संपादक- आर.के. झा
भारतीय पोषण संघ भागलपुर चैप्टर एवं पीजी होम साइंस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस में स्थानीय उपलब्ध फलों से पेय पदार्थों का निर्माण विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन प्रभारी कुलपति प्रो डॉ फारूक अली ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यशाला का समापन 14 अक्टूबर को पीजी गृह विज्ञान विभाग में किया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग की हेड डॉ सुरेखा रानी ने की। उद्घाटनकर्ता प्रभारी कुलपति को विभाग की ओर से बुके देकर सम्मानित किया गया। अतिथियों के सम्मान में छात्रा मीरा कुमारी ने स्वागत गान प्रस्तुत की।
वर्कशॉप के आयोजन सचिव व एनएसआई भागलपुर चैप्टर के संयुक्त संयोजक डॉ दीपक कुमार दिनकर ने उद्घाटन सत्र में कार्यशाला के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा। डॉ दिनकर ने कहा की पूरे देश में एनएसआई के 36 चैप्टर हैं जिनमें बिहार सहित पूर्वोत्तर भारत में भागलपुर भी एक चैप्टर है। 1- 3 नवम्बर को असम के जोरहाट में एनएसआई का राष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित होगी। जिसमे भागलपुर, मधेपुरा,पूर्णिया,सहरसा सहित बिहार के अन्य जिलों के प्रतिभागी भाग लेंगे।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रभारी कुलपति डॉ फारूक अली ने कहा की मधेपुरा में फलों की प्रचुरता है। यहाँ कच्चे माल की प्रचुरता है। इसका प्रोसेसिंग करने की जरुरत है ताकि स्थानीय किसानों को इसका लाभ मिल सके। विश्वविद्यालय को सामाजिक सरोकार से जोड़ने की जरुरत है। मधेपुरा में फूड प्रोसेसिंग की अपार संभावनाएं हैं। इस तरह का कार्यशाला छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा। प्रभारी कुलपति डॉ अली ने कहा की विश्विविद्यालय के सभी विभागों में सेमिनार, कार्यशाला,कॉन्फ़्रेन्स आदि के आयोजन पर बल दिया जाएगा।
सामाजिक विज्ञान के डीन डॉ शिवमुनि यादव ने कहा की इस तरह के आयोजन से छात्राओं को काफी लाभ मिलेगा साथ ही विश्वविद्यालय का नैक मूल्यांकन में मील का पत्थर साबित होगा। मधेपुरा में रसदार फलों की अत्यधिक खेती होती है। गुलाबखास आम और केला यहाँ की खासियत है।
अर्थशास्त्र की शिक्षिका डॉ प्रज्ञा सिन्हा ने कहा की स्थानीय फलों से बनने वाले उत्पाद आर्थिक स्वरोजगार को भी बढ़ावा देता है।
आरजेएम कॉलेज सहरसा की शिक्षिका डॉ रीना सिन्हा ने कहा की ताजे फलों में पौष्टिकता अधिक होती है।
वर्कशॉप के दौरान भागलपुर से आए विशेषज्ञ डॉ इरशाद आलम ने केला, अमरुद, आम, लीची, पपीता, अंगूर, अनार आदि फलों से पेय पदार्थों को बनाने का हुनर प्रतिभागियों को सिखाया।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में मधेपुरा, सहरसा,पूर्णिया,किशनगंज,अररिया,फारबिसगंज,सुपौल,कटिहार आदि जिलों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
मंच संचालन केमिस्ट्री के प्रो नरेश कुमार कर रहे थे।
इस मौके पर कॉमर्स के डीन डॉ एस एन विश्वास, डॉ बिमला, डॉ रीता सिंह, दया राम यादव, सिकंदर कुमार, डॉ रमन कुमार, डॉ अर्चना सिंह, अजीत कुमार अजय सहित होम साइंस की छात्रा जयश्री कुमारी, आद्या कुमारी, चंदा, गुलफशां परवीन, जेबा परवीन, मोनिका, स्वीटी कुमारी, संतोष कुमार, वंदना, सदफ, मधु, कौशल मणि, रीना सहित बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद थी।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ बिमला कुमारी ने की।
