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सोमवार, 23 जुलाई 2018

बीएनएमयू : विश्वविद्यालय के मिलीभगत से होती है बीएड कॉलेज में पैसे के धंधे का खेल, दोषियों पर नहीं हो पाती कोई कार्यवाई

सम्पादक- आर. कुमार

बीएन मंडल विश्वविद्यालय में धांधली पर अंकूश लगाए जाने के बजाय बढ़ावा दिया जा रहा है। नतीजन विवि की कार्यशैली पर अब उंगली उठने लगी है। एक माह पूर्व 11 जून को दो निजी बीएड कॉलेजों की मनमानी के खिलाफ छात्रों ने विवि में प्रदर्शन करते हुए तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया था और कॉलेजों की जांच कराने की मांग की थी। इस पर विवि द्वारा 3 सदस्यीय जांच कमेटी बना कर जांच कराई गई। लेकिन इसके बाद ना तो आज तक जांच रिपोर्ट सामने आई और ना ही कॉलेजों के खिलाफ विवि द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई की गई। आलम यह है कि जांच टीम के सदस्य अब मुखर होकर विवि के मिलीभगत से निजी बीएड कॉलेजों में छात्रों के साथ धांधली होने की बात कह रहे हैं। बीएनएमयू प्रशासन की यह स्थित तब है जब महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति सत्यपाल मलिक ने कई बार खुले मंच से बीएड कॉलेजों में धांधली की बात को स्वीकारते हुए कार्रवाई की बात कही है।



बीएड कॉलेजों की मनमानी और फर्जीवाड़े के मामले पहले से जगजाहिर हैं। फिलहाल विवि अंतर्गत दो निजी बीएड कॉलेज छात्रों से अधिक फीस लेने के मामले में फंसे हुए हैं। 14 एवं 15 जून को छात्रों की शिकायत पर ईस्ट एंड वेस्ट कॉलेज सहरसा एवं एमपी कॉलेज चांदनी चौक की जांच कर टीम ने इस बात की पुष्टि भी कर दी। कॉलेजों में विवि से निर्धारित नामांकन व परीक्षा शुल्क से अधिक छात्रों से वसूली गई है। जांच टीम में उप -कुलसचिव स्थापना डॉ कपिलदेव प्रसाद, महाविद्यालय निरीक्षक सह कुलानुशासक डॉ अरुण कुमार यादव एवं छात्र संघ के सेंट्रल मेंबर दिलीप कुमार दिल शामिल थे।
जांच टीम ने जांच के तुरंत बाद निजी बीएड कॉलेज में व्याप्त गड़बड़ी को उजागर किया था। एमपी कॉलेज में ना तो कोई शिक्षक मौजूद थे और ना ही अधिकारी। छात्रों ने धांधली कॉलेज में नामांकन व परीक्षा फीस के नाम पर अवैध उगाही की बात कही। ईस्ट एंड वेस्ट कॉलेज में छात्रों ने कहा कि कॉलेज में नामांकन के नाम पर फर्स्ट ईयर का 90 हजार से एक लाख 20 हजार रुपए तक लिया गया है। जबकि रसीद केवल 80 हजार रुपए का मिला है। वहीं छात्रों ने कहा कि कॉलेज में फर्जी कागज पर उपस्थिति बना कर  अनुपस्थित चार्ज छात्रों से वसूल किया जाता है। हालांकि जांच टीम ने माना कि कुलपति के समक्ष 179 छात्रों ने लिखित रूप से कॉलेजों के खिलाफ शिकायत की थी। लेकिन जांच में कई छात्र पीछे हट गए।

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