संपादक : आर.के.झा-
अगर आप मधेपुरा के शहरी या ग्रामीण इलाके में कहीं इलाज कराने जा रहे है तो सावधान हो जाइये. यहां सही सलामत नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलाजी की संख्या पांच भी नहीं है. मधेपुरा जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलाजी की संख्या पांच सौ के करीब बतायी जा रही है. लेकिन इसमें पांच भी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सही नहीं है.
स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार जिले में केवल 49 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का औपबंधिक पंजीयन करीब डेढ़ वर्ष पूर्व हुआ था. जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता व सिविल सर्जन के संयोजन में बैठक कर इनका पंजीयन किया गया. औपबंधिक पंजीयन की समय सीमा केवल छह माह की होती है. इसमें छह माह पहले ही 44 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी की पंजीयन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. इस प्रकार जिले में पांच नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी हैं जिन्हें वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग से औपबंधिक पंजीयन प्राप्त है. बताया जाता है कि औपबंधिक पंजीयन देने के समय ही स्वास्थ्य विभाग ने छह माह के भीतर एमसीआई के मानक अनुसार संसाधन व सुविधा को पूरा करने का निर्देश नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलाजी संचालक को दिया था. लेकिन एमसीआई के मापदंड को पूरा करने की बात तो दूर मधेुपरा में अधिकतर नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी अवैध रूप से संचालित हो रहे है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत निजी नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, क्लिनिक खोलने के लिए कई प्रावधान हैं, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. अगर इसे सख्ती से लागू किया जाये तो मधेपुरा में एक भी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी मानक पर खड़ा नहीं उतरेगा.
अगर आप मधेपुरा के शहरी या ग्रामीण इलाके में कहीं इलाज कराने जा रहे है तो सावधान हो जाइये. यहां सही सलामत नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलाजी की संख्या पांच भी नहीं है. मधेपुरा जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलाजी की संख्या पांच सौ के करीब बतायी जा रही है. लेकिन इसमें पांच भी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सही नहीं है.
स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार जिले में केवल 49 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का औपबंधिक पंजीयन करीब डेढ़ वर्ष पूर्व हुआ था. जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता व सिविल सर्जन के संयोजन में बैठक कर इनका पंजीयन किया गया. औपबंधिक पंजीयन की समय सीमा केवल छह माह की होती है. इसमें छह माह पहले ही 44 नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी की पंजीयन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. इस प्रकार जिले में पांच नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी हैं जिन्हें वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग से औपबंधिक पंजीयन प्राप्त है. बताया जाता है कि औपबंधिक पंजीयन देने के समय ही स्वास्थ्य विभाग ने छह माह के भीतर एमसीआई के मानक अनुसार संसाधन व सुविधा को पूरा करने का निर्देश नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलाजी संचालक को दिया था. लेकिन एमसीआई के मापदंड को पूरा करने की बात तो दूर मधेुपरा में अधिकतर नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी अवैध रूप से संचालित हो रहे है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत निजी नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, क्लिनिक खोलने के लिए कई प्रावधान हैं, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. अगर इसे सख्ती से लागू किया जाये तो मधेपुरा में एक भी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी मानक पर खड़ा नहीं उतरेगा.