भारतीय पोषण संघ भागलपुर चैप्टर एवं पीजी होम साइंस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस में स्थानीय उपलब्ध फलों से पेय पदार्थों का निर्माण विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन प्रभारी कुलपति प्रो डॉ फारूक अली ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यशाला का समापन 14 अक्टूबर को पीजी गृह विज्ञान विभाग में किया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग की हेड डॉ सुरेखा रानी ने की। उद्घाटनकर्ता प्रभारी कुलपति को विभाग की ओर से बुके देकर सम्मानित किया गया। अतिथियों के सम्मान में छात्रा मीरा कुमारी ने स्वागत गान प्रस्तुत की।
वर्कशॉप के आयोजन सचिव व एनएसआई भागलपुर चैप्टर के संयुक्त संयोजक डॉ दीपक कुमार दिनकर ने उद्घाटन सत्र में कार्यशाला के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा। डॉ दिनकर ने कहा की पूरे देश में एनएसआई के 36 चैप्टर हैं जिनमें बिहार सहित पूर्वोत्तर भारत में भागलपुर भी एक चैप्टर है। 1- 3 नवम्बर को असम के जोरहाट में एनएसआई का राष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित होगी। जिसमे भागलपुर, मधेपुरा,पूर्णिया,सहरसा सहित बिहार के अन्य जिलों के प्रतिभागी भाग लेंगे।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रभारी कुलपति डॉ फारूक अली ने कहा की मधेपुरा में फलों की प्रचुरता है। यहाँ कच्चे माल की प्रचुरता है। इसका प्रोसेसिंग करने की जरुरत है ताकि स्थानीय किसानों को इसका लाभ मिल सके। विश्वविद्यालय को सामाजिक सरोकार से जोड़ने की जरुरत है। मधेपुरा में फूड प्रोसेसिंग की अपार संभावनाएं हैं। इस तरह का कार्यशाला छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा। प्रभारी कुलपति डॉ अली ने कहा की विश्विविद्यालय के सभी विभागों में सेमिनार, कार्यशाला,कॉन्फ़्रेन्स आदि के आयोजन पर बल दिया जाएगा।
सामाजिक विज्ञान के डीन डॉ शिवमुनि यादव ने कहा की इस तरह के आयोजन से छात्राओं को काफी लाभ मिलेगा साथ ही विश्वविद्यालय का नैक मूल्यांकन में मील का पत्थर साबित होगा। मधेपुरा में रसदार फलों की अत्यधिक खेती होती है। गुलाबखास आम और केला यहाँ की खासियत है।
अर्थशास्त्र की शिक्षिका डॉ प्रज्ञा सिन्हा ने कहा की स्थानीय फलों से बनने वाले उत्पाद आर्थिक स्वरोजगार को भी बढ़ावा देता है।
आरजेएम कॉलेज सहरसा की शिक्षिका डॉ रीना सिन्हा ने कहा की ताजे फलों में पौष्टिकता अधिक होती है।
वर्कशॉप के दौरान भागलपुर से आए विशेषज्ञ डॉ इरशाद आलम ने केला, अमरुद, आम, लीची, पपीता, अंगूर, अनार आदि फलों से पेय पदार्थों को बनाने का हुनर प्रतिभागियों को सिखाया।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में मधेपुरा, सहरसा,पूर्णिया,किशनगंज,अररिया,फारबिसगंज,सुपौल,कटिहार आदि जिलों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
मंच संचालन केमिस्ट्री के प्रो नरेश कुमार कर रहे थे।
इस मौके पर कॉमर्स के डीन डॉ एस एन विश्वास, डॉ बिमला, डॉ रीता सिंह, दया राम यादव, सिकंदर कुमार, डॉ रमन कुमार, डॉ अर्चना सिंह, अजीत कुमार अजय सहित होम साइंस की छात्रा जयश्री कुमारी, आद्या कुमारी, चंदा, गुलफशां परवीन, जेबा परवीन, मोनिका, स्वीटी कुमारी, संतोष कुमार, वंदना, सदफ, मधु, कौशल मणि, रीना सहित बड़ी संख्या में छात्राएं मौजूद थी।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ बिमला कुमारी ने की।