वर्कशॉप:"शोध में साहित्यिक चोरी को रोकना जरूरी-डॉ पंचानंद मिश्रा"... - News Express Now :: Hindi News, Latest News in Hindi, Breaking News, | हिन्दी न्यूज़ लाइव

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

सोमवार, 26 दिसंबर 2022

वर्कशॉप:"शोध में साहित्यिक चोरी को रोकना जरूरी-डॉ पंचानंद मिश्रा"...

मधेपुरा/बिहार: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस स्थित विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप में रिसोर्स पर्सन ने शोध के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। वर्कशॉप के तीसरे दिन प्रथम सत्र में एलएनएमयू,दरभंगा में समाजशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ झा, एचओडी डॉ. कुलदीप यादव और दूसरे सत्र में बीएनएमयू बॉटनी के डॉ. पंचानंद मिश्र एवम समाजशास्त्र के डॉ. विवेक प्रकाश सिंह ने प्रतिभागियों को गुणवतापूर्ण और समाज-सापेक्ष शोध की जानकारी दी।
वर्कशॉप में प्रो. विश्वनाथ झा ने ज्ञान और शक्ति को एक दूसरे से संबंधित बताते हुए इसके गहन ज्ञान की प्राप्ति के लिए सामाजिक विज्ञान के शोधकर्ताओं को केवल अवलोकन पर ही नहीं बल्कि साक्षात्कार पर अधिक बल देने को की बात कही। उन्होंने कहा कि अवलोकन के द्वारा हम केवल किसी भी समस्या या व्यक्ति के वाह्य रूप का ही निरीक्षण कर सकते हैं। जबकि साक्षात्कार के माध्यम से वाह्य रूप का अवलोकन तो होता ही है साथ ही साथ समस्या के बीच में छुपे हुए कारणों को भी खोज सकते हैं। कारण का पता चलने पर समस्या का समाधान कर सकते हैं। प्रो. झा ने शोधार्थियों से उनके शोध का विषय सदैव आम जनता या समाज से जुड़ी समस्या रखने की बात कही। प्रो. विश्वनाथ झा के व्याख्यान को आगे बढ़ाते हुए बीएनएमयू के समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ कुलदीप यादव ने भी जमीनी स्तर पर अपने शोध का विषय बनाने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। 
उन्होंने शोधार्थियों से अध्ययन क्षेत्र में जाकर स्वयं समस्याओं या व्यक्तियों या समाज का अवलोकन करने को कहा। उन्होंने बताया कि बिना उचित अवलोकन के किसी भी विषय वस्तु का गहन जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। 
मौके पर मीडिया इंचार्ज डॉ. संजय कुमार परमार, डॉ. चंद्रमणि, शोधार्थी मनीष कुमार, अभिषेक कुमार, वेदानंद, प्रज्ञा गौतम, पूजा कुमारी, कुमारी स्नेहा, सूफी खातून, नितेश चंद्र राजहंस, पिंटू कुमार, विजेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार शर्मा, रोशन, रामानंद रवि, सूरज कुमार, शुभम, धीरेंद्र, बृजेश, सुरेश, विकास कुमार, बिट्टू कुमार, राहुल कुमार, सीमा कुमारी, मनीषा कुमारी सहित अन्य मौजूद थे। मंच संचालन शोधार्थी मनीष कुमार ने किया।
इससे पहले वर्कशॉप के दूसरे सत्र में बॉटनी के डॉ पंचानंद मिश्र शोध कार्य में साहित्यिक चोरी की समस्या को दूर करने विधि बताई। उन्होंने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विविध आयामों को बताते हुए शोध कार्य में मौलिकता रखने को कहा। उन्होंने बताया कि साहित्यिक चोरी किसी अन्य व्यक्ति की भाषा, विचारों, भावों को अपने स्वयं के मूल कार्य के रूप में प्रस्तुत करना है। उन्होंने साहित्यिक चोरी के कारणों और इससे बचने के विभिन्न उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि अब सभी पीएचडी थीसिस शोधगंगा में जमा की जाएंगी, इसलिए शोधार्थियों और फैकल्टी को थीसिस की सामग्री के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। 
उन्होंने साहित्यिक चोरी की जांच के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न ऑनलाइन टूल और सॉफ्टवेयर के बारे में भी चर्चा की। वह आईथेनिकेट, ट्रिनिटिन, ऑरकुंड आदि जैसे सॉफ्टवेयर टूल के बारे में बुनियादी विचार देते हैं। उन्होंने साहित्यिक चोरी की जांच के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उपयोग किए जाने वाले ओरिजिनल सॉफ़्टवेयर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सुझाव दिया कि शोधार्थियों को इससे ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें अपने काम की योजना बनानी चाहिए और साहित्य लिखने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने आयोजन समिति की पूरी टीम को भी बधाई दी और सुझाव दिया कि इस प्रकार की कार्यशाला इस महत्वपूर्ण मानदंड के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएगी और शोधार्थियों को साहित्यिक चोरी से बचने के लिए प्रशिक्षित करेगी।  बीएनएमयू में समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ विवेक प्रकाश सिंह ने सामाजिक विज्ञान के शोध में वस्तुनिष्ठता लाने के लिए सांख्यिकी विधियों के प्रयोग को आवश्यक बताया। उन्होंने विभिन्न विधियों के उदाहरण के माध्यम से यह बताया कि गुणात्मक आंकड़े को किस प्रकार मात्रात्मक आंकड़े में परिवर्तित करके ही कोई शोधार्थी अपने शोध के उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है।
 वर्कशॉप के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. सदय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ विश्वनाथ झा, डॉ पंचानंद मिश्र और डॉ संजय कुमार परमार को सम्मानित किया गया।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Pages