● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा: बिहार का कोसी इलाका तकरीबन हर साल बाढ़ से तबाही झेलता है। इसी तबाही पर राजनीतिक दल अपनी सियासी फसलें भी काटते रहे हैं लेकिन यहां की स्थिति जस की तस बनी हुई है। कोसी इलाके में न तो बाढ़ की तबाही रुक रही है और न ही यहां के लोगों का पलायन रुकने का नाम ले रहा है।
कोरोना काल में सबसे ज्यादा श्रमिक मजदूर यहीं वापस लौटे हैं जो इस बार बिहार के चुनाव में अहम भूमिका अदा करने वाले हैं। यादव बहुल माने जाने वाले कोसी इलाके की राजनीतिक जमीन जेडीयू और आरजेडी के लिए काफी उपजाऊ रही है जबकि बीजेपी के लिए आज भी बंजर बनी हुई है। बिहार के कोसी इलाके में 3 जिले मधेपुरा, सहरसा और सुपौल आते हैं यहां कुल 13 विधानसभा सीटें हैं। यहां की ज्यादातर सीटों पर एनडीए की ओर से जेडीयू और महागठबंधन की तरफ से आरजेडी मैदान में है।
इसके अलावा मधेपुरा और सुपौल में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं तो सहरसा में भाजपा भी ताल ठोक रही है।
यहां पप्पू यादव बी तीसरी ताकत के रूप में मैदान में हैं।
वर्ष 2015 के चुनावी नतीजे देखें तो भाजपा महज एक सीट जीत सकी थी जबकि राजद ने 4 और जदयू ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
ऐसे में देखना है कि इस बार कौन जीतता है...
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