संपादक-आर.के.झा
हमारे जिन पुरखों ने शिक्षण संस्थानों का निर्माण कराया, वे प्रणम्य हैं. हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए. यह बात कुलपति प्रोफेसर डा अवध किशोर राय ने कही. वे सोमवार को हरिहर साह महाविद्यालय, उदाकिशुनगंज में महाविद्यालय के भूदाता हरिहर साह की प्रतिमा के लोकार्पणकर्ता के रूप में बोल रहे थे. कुलपति ने कहा कि जिस तरह मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू का निर्माण कर देश में शिक्षा की रोशनी फैलाई, उसी तरह हरिहर साह ने उदाकिशुनगंज के लिए शिक्षा का दीप जलाया.
हमें इस दीप को निरंतर जलाए रखना है. उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों ने हमें विरासत में जो शिक्षण संस्थान दिये हैं, उन्हें संवारने की जिम्मेदारी हमारी है. हम अपने-अपने स्तर से अपने संबंधित शिक्षण संस्थानों के विकास में योगदान देना चाहिए. कुलपति ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम निरंतर प्रयास से प्रगति पथ पर आगे बढ सकते हैं. महाविद्यालय के लिए भी यह बात सही है. यहाँ के सभी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक महाविद्यालय के विकास हेतु एकजुट हो. विश्वविद्यालय इसमें हरसंभव मदद करेगा. कुलपति ने कहा कि हमारे विद्यार्थियों में प्रतीभा की कोई कमी नहीं है और वे हर क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हैं. वे अपनी उर्जा एवं शक्ति को पठन-पाठन, खेलकूद आदि सकारात्मक कार्यों में लगाएं. कुलपति ने कहा कि शिक्षा के चार स्तंभ हैं- विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी एवं अभिभावक. विश्वविद्यालय के विकास में इन चारों स्तंभो का सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है. सभी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक विश्वविद्यालय के समग्र विकास हेतु कृतसंकल्पित हों. सब मिलकर बीएनएमयू में नया इतिहास लिखें. कुलपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ लिखने-पढने एवं गणना करने की क्षमता प्राप्त करना नहीं है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है. इसके लिए विद्यार्थियों के जीवन के सभी पहलुओं का विकास अपेक्षित है. हमारे विद्यार्थी सिर्फ ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि खेलकूद सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढें. साथ ही उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास भी हो.
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कक्षा के साथ-साथ खेल-कूद एवं अन्य सकारात्मक गतिविधियों में भी आएं. यदि हौसला बुलंद हो तो सीमित संसाधनों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है. मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.
कुलपति ने कहा कि अतीत में बिहार शिक्षा का क्षेत्र में काफी अग्रणी रहा है. यहाँ के विक्रमशिला विश्वविद्यालय, कहलगांव एवं नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा की अंतरराष्ट्रीय ख्याति रही है. लेकिन आज हम शिक्षा में काफी पीछे चले गये हैं. हमें गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान एवं भविष्य को संवारना है. हम अंधेरे को कोसें नहीं, अधेरे को दूर करने के लिए एक दीपक जलाएं. हम सबके हाथ में एक-एक दीपक रहेगा, तो एक दीपमाला बनेगी. फिर चारों ओर शिक्षा का प्रकाश फैलेगा और हमारे जीवन का अंधेरा दूर होगा.मुख्य अतिथि सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों, तीनों के लिए बायोमेट्रिक एटेन्डेस सिस्टम चालू करने और कक्षाओं की सीसीटीभी से मोनेटरिन्ग की माँग की. उन्होंने कहा कि अडिग आत्मविश्वास एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर हम सीमित संसाधनों में भी बेहतर कार्य किया जा सकता है. प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सभी महाविद्यालयों को नियमानुकूल मदद करेगा. प्रधानाचार्य डॉ. विश्वनाथ विवेका ने महाविद्यालय में विज्ञान एवं वाणिज्य के विभिन्न विषयों की पढ़ाई शुरू करने और सभी विषयों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराने की जरुरत बताई. इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ. रेणु कुशवाहा, भाजपा नेता विजय कुमार, हरिहर साह के पौत्र डा. वीरेन्द्र प्रसाद, पूर्व कुलानुशासक डॉ.अमोल राय, पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह, प्रधानाचार्य द्वय डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. माधवेन्द्र झा, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ. रणधीर कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.
