पटना । पटना एम्स के परिसर में मंगलवार को मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। पैसे के अभाव में एक बाप एंबुलेंस नहीं कर सका और अपनी बेटी का शव कंधे पर लेकर घूमता रहा। बेटी की इलाज के लिए आये दंपति अपनी बेटी का शव लेकर निराश होकर सहायता के लिए इधर-उधर देखते रहे।
मां-बाप का आरोप था कि अस्पताल में न ही पर्चा काटा न ही किसी डॉक्टर ने हाल-चाल ही लिया। बिना इलाज के ही उनकी छोटी-सी बच्ची की मौत हो गयी और जब शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं कर सका तो शव को पैदल ही कंधे पर लादकर ले गया।
जिस अस्पताल में गरीब मरीजों के इलाज के लिए सरकार करोड़ों- करोड़ की राशि खर्च की जा रही है, वहीं भीड़- भाड़ के चलते काफी दूर जमुई के कजरा से मासूम बेटी के इलाज के लिए बड़ी ही उम्मीदों के साथ पटना एम्स आये गरीब परिवार को निराशा हाथ लगी।
इस गरीब परिवार पर ओपीडी में पर्चा कटवाने के समय न तो किसी गार्ड ने मदद की और न ही अस्पताल के किसी कर्मी ने।
जमुई जिला के कजरा निवासी मजदूर रामबालक पत्नी संजू के साथ अपनी बेटी रोशन को दिखाने के लिए पटना एम्स पहुंचा था। रामबालक बेटी के इलाज के लिए पुर्जा कटाने के लिए लाइन में खड़े थे तभी काउंटर पर कार्यरत कर्मियों ने यह कह कर पुर्जा नहीं काटा कि समय खत्म हो गया है।
रामबालक की बेटी रोशन को बुखार और पेट दर्द की शिकायत थी। इस दौरान बच्ची की मौत हो गयी। गरीबी की वजह से वह अपनी बेटी के लिए एंबुलेंस की भी व्यवस्था नहीं कर सका और न ही कोई मदद मिली। गरीब रामबालक अपनी बेटी के शव को कंधे पर लेकर पैदल ही एम्स परिसर से चला गया।
एम्स निदेशक ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं हुई
एम्स निदेशक डाॅ प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि जमुई से इलाज के लिए बच्ची आयी थी, मगर उसका पुर्जा नहीं कटा था न ही किसी डाॅक्टर ने देखा था। उन्होंने कहा मैं स्वयं ओपीडी में तैनात सभी डाॅक्टरों समेत गार्ड से गहन पूछताछ की। कोई भी ऐसी बात नहीं कही गई, एम्स परिसर में चार एंबुलेंस उपलब्ध हैं।