संपादक- आर. कुमार
जिले के सुप्रसिद्ध सिंहेश्वर शिव मंदिर की ख्याति बिहार ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल तक फैली हुई है। लेकिन अब विडंबना यह है कि दूर- दराज के इलाकों में मौजूद मंदिर की संपत्ति की बिसात पर जब मुख्यालय सिंहेश्वर स्थित बाबा मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा सवालों के घेरे में है। इन दिनों मंदिर न्यास समिति कार्यालय के आसपास स्थित न्यास की जमीन पर रातों रात कच्ची दुकानों की संख्या में वृद्धि होने लगी है। केवल एक माह में अवैध तरीके से दर्जनों दुकानें बन गई है। वहीं बताया जा रहा है कि न्यास में कर्मियों से सेंटिंग कर प्रति दुकान 50 हजार से एक लाख रुपए तक की लेन-देन की गई है। लेकिन न्यास के अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ है। उन्हें यह भी नहीं मालूम है कि न्यास की जमीन पर बिना रोक-टोक दर्जनों दुकानें खड़ी हो रही है। हालांकि बताया जा रहा है कि न्यास के स्थानीय सरपरस्त ऐसे दुकानों से शुल्क की वसूली करते हैं। यही कारण है कि सब ने अपनी आंखें मूंद ली है।
न्यास के अधिकारियों की माने तो कुछ पुराने दुकानदारों को छोड़ कर किसी को दुकान बनाने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके लिए न्यास की बैठक यह चर्चा हुई थी कि केवल वहीं दुकानदार जिन पर लाखों रुपए पूर्व से बकाया है और वे बकाया का भुगतान करते हैं तो न्यास पुनः भूखंड आवंटन पर विचार करेगी। लेकिन आलम यह है कि न्यास के निर्णय के विरूद्ध मंदिर रोड से लेकर मंदिर परिसर के भीतर, मवेशी हाट रोड, मेला परिसर, बाइपास और न्यास कार्यालय के समीप दुकानें बन रही है।
बताया जा रहा है कि किसी को न्यास की जमीन पर दुकान बनाने से पहले न्यास कार्यालय में इसके लिए आवेदन देना होता है। इसके बाद न्यास समिति की बैठक में उक्त आवेदन को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस पर न्यास समिति स्वीकृति प्रदान करेगी या नहीं यह समिति पर निर्भर करती है। इधर, न्यास की बैठक की प्रतीक्षा किए बिना ही नए दुकानें बनने लगी है।
न्यास की हालिया कार्यप्रणाली से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। न्यास की जमीन पर रुपए का लेन-देन कर दुकान या घर बनाने के लिए आए दिन विवाद खड़ा होना आम बात हो गई है। कभी दुकानदार और न्यास कर्मी के बीच तो कभी स्टैंड पर शुल्क वसूली को लेकर झगड़े होते रहते हैं। हर तरफ कुव्यवस्था का आलम है। बताया जा रहा है कि न्यास की जमींन पर दुकान बनाने के लिए वैधानिक तरीके से अनुमति नहीं मिली है। स्थानीय लोग बताते हैं कि भूखंड आवंटन के लिए न्यास के खास लोग काम करते हैं। इनलोगों को खुश करने पर उन्हें आसानी से दुकान की जगह मिल जाती है। इस खुशनामा की रकम कभी-कभी तो लाखों में पहुंच जाती है, बशर्ते जगह उम्दा होनी चाहिए। मंदिर की खास जगह वही है, जहां श्रद्धालु आसानी से पहुंचें। जैसी जगह वैसी रकम।
हमारे आने से पूर्व किसी बैठक में कुछ पुराने दुकानदारों को जगह आवंटन का निर्णय लिया गया था। नए दुकानों को जगह देने की अनुमति नहीं दी गई है। अगर नए दुकान बसाए गए है तो न्यास कार्रवाई करते हुए उसे अविलंब खाली कराएगी।
मुकेश कुमार, डीडीसी सह सचिव, मंदिर न्यास समिति, सिंहेश्वर
