संपादक : आर.के.झा-
मधेपुरा में फर्जी डॉक्टरों के भरोसे संचालित नर्सिंग होम में इलाज के दौरान बरती जा रही लापरवाही के कारण सोमवार को फिर एक महिला की मौत हो गयी. यहां मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. भर्राही ओपी क्षेत्र के गम्हरिया वार्ड संख्या सात निवासी मनीष कुमार के 25 वर्षीय पत्नी कंचन की मौत का मामला अभी ठंगा भी नहीं हुआ कि गम्हरिया थाना क्षेत्र में अवैध नर्सिंग होम के लापरवाही के कारण हुयी मौत का मामला सामने आया है. गम्हरिया थाना क्षेत्र के कौड़िहार तरावे पंचायत निवासी गुंजन देवी की मौत सोमवार देर रात इलाज के दौरान हो गयी. मंगलवार की सुबह उसके घर में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
मौके पर मौजूद जनप्रतिनिधियों ने मृतक के परिजनों को इंसाफ दिलाने के साथ-साथ दोषी अवैध नर्सिंग होम संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की. इस दौरान परिजनों ने बताया कि गुंजन देवी की शादी कौड़िहार तड़ावे निवासी रामकुमार राम से 3 वर्ष पूर्व पूर्व ही हुयी थी. इसी महीने 16 अक्टूबर को मृतका गुंजन को डिलीवरी करवाने के लिए परिजनों के द्वारा गम्हरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. वहां डॉक्टरों द्वारा प्राथमिक उपचार कर उसे मधेपुरा सदर अस्पताल रेफर कर दिया. सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाजरत प्रसुता का इलाज जारी रखा.
इलाज के दौरान गुंजन के परिजनों को सदर अस्पताल मधेपुरा में सक्रिय दलालों न अवैध नर्सिंग होम में बेहतर इलाज का प्रलोभन देना शुरू कर दिया. इस बीच परिजन दलालों के चक्कर में फंस गये और बेहतर इलाज के लिए मधेपुरा भीरखी स्थित जय भवानी सेवा सदन में प्रसुता को भर्ती कराया. भर्ती के दौरान मरीजों को नॉर्मल डिलीवरी करवाने की बात कही गई थी. लेकिन नॉर्मल डिलीवरी नहीं होने पर प्रसुता का आनन फानन में ऑपरेशन कर दिया गया. इसमें एक लड़का हुआ. इसके बाद वहां तैनात कर्मियों ने मरीज के परिजनों से सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिया गया. परिजनों ने जब यह पूछा कि दस्तखत क्यों करवाया जाता है तो बताया गया कि ऑपरेशन करवाने के लिए कुछ अस्पताल का रूल रेगुलेशन होता है.
इस बात पर परिजनों ने जब आनाकानी की तो संचालक के दलालों द्वारा कहा गया कि दस्तखत नहीं हुआ तो मरीज या बच्चे की मौत हो सकती है. इस दवाब में परिजनों ने हस्ताक्षर कर दिये. फर्जी डॉक्टरों के भरोसे संचालित अवैध नर्सिंग होम जय भवानी सेवा सदन में 19 अक्टूबर को मरीज की हालत बिगड़ गयी. हालत बिगड़ने पर उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. लेकिन सदर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मरीज की हालत ठीक नहीं देख उसे दरभंगा रेफर कर दिया गया. मरीज के परिजनों को लगा कि जब तक दरभंगा ले जाया जाए तब तक हालत नाजुक हो जायेगी. उन्हें सहरसा के गायत्री नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. वहां भी 12 दिनों तक इलाज जारी रहा उसके बाद मरीज की मौत हो गई. परिजनों द्वारा कहा गया कि जीवन डॉक्टरों के द्वारा दिया जाता है मगर जय भवानी सेवा सदन के कर्मियों की लापरवाही गुजंन की जान चली गयी.
मधेपुरा में फर्जी डॉक्टरों के भरोसे संचालित नर्सिंग होम में इलाज के दौरान बरती जा रही लापरवाही के कारण सोमवार को फिर एक महिला की मौत हो गयी. यहां मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. भर्राही ओपी क्षेत्र के गम्हरिया वार्ड संख्या सात निवासी मनीष कुमार के 25 वर्षीय पत्नी कंचन की मौत का मामला अभी ठंगा भी नहीं हुआ कि गम्हरिया थाना क्षेत्र में अवैध नर्सिंग होम के लापरवाही के कारण हुयी मौत का मामला सामने आया है. गम्हरिया थाना क्षेत्र के कौड़िहार तरावे पंचायत निवासी गुंजन देवी की मौत सोमवार देर रात इलाज के दौरान हो गयी. मंगलवार की सुबह उसके घर में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
मौके पर मौजूद जनप्रतिनिधियों ने मृतक के परिजनों को इंसाफ दिलाने के साथ-साथ दोषी अवैध नर्सिंग होम संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की. इस दौरान परिजनों ने बताया कि गुंजन देवी की शादी कौड़िहार तड़ावे निवासी रामकुमार राम से 3 वर्ष पूर्व पूर्व ही हुयी थी. इसी महीने 16 अक्टूबर को मृतका गुंजन को डिलीवरी करवाने के लिए परिजनों के द्वारा गम्हरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. वहां डॉक्टरों द्वारा प्राथमिक उपचार कर उसे मधेपुरा सदर अस्पताल रेफर कर दिया. सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाजरत प्रसुता का इलाज जारी रखा.
इलाज के दौरान गुंजन के परिजनों को सदर अस्पताल मधेपुरा में सक्रिय दलालों न अवैध नर्सिंग होम में बेहतर इलाज का प्रलोभन देना शुरू कर दिया. इस बीच परिजन दलालों के चक्कर में फंस गये और बेहतर इलाज के लिए मधेपुरा भीरखी स्थित जय भवानी सेवा सदन में प्रसुता को भर्ती कराया. भर्ती के दौरान मरीजों को नॉर्मल डिलीवरी करवाने की बात कही गई थी. लेकिन नॉर्मल डिलीवरी नहीं होने पर प्रसुता का आनन फानन में ऑपरेशन कर दिया गया. इसमें एक लड़का हुआ. इसके बाद वहां तैनात कर्मियों ने मरीज के परिजनों से सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिया गया. परिजनों ने जब यह पूछा कि दस्तखत क्यों करवाया जाता है तो बताया गया कि ऑपरेशन करवाने के लिए कुछ अस्पताल का रूल रेगुलेशन होता है.
इस बात पर परिजनों ने जब आनाकानी की तो संचालक के दलालों द्वारा कहा गया कि दस्तखत नहीं हुआ तो मरीज या बच्चे की मौत हो सकती है. इस दवाब में परिजनों ने हस्ताक्षर कर दिये. फर्जी डॉक्टरों के भरोसे संचालित अवैध नर्सिंग होम जय भवानी सेवा सदन में 19 अक्टूबर को मरीज की हालत बिगड़ गयी. हालत बिगड़ने पर उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. लेकिन सदर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मरीज की हालत ठीक नहीं देख उसे दरभंगा रेफर कर दिया गया. मरीज के परिजनों को लगा कि जब तक दरभंगा ले जाया जाए तब तक हालत नाजुक हो जायेगी. उन्हें सहरसा के गायत्री नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. वहां भी 12 दिनों तक इलाज जारी रहा उसके बाद मरीज की मौत हो गई. परिजनों द्वारा कहा गया कि जीवन डॉक्टरों के द्वारा दिया जाता है मगर जय भवानी सेवा सदन के कर्मियों की लापरवाही गुजंन की जान चली गयी.