हमारे जिन पुरखों ने शिक्षण संस्थानों का निर्माण कराया, वे प्रणम्य हैं. हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए. यह बात कुलपति प्रोफेसर डा अवध किशोर राय ने कही. वे सोमवार को हरिहर साह महाविद्यालय, उदाकिशुनगंज में महाविद्यालय के भूदाता हरिहर साह की प्रतिमा के लोकार्पणकर्ता के रूप में बोल रहे थे. कुलपति ने कहा कि जिस तरह मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू का निर्माण कर देश में शिक्षा की रोशनी फैलाई, उसी तरह हरिहर साह ने उदाकिशुनगंज के लिए शिक्षा का दीप जलाया.
हमें इस दीप को निरंतर जलाए रखना है. उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों ने हमें विरासत में जो शिक्षण संस्थान दिये हैं, उन्हें संवारने की जिम्मेदारी हमारी है. हम अपने-अपने स्तर से अपने संबंधित शिक्षण संस्थानों के विकास में योगदान देना चाहिए. कुलपति ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम निरंतर प्रयास से प्रगति पथ पर आगे बढ सकते हैं. महाविद्यालय के लिए भी यह बात सही है. यहाँ के सभी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक महाविद्यालय के विकास हेतु एकजुट हो. विश्वविद्यालय इसमें हरसंभव मदद करेगा. कुलपति ने कहा कि हमारे विद्यार्थियों में प्रतीभा की कोई कमी नहीं है और वे हर क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हैं. वे अपनी उर्जा एवं शक्ति को पठन-पाठन, खेलकूद आदि सकारात्मक कार्यों में लगाएं. कुलपति ने कहा कि शिक्षा के चार स्तंभ हैं- विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी एवं अभिभावक. विश्वविद्यालय के विकास में इन चारों स्तंभो का सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है. सभी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक विश्वविद्यालय के समग्र विकास हेतु कृतसंकल्पित हों. सब मिलकर बीएनएमयू में नया इतिहास लिखें. कुलपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ लिखने-पढने एवं गणना करने की क्षमता प्राप्त करना नहीं है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है. इसके लिए विद्यार्थियों के जीवन के सभी पहलुओं का विकास अपेक्षित है. हमारे विद्यार्थी सिर्फ ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि खेलकूद सहित सभी क्षेत्रों में आगे बढें. साथ ही उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास भी हो.
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कक्षा के साथ-साथ खेल-कूद एवं अन्य सकारात्मक गतिविधियों में भी आएं. यदि हौसला बुलंद हो तो सीमित संसाधनों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है. मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.
कुलपति ने कहा कि अतीत में बिहार शिक्षा का क्षेत्र में काफी अग्रणी रहा है. यहाँ के विक्रमशिला विश्वविद्यालय, कहलगांव एवं नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा की अंतरराष्ट्रीय ख्याति रही है. लेकिन आज हम शिक्षा में काफी पीछे चले गये हैं. हमें गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान एवं भविष्य को संवारना है. हम अंधेरे को कोसें नहीं, अधेरे को दूर करने के लिए एक दीपक जलाएं. हम सबके हाथ में एक-एक दीपक रहेगा, तो एक दीपमाला बनेगी. फिर चारों ओर शिक्षा का प्रकाश फैलेगा और हमारे जीवन का अंधेरा दूर होगा.मुख्य अतिथि सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों, तीनों के लिए बायोमेट्रिक एटेन्डेस सिस्टम चालू करने और कक्षाओं की सीसीटीभी से मोनेटरिन्ग की माँग की. उन्होंने कहा कि अडिग आत्मविश्वास एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर हम सीमित संसाधनों में भी बेहतर कार्य किया जा सकता है. प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सभी महाविद्यालयों को नियमानुकूल मदद करेगा. प्रधानाचार्य डॉ. विश्वनाथ विवेका ने महाविद्यालय में विज्ञान एवं वाणिज्य के विभिन्न विषयों की पढ़ाई शुरू करने और सभी विषयों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराने की जरुरत बताई. इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ. रेणु कुशवाहा, भाजपा नेता विजय कुमार, हरिहर साह के पौत्र डा. वीरेन्द्र प्रसाद, पूर्व कुलानुशासक डॉ.अमोल राय, पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह, प्रधानाचार्य द्वय डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. माधवेन्द्र झा, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ. रणधीर कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.