जिले के सुप्रसिद्ध सिंहेश्वर शिव मंदिर की ख्याति बिहार ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल तक फैली हुई है। लेकिन अब विडंबना यह है कि दूर- दराज के इलाकों में मौजूद मंदिर की संपत्ति की बिसात पर जब मुख्यालय सिंहेश्वर स्थित बाबा मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा सवालों के घेरे में है। इन दिनों मंदिर न्यास समिति कार्यालय के आसपास स्थित न्यास की जमीन पर रातों रात कच्ची दुकानों की संख्या में वृद्धि होने लगी है। केवल एक माह में अवैध तरीके से दर्जनों दुकानें बन गई है। वहीं बताया जा रहा है कि न्यास में कर्मियों से सेंटिंग कर प्रति दुकान 50 हजार से एक लाख रुपए तक की लेन-देन की गई है। लेकिन न्यास के अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ है। उन्हें यह भी नहीं मालूम है कि न्यास की जमीन पर बिना रोक-टोक दर्जनों दुकानें खड़ी हो रही है। हालांकि बताया जा रहा है कि न्यास के स्थानीय सरपरस्त ऐसे दुकानों से शुल्क की वसूली करते हैं। यही कारण है कि सब ने अपनी आंखें मूंद ली है।
न्यास के अधिकारियों की माने तो कुछ पुराने दुकानदारों को छोड़ कर किसी को दुकान बनाने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके लिए न्यास की बैठक यह चर्चा हुई थी कि केवल वहीं दुकानदार जिन पर लाखों रुपए पूर्व से बकाया है और वे बकाया का भुगतान करते हैं तो न्यास पुनः भूखंड आवंटन पर विचार करेगी। लेकिन आलम यह है कि न्यास के निर्णय के विरूद्ध मंदिर रोड से लेकर मंदिर परिसर के भीतर, मवेशी हाट रोड, मेला परिसर, बाइपास और न्यास कार्यालय के समीप दुकानें बन रही है।
बताया जा रहा है कि किसी को न्यास की जमीन पर दुकान बनाने से पहले न्यास कार्यालय में इसके लिए आवेदन देना होता है। इसके बाद न्यास समिति की बैठक में उक्त आवेदन को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस पर न्यास समिति स्वीकृति प्रदान करेगी या नहीं यह समिति पर निर्भर करती है। इधर, न्यास की बैठक की प्रतीक्षा किए बिना ही नए दुकानें बनने लगी है।
न्यास की हालिया कार्यप्रणाली से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। न्यास की जमीन पर रुपए का लेन-देन कर दुकान या घर बनाने के लिए आए दिन विवाद खड़ा होना आम बात हो गई है। कभी दुकानदार और न्यास कर्मी के बीच तो कभी स्टैंड पर शुल्क वसूली को लेकर झगड़े होते रहते हैं। हर तरफ कुव्यवस्था का आलम है। बताया जा रहा है कि न्यास की जमींन पर दुकान बनाने के लिए वैधानिक तरीके से अनुमति नहीं मिली है। स्थानीय लोग बताते हैं कि भूखंड आवंटन के लिए न्यास के खास लोग काम करते हैं। इनलोगों को खुश करने पर उन्हें आसानी से दुकान की जगह मिल जाती है। इस खुशनामा की रकम कभी-कभी तो लाखों में पहुंच जाती है, बशर्ते जगह उम्दा होनी चाहिए। मंदिर की खास जगह वही है, जहां श्रद्धालु आसानी से पहुंचें। जैसी जगह वैसी रकम।
हमारे आने से पूर्व किसी बैठक में कुछ पुराने दुकानदारों को जगह आवंटन का निर्णय लिया गया था। नए दुकानों को जगह देने की अनुमति नहीं दी गई है। अगर नए दुकान बसाए गए है तो न्यास कार्रवाई करते हुए उसे अविलंब खाली कराएगी।
मुकेश कुमार, डीडीसी सह सचिव, मंदिर न्यास समिति, सिंहेश्वर
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