●Dr. Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: बीएनएमयू, मधेपुरा के शैक्षणिक परिसर स्थित विश्वविद्यालय रसायनशास्त्र विभाग द्वारा “नेक्स्ट जेनरेशन केमिस्ट्री इनोवेशन्स ड्राइविंग द फ्यूचर” विषयक दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन कुलपति प्रो बीएस झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
उद्घाटन समारोह में प्रो रणजीत वर्मा, प्रो प्रेम मोहन मिश्रा, एचओडी प्रो. नरेश कुमार, विश्वविद्यालय के सभी डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, अतिथिगण, प्राध्यापकगण एवं शोधार्थियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त विद्वान रसायनज्ञ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। आईआईटी कानपुर, आईआईटी धनबाद, आईआईटी अहमदाबाद सहित अन्य संस्थानों से नामचीन वैज्ञानिकों की सक्रिय भागीदारी ने सम्मेलन को शोध और नवाचार के नए आयाम प्रदान किए। शोधार्थियों के लिए यह एक विशेष अवसर रहा, जब उन्हें अग्रणी वैज्ञानिकों के विचारों और मार्गदर्शन का लाभ मिला।
सम्मेलन के पहले दिन कुल 20 शोधार्थियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। इन प्रस्तुतियों में हरित रसायन , नैनो मटेरियल्स , नैनो टेक्नोलॉजी , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , और डेटा साइंस के रसायन शास्त्र में संभावित अनुप्रयोगों पर गहन चर्चा की गई। प्रतिभागियों ने यह दर्शाया कि कैसे नई तकनीकें रसायन शास्त्र के अध्ययन और उपयोग को अधिक सटीक, समय-बचत करने वाला और मानवीय कल्याण उन्मुख बना सकती हैं।
कुलपति प्रो बीएस झा ने कहा कि आने वाले समय में रसायन शास्त्र का महत्व और भी बढ़ने वाला है। उन्होंने रसायनज्ञों और शिक्षकों को यह आह्वान किया कि वे मानव कल्याण के लिए अनुसंधान को केंद्र में रखते हुए, हरित रसायन, नैनो टेक्नोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा डेटा साइंस का अधिकाधिक उपयोग करें।
प्रो. झा ने विशेष रूप से यह भी कहा कि आज की पीढ़ी के वैज्ञानिकों को शोध के साथ-साथ समाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करना चाहिए ताकि वैज्ञानिक खोजें सीधे जनमानस के जीवन में उपयोगी साबित हो सकें।
प्रो. रणजीत वर्मा ने कहा कि रसायन शास्त्र मानव जीवन की हर गतिविधि में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। चाहे भोजन का उत्पादन हो, दवाइयों का निर्माण हो, ऊर्जा की बचत हो या पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहल—हर क्षेत्र में रसायन शास्त्र की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को यह समझना होगा कि रसायन केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्यावहारिक उपयोग के साथ गहराई से जुड़ा है।
कीनोट एड्रेस प्रस्तुत करते हुए प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि आज रसायन शास्त्र न केवल संसाधनों की कमी को पूरा करने की दिशा में सहायक है बल्कि मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा और संवर्धन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि नए-नए औषधीय यौगिकों की खोज, पर्यावरण-मित्र तकनीकियों का विकास और मानव जीवन को आसान बनाने वाले पदार्थों का निर्माण रसायनज्ञों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
दो दिसवीय नेशनल कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए एचओडी प्रो. नरेश कुमार ने कहा कि “नेक्स्ट जेनरेशन केमिस्ट्री इनोवेशन्स ड्राइविंग द फ्यूचर” जैसे विषय की प्रासंगिकता आज के दौर में और भी बढ़ जाती है। उन्होंने इसे समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि रसायन शास्त्र मानव के हर मर्ज की दवा है। आधुनिक युग की चुनौतियों—जैसे ऊर्जा संकट, पर्यावरण प्रदूषण, स्वास्थ्य समस्याएँ और औद्योगिक विकास—का समाधान रसायन शास्त्र के नवाचारों से ही संभव है। उन्होंने शोधार्थियों को यह प्रेरणा दी कि वे नई सोच और नए दृष्टिकोण के साथ शोध करें और समाज को बेहतर भविष्य देने में योगदान दें।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनिल कुमार ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कुलपति, अतिथि विद्वानों, प्रतिभागियों और आयोजकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का यह पहला दिन शोध, विचार और संवाद का अनूठा संगम रहा।
इस मौके पर डॉ जवाहर पासवान, डॉ एमआई रहमान, डॉ सुधांशु शेखर, डॉ अशोक कुमार, डॉ नरेंद्र श्रीवास्तव,डॉ दीपक गुप्ता, शंभु नारायण यादव, डॉ अबुल फजल, डॉ इम्तियाज अंजुम, डॉ पंचानंद मिश्रा, डॉ अक्षी त्यागी, अनिल कुमार, डॉ ब्रजेश कुमार सिंह,डॉ कामेश्वर कुमार, डॉ दीनानाथ मेहता, डॉ सौरभ कुमार, डॉ ललन कुमार, कोमल कुमारी सहित सैकड़ों प्रतिभागी मौजूद रहे।।
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