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शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017

" दिव्यांग होना कोई गुनाह नहीं, गुनाह है उसको सहारा बनाकर बेसहारा बन जाना- मुरारी " आइये जानते हैं एक दिव्यांग की प्रेरक कहानी जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है.

" दिव्यांग होना कोई गुनाह नहीं, गुनाह है उसको सहारा बनाकर बेसहारा बन जाना- मुरारी "

आइये आपको मिलाते हैं एक ऐसे शक्श से जो दोनों आँखों से अँधा है, न देख पाते हैं और न किसी प्रकार की उसको सहारा है लेकिन वो इस अंधेपन को अपनी मजबूरी, किस्मत पर रोना, बेसहारे की जिन्दगी नहीं बनने दिया बल्कि उससे लड़ते हुए जिन्दगी के दौर में आगे चल रहे हैं, वो विकलांगता को अपनी किस्मत की मजबूरी समझकर न ही भीख मांगकर खाते हैं और न ही अपने तरह किसी प्रकार के दिव्यांग को भीख मांगने की सिख देते हैं. वो कहते हैं तो बस इतना ही कि अँधा हो जाना, दिव्यांग हो जाना हमारे बस की बात नहीं थी लेकिन जब ऊपर वाले ने ऐसा कर ही दिया तो इसे अपनी मजबूरी नहीं इसे अपना हथियार बनाकर जिन्दगी से लड़ना ही एक कर्तव्य है. शहर में आप घूमते-फिरते कई ऐसे लोगों को देखते होंगे, अपने आस-पास कई ऐसे लोगों से आपकी मुलाकात हो जाती होगी जिसको देखकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाते होंगे आखिर ये आदमी इतना कर कैसे लेता है ? आखिर इस व्यक्ति में इतनी शक्ति कैसे है ? बस ऐसे ही कई सवाल बिहार के मधेपुरा जिले में मुरारी नामक एक व्यक्ति को देखकर लगता है. 


मुरारी के घर में एक माँ है और एक भाई. भाई अपने परिवार के साथ अलग रहते लेकिन मुरारी अपनी माँ के साथ रहते हैं. मुरारी दोनों आँखों से अंधे हैं. मुरारी से जब पूछा गया कि आपको दीखता है कि नहीं थोडा सा भी तो मुरारी ने जो बताया वो जानकर दंग रह गये मुरारी बताते हैं कि बचपन में हल्का-फलका दिखाई पड़ता था. पिताजी की चाय दुकान थी जिसपर रहते थे लेकिन धीरे-धीरे बड़े होने के बाद आंख की रौशनी भी चली जाती रही. शहर के कई लोग बताते हैं मुरारी को बस कुछ पैसे के कारण इलाज नहीं हो पाया और मुरारी अँधा होता चला गया. मुरारी बताते हैं कई बार जिला प्रशासन से लेकर कई पदाधिकारी के पास आवेदन दिया, जाकर मिला, मीडिया ने भी कई बार छापा लेकिन किसी ने भी इस दिव्यांग की कोई सुधि नहीं ली और किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल पाई. मुरारी को मिलती है तो मदद के नाम पर सिर्फ दो सौ रूपये वाला दिव्यांग को मिलने वाला पेंशन जो साल-छः महीने में एक बार कभी 500-1000 रूपये मिलते हैं. मुरारी के साथ माँ रहती है जो मुरारी की देखभाल करती हैं, भाई अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं मुरारी को किसी भी प्रकार की मदद नही करते हैं. जब मुरारी से इस बात पर चर्चा करते हैं तो वो रोने लगते हैं और कहते हैं किसी ने भी मदद नहीं किया. न कोई भी सरकार ने और न कोई भी पदाधिकारी ने रात में ऐसे ही सोना पड़ता है, मच्छरदानी तक नहीं है पूरी रात मच्छर काटते रहता है सो भी नहीं पाते हैं. बहुत कष्ट में जीवन बिताना पड़ रहा है.

