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बुधवार, 18 अक्टूबर 2017

निर्देशों का पालन नहीं करने पर रद्द हो सकती है बीएड कॉलेज की मान्यता

संपादक: आर.के.झा- भूपेंद्र नारायण मंडल विवि अंतर्गत बीएड कॉलेजों में संसाधनों की कमी रहने एवं नीतिसंगत निर्देशों का पालन नहीं होने पर एनसीटीई ऐसे कॉलेजों का मान्यता रद्द करने की कार्रवाई कर सकती है. बताया जाता है कि एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार कॉलेजों में संसाधनों की उपलब्धता अनिवार्य है. तभी गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दे कर योग्य शिक्षक तैयार किये जा सकते  हैं. वहीं विवि अधिनियम के अंतर्गत संबंधन प्राप्त महाविद्यालय को नामांकन अध्यादेश एवं परीक्षा परिनियम को मानना बाध्याकारी है. इस संबंध में एनसीटीई के दिशा निर्देश में स्पष्ट है कि राज्य सरकार की शर्ते एवं संबंधन देने वाले विवि के शर्तो के आलोक में कॉलेजों को कार्य करना होगा. परंतु कुलाधिपति कार्यालय के द्वारा अनुमोदित नामांकन अध्यादेश एवं राज्य सरकार द्वारा निर्गत पत्र को शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों द्वारा बीएन मंडल विवि में इसका पालन नहीं किया जा रहा है.


चूंकि बीएड नामांकन में दो वर्ष के लिए प्रति वर्ष पचास पचास हजार रूपया नामांकन फीस लेने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. इसके बावजूद निर्धारित फीस से अधिक फीस लेने की बाते समाने आ रही है. इस संबंध में दर्जनों छात्रों ने प्रतिकुलपति प्रो डा फारूक अली से मिल कर लिखित आवेदन देकर इसकी शिकायत की. छात्रों की शिकायत पर ही बुधवार को बीएड संबंधी बैठक विवि में बुलायी गयी थी. विवि के जानकार बताते है कि इन सब बातों की जानकारी अगर एनसीटीई भूवनेश्वर को चली जाती है तो ऐसे कॉलेजों की मान्यता पर भी प्रश्न चिन्ह लग सकता है और एनसीटीई कॉलेजों की मान्यता रद्द कर सकती है. गौरतलब है कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) की इस्टर्न रीजन काउंसिल (ईआरसी) ने राजधानी समेत राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित 9 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है. इसके अलावा काउंसिल ने राज्य भर के 7 बीएड कॉलेजों को शोकॉज नोटिस जारी करते हुए 21 दिनों के अंदर जवाब तलब किया है जबकि 26 कॉलेजों द्वारा मान्यता अथवा बीएड या डीईएलईडी कोर्स शुरू करने के लिए दिये गये आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया है. बताया जा रहा है कि समय मिलने के बाद भी शर्तें पूरी नहीं करने वाले कॉलेजों के खिलाफ यह कार्रवाई की गयी है.  बताया गया है कि जिन कॉलेजों की बीएड की मान्यता रद्द की गयी है, उनमें कुछ को वर्ष 2013, कुछ को 2014 व कुछेक को 2015 में नोटिस दिया गया था. इसके बावजूद कॉलेजों ने अब तक न तो स्थायी रूप से शिक्षकों की नियुक्ति की है और न ही नोटिस का समुचित जवाब दिया है. इस कारण अंतत: आगामी शैक्षणिक सत्र से मान्यता रद्द करने का निर्णय लिया गया. हालांकि मान्यता को लेकर संबंधित विश्वविद्यालय व कॉलेज को अपील करने का अधिकार दिया गया है.

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