संपादक- आर. कुमार
बीएन मंडल विश्वविद्यालय अंतर्गत बीएड कॉलेजों के शिक्षण व्यवस्था में पारदर्शिता और नियमितता विकसित करने के लिए राजभवन ने कॉलेजों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। ऐसे शिक्षण संस्थानों में शिक्षक व छात्रों की उपस्थिति के साथ आधारभूत संरचना की क्या स्थिति है, इसका राजभवन पता लगा रही है। राजभवन निर्देश के आलोक में विवि ने बीएड कॉलेजों की जांच के लिए 4 सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है। कमेटी कॉलेजों का औचक निरीक्षण करेगी। हालांकि विवि ने कमेटी सदस्यों के नामों को गोपनीय रखा है। फिलवक्त राजभवन की सख्ती से बीएड कॉलेज प्रबंध में हड़कंप मच गया है। वहीं विवि प्रशासन भी हड़कत में आ गयी है। ज्ञात हो कि राजभवन में संपन्न कुलपति की बैठक में महामहिम कुलाधिपति ने बीएड शिक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के बिंदुओं के लिए एक फार्मेट बनाया है। इसमें उपस्थित छात्रों की संख्या, भूमि, भवन, वर्ग कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, पुस्तकों की संख्या, शिक्षण शुल्क, व्याख्याताओं की संख्या आदि की जांच की जाएगी। साथ ही शिक्षक कर्मचारियों के साथ-साथ कॉलेजों में छात्रों की नियमित उपस्थित की पड़ताल होगी। इसके अलावा इन महाविद्यालयों में जितनी जमीन होनी चाहिए, है कि नहीं। निर्माण की स्थिति संतोषजनक है, कि नहीं नहीं। इसी प्रकार कॉलेजों में लाइब्रेरी और लैब की व्यवस्था का जायजा लिया जाएगा। ज्ञात हो कि किसी बीएड कॉलेज की स्थापना के लिए एनसीटीई से मान्यता मिलती है। इसके बाद विश्वविद्यालय साइट निरीक्षण कर संबद्धता प्रदान किया जाता है।
पूर्णिया विश्वविद्यालय बनने के बाद बीएनएमयू तीन जिलों में सिमेट कर रह गयी है। कोसी प्रमंडल के तीन जिला सहरसा, सुपौल एवं मधेपुरा में 5 निजी, 5 अंगीभूत कॉलेजों के एक अध्यापक प्रशिक्षण कॉलेज सहरसा शेष बच गया है। वहीं 4 सदस्यीय कमेटी को बीएड कॉलेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता की जांच का जिम्मा दिया गया है। विवि टीम बीएड कॉलेजों का औचक निरीक्षण करेगी। इसके साथ ही शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रमुख पैमाना छात्रों की सीखने के स्तर और प्लेसमेंट को बनाया गया है। साथ ही शिक्षकों का पढ़ाते हुए वीडियो तैयार किया जाएगा।इधर, औचक निरीक्षण के दौरान कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति को लेकर कॉलेजों में संशय और डर का माहौल है। दरअसल कॉलेजों में नामांकित छात्रों की तुलना काफी कम उपस्थिति रहती है। ऐसे में बीएड कॉलेजों की मान्यता बचाए रखने की चुनौती होगी।
राजभवन के निर्देश के आलोक में 4 सदस्यीय जांच कमेटी बनायी गयी है। जांच कमेटी बीएनएमयू अंतर्गत निजी एवं अंगीभूत बीएड कॉलेजों का औचक निरीक्षण करेगी। इसके तहत छात्रों की संख्या, उपस्थिति, शिक्षकों के साथ कर्मचारी की संख्या, आधारभूत संरचना की जांच होगी।
प्रो डॉ फारूक अली, प्रतिकुलपति, बीएनएमयू
बीएन मंडल विश्वविद्यालय अंतर्गत बीएड कॉलेजों के शिक्षण व्यवस्था में पारदर्शिता और नियमितता विकसित करने के लिए राजभवन ने कॉलेजों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। ऐसे शिक्षण संस्थानों में शिक्षक व छात्रों की उपस्थिति के साथ आधारभूत संरचना की क्या स्थिति है, इसका राजभवन पता लगा रही है। राजभवन निर्देश के आलोक में विवि ने बीएड कॉलेजों की जांच के लिए 4 सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है। कमेटी कॉलेजों का औचक निरीक्षण करेगी। हालांकि विवि ने कमेटी सदस्यों के नामों को गोपनीय रखा है। फिलवक्त राजभवन की सख्ती से बीएड कॉलेज प्रबंध में हड़कंप मच गया है। वहीं विवि प्रशासन भी हड़कत में आ गयी है। ज्ञात हो कि राजभवन में संपन्न कुलपति की बैठक में महामहिम कुलाधिपति ने बीएड शिक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के बिंदुओं के लिए एक फार्मेट बनाया है। इसमें उपस्थित छात्रों की संख्या, भूमि, भवन, वर्ग कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, पुस्तकों की संख्या, शिक्षण शुल्क, व्याख्याताओं की संख्या आदि की जांच की जाएगी। साथ ही शिक्षक कर्मचारियों के साथ-साथ कॉलेजों में छात्रों की नियमित उपस्थित की पड़ताल होगी। इसके अलावा इन महाविद्यालयों में जितनी जमीन होनी चाहिए, है कि नहीं। निर्माण की स्थिति संतोषजनक है, कि नहीं नहीं। इसी प्रकार कॉलेजों में लाइब्रेरी और लैब की व्यवस्था का जायजा लिया जाएगा। ज्ञात हो कि किसी बीएड कॉलेज की स्थापना के लिए एनसीटीई से मान्यता मिलती है। इसके बाद विश्वविद्यालय साइट निरीक्षण कर संबद्धता प्रदान किया जाता है।
पूर्णिया विश्वविद्यालय बनने के बाद बीएनएमयू तीन जिलों में सिमेट कर रह गयी है। कोसी प्रमंडल के तीन जिला सहरसा, सुपौल एवं मधेपुरा में 5 निजी, 5 अंगीभूत कॉलेजों के एक अध्यापक प्रशिक्षण कॉलेज सहरसा शेष बच गया है। वहीं 4 सदस्यीय कमेटी को बीएड कॉलेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता की जांच का जिम्मा दिया गया है। विवि टीम बीएड कॉलेजों का औचक निरीक्षण करेगी। इसके साथ ही शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रमुख पैमाना छात्रों की सीखने के स्तर और प्लेसमेंट को बनाया गया है। साथ ही शिक्षकों का पढ़ाते हुए वीडियो तैयार किया जाएगा।इधर, औचक निरीक्षण के दौरान कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति को लेकर कॉलेजों में संशय और डर का माहौल है। दरअसल कॉलेजों में नामांकित छात्रों की तुलना काफी कम उपस्थिति रहती है। ऐसे में बीएड कॉलेजों की मान्यता बचाए रखने की चुनौती होगी।
राजभवन के निर्देश के आलोक में 4 सदस्यीय जांच कमेटी बनायी गयी है। जांच कमेटी बीएनएमयू अंतर्गत निजी एवं अंगीभूत बीएड कॉलेजों का औचक निरीक्षण करेगी। इसके तहत छात्रों की संख्या, उपस्थिति, शिक्षकों के साथ कर्मचारी की संख्या, आधारभूत संरचना की जांच होगी।
प्रो डॉ फारूक अली, प्रतिकुलपति, बीएनएमयू