आइये अब जानते हैं मुरारी के असल जिन्दगी के बारे में.
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मुरारी पूरी तरह अंधे हैं लेकिन जब उनसे ये पूछा गया आप भीख मांग कर क्यूँ नहीं खाते तो उनका जबाब सुनकर सभी दंग रहे गये उन्होंने कहाँ भीख मांगकर खाना और असम्मान की जिन्दगी जीना उसे पसंद नहीं है. आखिर सोचिये ये कितने स्वाभिमानी है. उन्होंने कहा भीख मांगकर कभी नहीं खाना चाहिए इससे हमारी स्वाभिमान को ठेस पहुँचती है. भगवान ने हमें अँधा जरुर बनाया लेकिन उन्होंने ही हमें हाथ-पैर भी दिया है मेहनत करके खाने के लिए. उन्होंने कहा हमारे जैसे कोई भी दिव्यांग व्यक्ति हैं वो कदापि भी भीख मांगने का सहारा न ले वो मेहनत करके किसी भी प्रकार से खाएं वो उनको स्वाभिमान को बढ़ाते हुए जिन्दगी जीने को प्रेरित करेगा. मुरारी मधेपुरा शहर के ही थाना चौक से लेकर कचहरी चौक तक पान मशाला बेचते हैं. मुरारी को मधेपुरा के गली-गली के बच्चे से लेकर बूढ़े तक पहचानते हैं. मुरारी पान मशाला बेचते हैं और उसी से अपनी जीवन को जीते हैं. उनके बारे में कई प्रकार की बातें जानकर आप दंग रह जायेंगे सोचिये एक व्यक्ति दोनों आँखों से दिव्यांग होते हुए खुद से कमाकर अपनी और अपनी माँ के जीविका को चलाते हैं. मुरारी बताते हैं माँ है मेरे साथ जो मेरी देखभाल करती है. मैं जब भी घर जाता हूँ पान मशाला सब बेचकर तब माँ हमें खाना खिलाती है और माँ ही मेरी पूरी तरह देखभाल करती है. ऐसे व्यक्ति को देखकर कई प्रकार के सवाल पैदा होते हैं. सोचिये जिस देश में करोड़ों के घोटाले हो जाते हैं, नेताओं के चाय नास्ते तक में करोड़ो रूपये का खर्च हो जाता हो उस देश में आखिर एक मानव की भी मदद सरकार नहीं कर पाती है क्यूँ ?
जिस देश में अमीरों के कुत्ते पांच से दस लाख रूपये के खाना खाते हो उस देश में आज भी लोग नाला का गन्दा पानी पीने को मजबूर क्यों है ? हमने कभी सोचा है ? हम कुछ भी हैं सबसे पहले मानव हैं. अपने अन्दर के मानवता को जगाना हमारा फर्ज है और किसी भी प्रकार की भी सामाजिक बुराइयों से लड़ना हमारा पहला फर्ज.
इस देश की मीडिया के लिए हनिप्रित और राम रहीम के सम्बन्ध में एक्सक्लूसिव जानकारी जुटाने, सलमान खान की शादी की चिंता में छाती पीटने और नीता अम्बानी कितनी की चाय पीती है उसकी खोज करने से बाहर ही नहीं आ पाती है जो विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर असली महत्त्व समझते हुए बहस कर सकें.
इस देश ने कई बड़े नेता, अभिनेता, अभिनेत्री, गायक से लेकर प्रशासनिक लोगों का इंटरव्यू देखा होगा लेकिन न्यूज़ एक्सप्रेस नाउ और मधेपुरा एक्सप्रेस की युवा टीम ने मुरारी जैसे दिव्यांग व्यक्ति की इंटरव्यू करके समाज को सन्देश देने का कार्य किया है. हमारे आस-पास भी हीरोज रहते हैं बस उसे सामने लाना जरुरी होना चाहिए. मुरारी के इंटरव्यू से उन करोड़ों लोगों को एक सन्देश जाता है कि दिव्यांग होना हमारी मजबूरी नहीं है उससे डटकर लड़ना चाहिए. आदमी जबतक दिमागी रूप से विकलांग नहीं हो जाता तब तक वो किसी भी प्रकार की मजबूरियों से लड़ सकता है. आइये हम आपको मुरारी का पूरा इंटरव्यू दिखाते हैं जिसमे हमारी टीम ने एक छोटा सा प्रयास किया है. अच्छा लगे तो यूट्यूब चैनेल सब्सक्राइब करते हुए विडियो डाउनलोड करें और शेयर करें ताकि उन लाखों लोगों तक ये सन्देश पहुँच सके कि दिव्यांग होना कोई बुरी बात नहीं है और इसके कारण भीख मांगकर नहीं खाए बस स्वाभिमान के साथ मेहनत करके खाए और अपनी जिन्दगी को जिएं.....


आइये देखते हैं मुरारी जी का इंटरव्यू-

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