत करा चुके हैं। इन्होंने 'भारतीय विदेश नीति'(मार्च 1977 से जनवरी1980) पर रिसर्च किया है। अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध तथा भारत सरकार एवं पॉलिटिक्स पर इनकी विशेषज्ञता है।
प्रो. सिंह का सम्पादकीय आलेख जम्मू कश्मीर से प्रकाशित 'अर्ली टाइम्स', 'राइजिंग कश्मीर' आदि दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहता है।
प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमार सिंह को यह अवार्ड मिलने से राजनीति विज्ञान विभाग के रिसर्च स्कॉलर सारंग तनय ने बधाई दी है।
बीएनएमयू मधेपुरा के सभी शिक्षकों एवं पदाधिकारियों में हर्ष व्याप्त है तथा वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। पीजी सेंटर, सहरसा के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी खुश हैं क्योंकि वे यहां भी कई वर्षों तक अपनी सेवा दे चुके हैं।।
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