जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्र में धूम-धाम के साथ अक्षय तृतीया पर्व मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने एक दूसरे को शरबत पिलाया। वहीं लोगों ने कहा कि कलयुग चल रहा है। आज के समय में भी ऐसे 8 चिरंजीव देवता और महापुरुष हैं जो जीवित हैं। इन्हीं 8 महापुरषों में एक भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम हैं, जिनकी जंयती अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता है। कहा जाता है कि इन्होंने क्रोध में भगवान गणेश को भी नहीं बख्शा था। परशुराम ने अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।
ऐसा इसलिए क्योंकि हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड की वजह से ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार करते जा रहा था। यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन को मार डाला।उसके बाद सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया जिनके वजह से परशुराम के माता ने अपने पति के वियोग में चिता पर सती हो गईं। जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें मिलने से इनकार कर दिया। इस बात पर परशुराम को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेस का एक दांत तोड़ दिया था।
ऐसा इसलिए क्योंकि हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड की वजह से ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार करते जा रहा था। यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन को मार डाला।उसके बाद सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया जिनके वजह से परशुराम के माता ने अपने पति के वियोग में चिता पर सती हो गईं। जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें मिलने से इनकार कर दिया। इस बात पर परशुराम को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेस का एक दांत तोड़ दिया था।