समाज एवं शिक्षा में प्रगति के लिए निरंतर परिवर्तन की जरूरत पड़ती है। यही कारण है कि शिक्षा नीति में भी निरंतर परिवर्तन एवं परिमार्जन होते रहता है। हमें सकारात्मक परिवर्तनों का स्वागत करना चाहिए। यह बात कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध किशोर राय ने कही। वे शुक्रवार को नये कैम्पस में आयोजित 'इम्पलिमेंटेशन आॅफ च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम इन सेमेस्टर सिस्टम' विषयक कार्यशाला के उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय एवं काउंसिल आॅफ केमिकल साइंस के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
कुलपति ने कहा कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम वैश्विक जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसका उद्देश्य है कि हमारे विद्यार्थी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कंपीट कर सकें।
उन्होंने बताया कि भारत में यह प्रणाली 2008 से अपनाई गयी है। हमारे निकटवर्ती टीएमबीयू, भागलपुर में भी यह लागू हो चुका है। हमें यहाँ भी इसे यथाशीघ्र लागू करना है।
उन्होंने कहा कि किसी दिशा में आगे बढने से पहले सही रास्ते की पहचान आवश्यक है। हम चलने से पहले रास्ते को ठीक करें। शिक्षा की किसी नयी पद्धति को अपनाने के संदर्भ में भी यह आवश्यक है। हम च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के बारे में अपनी समझ विकसित करें। यह वर्कशाप उस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे एक रास्ता भी निकलना चाहिए, जो हमारे विश्वविद्यालय में इस सिस्टम को लागू करने में मददगार हो।
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली ने कहा कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम सतत मूल्यांकन की पद्धति है। इसके लिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी एवं शिक्षक भी पठन-पाठन से सतत रूप से जुड़ें।
आयोजन सचिव नरेश कुमार ने कहा कि यह वर्कशाप च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को सही रूप में लागू करने में मददगार होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. चंद्रकांत यादव ने की। संचालन डॉ. अबुल फजल और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कैलाश यादव ने किया।
इस अवसर पर विज्ञान सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. रणजीत मिश्र, सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. शिवमुनि यादव, मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानंज्य द्विवेदी, शिक्षा संकायाध्यक्ष राणा जयराम सिंह, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. एस. एन. विश्वास, डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ. एम. वाई. रहमान, डॉ. के. एस. ओझा, डॉ. के. पी. यादव, डॉ. आर. के. पी. रमण, डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप, डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।
कुलपति ने कहा कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम वैश्विक जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसका उद्देश्य है कि हमारे विद्यार्थी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में कंपीट कर सकें।
उन्होंने बताया कि भारत में यह प्रणाली 2008 से अपनाई गयी है। हमारे निकटवर्ती टीएमबीयू, भागलपुर में भी यह लागू हो चुका है। हमें यहाँ भी इसे यथाशीघ्र लागू करना है।
उन्होंने कहा कि किसी दिशा में आगे बढने से पहले सही रास्ते की पहचान आवश्यक है। हम चलने से पहले रास्ते को ठीक करें। शिक्षा की किसी नयी पद्धति को अपनाने के संदर्भ में भी यह आवश्यक है। हम च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के बारे में अपनी समझ विकसित करें। यह वर्कशाप उस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे एक रास्ता भी निकलना चाहिए, जो हमारे विश्वविद्यालय में इस सिस्टम को लागू करने में मददगार हो।
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली ने कहा कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम सतत मूल्यांकन की पद्धति है। इसके लिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी एवं शिक्षक भी पठन-पाठन से सतत रूप से जुड़ें।
आयोजन सचिव नरेश कुमार ने कहा कि यह वर्कशाप च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को सही रूप में लागू करने में मददगार होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. चंद्रकांत यादव ने की। संचालन डॉ. अबुल फजल और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कैलाश यादव ने किया।
इस अवसर पर विज्ञान सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. रणजीत मिश्र, सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. शिवमुनि यादव, मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानंज्य द्विवेदी, शिक्षा संकायाध्यक्ष राणा जयराम सिंह, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. एस. एन. विश्वास, डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ. एम. वाई. रहमान, डॉ. के. एस. ओझा, डॉ. के. पी. यादव, डॉ. आर. के. पी. रमण, डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप, डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।