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बुधवार, 28 दिसंबर 2022

वर्कशॉप:"दुनियां में सूचना क्रांति का भविष्य है काफी सुनहरा"...

मधेपुरा/बिहार: भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस स्थित विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग में चल रहे कार्यशाला में सिनॉप्सिस तैयार करने की विधि और नई तकनीक में सोशल साइट्स की भूमिका विषय पर जानकारी दी गई। वर्कशॉप के प्रथम सत्र में रांची विश्वविद्यालय के में समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रभात कुमार सिंह ने प्रतिभागियों को गुणवत्तापूर्ण और समाज सापेक्ष शोध करने पर बल दिया।
 वर्कशॉप के मीडिया इंचार्ज डॉ संजय कुमार ने बताया कि रिसोर्स पर्सन प्रो. प्रकाश कुमार सिंह ने प्रतिभागियों को शोध करने से पहले सिनॉप्सिस तैयार करने की विधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने सिनॉप्सिस तैयार करने के दौरान उदाहरण, संदर्भ सूची, संदर्भ ग्रंथों की सूची कैसे तैयार की जाए उसकी जानकारी दी। डॉ सिंह ने कहा कि समाज में कई तरह की सामाजिक समस्याएं, सामाजिक बुराइयां व्याप्त है। छात्रों को ऐसे विषयों को फोकस कर अपना रिसर्च तैयार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि घर की महिलाएं प्रथम समाजशास्त्री होती हैं। जो कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद अपने बच्चों को या फिर नई पीढ़ी को किशोरावस्था से लेकर वयस्क होने तक समाजीकरण की समस्या प्रक्रिया इसके बारे में जानकारी समय-समय पर देती रहती है। इससे समाज सुधार भी होता है। जिसमें महिलाएं सजग होकर अपने बच्चों को यह जानकारी देती हैं। डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में विवाह, परिवार, नातेदारी व्यवस्था ध्वस्त हो रही हैं। समाज शास्त्रियों का यह दायित्व है कि इन सामाजिक संस्थाओं को जीवित रखा जाए और समय-समय पर सामाजिक मूल्यों को बचाने के लिए समाज शास्त्रियों को आगे आना चाहिए। इसका एक ही माध्यम है शोध। 
उन्होंने बताया कि ग्रामीण और नगरीय परिवेश में रहने वाले सभी समाजों का अध्ययन करने से पता चलता है कि भारत गांवों का देश है। ग्रामीण परिवेश में जो नातेदारी व्यवस्था कायम है वह आज भी है वह नगर में नहीं है। उन्होंने बताया कि संयुक्त परिवार और एकाकी परिवार के गुण अवगुण को देखते हुए संयुक्त परिवार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संयुक्त परिवार एक सामाजिक बीमा का दायित्व भी निभाता था। जिसका वर्तमान समय में वह सरकारी सेवाओं जैसी संस्थाओं ने ले ली है। शोधार्थी वही सफल हो सकता है जिसमें समस्याओं का विस्तृत वर्णन, उद्देश, उपकल्पना, शोध पद्धतियां और शोध प्रारूप जैसे विशेषताओं का सही ढंग से उद्धृत किया गया हो। वर्कशॉप की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ कुलदीप यादव ने की। मौके पर राधा गोविंद यूनिवर्सिटी रामगढ़ झारखंड की डॉ रश्मि, रमेश झा महिला कॉलेज के डॉ राणा सुनील कुमार सिंह, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के डॉ राकेश राणा, डॉ सदय कुमार, डॉ विवेक प्रकाश सिंह, डॉ संजय कुमार, डा कुमारी अर्चना, डॉ स्वेता शरण, ब्रजेश कुमार, शुभम कुमार, सूरज कुमार, शिल्पी शुभम, उपासना कुमारी, नूतन सहित अन्य मौजूद थे।
वहीं,वर्कशॉप के दूसरे सत्र में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के डॉ राकेश राणा ने डिजिटल टेक्नोलॉजी इन सोशल रिसर्च पर अपना व्याख्यान दिया। जिसमें प्रो. राणा ने समाज वैज्ञानिको को डिजिटल युग के वर्चुअल व्यवहार को समझने के लिए नयी विधियों, प्रविधियों को खोजने की जरुरत पर ध्यान देने को कहा। दुनियां में संचार क्रांति का भविष्य सुनहरा है। जो समाज और राष्ट्र 21वी सदी के डिजिटल समाज संचार क्रांति से संचालित करने में जितना कुशल होगा, उतना ही विकास की दौड़ में आगे होगा।
 समाज विज्ञानों को डिजिटल दुनियां के वर्चुअल और एक्चुअल व्यवहार के मध्य सामाजिक यथार्थ को स्थापित करने की कवायद में गंभीर अनुसन्धानों को आयोजित करना होगा। सामाजिक अनुसन्धानों में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग हमारे शोध कार्य को गति प्रदान करने के साथ-साथ सुगम और सुव्यवस्थित बनाने के साथ वैज्ञानिक भी बनाएगा। डिजिटल टेक्नोलॉजी और इस तरह से सामाजिक अनुसन्धानों को करने में मददगार बन सकती है। 
समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ कुलदीप यादव ने अतिथियों का स्वागत किया।

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