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शनिवार, 24 दिसंबर 2022

BNMU:" स्टडी सर्किल योजनांतर्गत वैदिक दर्शन में मानववादी दृष्टिकोण विषयक संवाद आयोजित"...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: वैदिक दर्शन विश्व का सबसे प्राचीन दर्शन है और इसमें मानवतावादी जीवन-दृष्टि के प्रथम स्वर मुखरित हुए हैं। यह कोई कोरा सिद्धांत या बौद्धिक विलास नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक जीवन-दृष्टि है। इस जीवन-दृष्टि में न केवल सभी मनुष्यों, वरन् संपूर्ण चराचर जगत के कल्याण का आदर्श प्रस्तुत किया गया है, जिसे अपनाकर हम मानवता को महाविनाश से बचा सकते हैं। 
उक्त बातें दर्शनशास्त्र विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू (नेपाल) के प्रोफेसर डॉ. गोविंद शरण उपाध्याय ने कही।
वे शनिवार को "वैदिक दर्शन में मानवतावादी दृष्टिकोण" विषयक संवाद में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शिनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली की "स्टडी सर्किल" योजना के तहत बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में आयोजित किया गया। 
उन्होंने कहा कि वैदिक दर्शन की दृष्टि वैश्विक है। यह जाति, धर्म, संप्रदाय एवं राष्ट्र की सीमाओं से परे है। इसमें पूरी दुनिया को एक नीड़ (घोंसला) माना गया है। इसका आदर्श 'वसुधैव कुटुम्बकम्' एवं उद्देश्य 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' है। 
उन्होंने कहा कि वैदिक दर्शन   विश्वबंधुत्व एवं विश्वशांति को सबल आधार प्रदान करता है। इसमें हमारी मंत्रणा, समितियों, विचारों एवं चिन्तन में समानता, हमारे मन-मस्तिष्क एवं हृदयों में एकता की कामना की जाती है और संपूर्ण चराचर जगत की शांति का पाठ किया जाता है।
   उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में हम मानवीय मूल्यों, नैतिक संस्कारों एवं सामाजिक सरोकारों से कटते जा रहे हैं। ऐसे में वैदिक दर्शन का मानवतावादी दृष्टिकोण हमारे लिए आशा की किरण है। दुनिया में बढ़ती हिंसा, विषतता एवं पर्यावरणीय संकट आदि समस्याओं का समाधान वैदिक दर्शन में मौजूद है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व अध्यक्ष सह आइसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचन्द्र सिन्हा ने कहा कि आधुनिक सभ्यता ने मानव जीवन को खतरे में डाल दिया है। ऐसे में पूरी दुनिया आज वैदिक जीवन-दृष्टि की ओर आकर्षित हो रही है। आज दुनिया यह मानने लगी है कि वैदिक दर्शन ही आधुनिक सभ्यता का सबसे बेहतर विकल्प है।
उन्होंने कहा कि आज प्रायः सभी बड़े विचारक इस बात से सहमत हैं कि दुनिया  जिस भौतिकवाद की ओर दौड़ रही है, वह अंततः विनाशकारी साबित होने वाली है। इससे बचने का रास्ता भारतीय दर्शन या वैदिक दर्शन में ही निहित है।
मुख्य अतिथि दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जटाशंकर ने कहा कि मनुष्य होना एक तथ्य है। लेकिन मानवता एक मूल्य है। हम सभी जन्म से ही मनुष्य होते हैं, लेकिन हमें मानवतावादी मूल्यों को सप्रयास धारण करना होता है। 
ग़ालिब के शब्दों में, "बस की दुश्वार है हर चीज का आसां होना। आदमी को भी मयस्सर नहीं है इंसा होना।"
उन्होंने कहा कि वैदिक दृष्टि व्यापक एवं समावेशी दृष्टि है।   यह शाश्वत एवं चिरंतन है। यह भूतकाल में उत्तम एवं जनकल्याणकारी था, वर्तमान में है और भविष्य में भी रहेगा। इसी को अपनाकर संपूर्ण चराचर जगत का कल्याण हो सकता है।
डॉ. विजय कुमार (मुजफ्फरपुर) ने कहा कि भारतीय एवं पाश्चात्य मानवतावाद में अंतर है। पाश्चात्य मानवतावाद संकीर्ण है, लेकिन मानवतावाद व्यापक है। 
डॉ. अविनाश कुमार श्रीवास्तव (नालंदा) ने कहा कि जैन धर्म, बौद्ध धर्म एवं सिख धर्म वैदिक धर्म के ही अंग हैं। ये सभी धर्म भी मानवतावादी विचारों पर आधारित हैं।
अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्षा सह दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्षा  प्रो. (डॉ.) पूनम सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दर्शनशास्त्र विभाग,टीपी कॉलेज, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर ने की। 
प्रश्नोत्तर सत्र में सत्यनारायण देवलिया,  गोपाल कुमार आदि ने प्रश्न भी पुछे।  
कार्यक्रम के आयोजन में शोधार्थी द्वय सौरभ कु. चौहान एवं सारंग तनय ने सहयोग किया।
इस अवसर पर उत्तर भारत दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो.(डॉ.) सभाजीत मिश्र (गोरखपुर), मगध विश्वविद्यालय, बोधगया की पूर्व कुलपति प्रो.(डॉ.) कुसुम कुमारी, डॉ. बी. के. शर्मा, डॉ. गीता मेहता, डॉ. प्रभाष कुमार, डॉ. आभा झा, डॉ. सुनील सिंह, डॉ. विनोदानंद ठाकुर, डॉ. शंभू पासवान, राहुल यादव,  आनंद कुमार भूषण, गुलशन, अर्चना कुमारी, डॉ. कमलेन्द्र कुमार, हरि नारायण सिंह, संजीव कुमार साह, विजय कुमार, डॉ. प्रियनंदन, चांदनी राय, अमोद कुमार, दिल कुमार, कल्पना सिंह, पूजा सिंह, मीना कुमारी,  पंकज कुमार, चांदनी राय, अमोद कुमार, दिल कुमार, कल्पना सिंह, पिंटू यादव, डेविड यादव, हर्ष सागर, श्याम प्रिया, लता कुमारी, रंजीत कुमार आदि उपस्थित थे।।

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