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गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

कॉलेज कैम्पस:"सभी के लिए कल्याणकारी है गीता - डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी"...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धर्मग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन-ग्रंथ भी है। इसमें सहज जीवन जीने की कला बताई गई है। 
उक्त बातें बीएनएमयू, मधेपुरा के पूर्व कुलपति 
प्रो. (डॉ.) ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही। वे दर्शनशास्त्र विभाग, टीपी कॉलेज, मधेपुरा के तत्वावधान में श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य से संबंधित 'थीमेटिक फिलासफिकल प्रतियोगिता' का उद्घाटन कर रहे थे। यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर), नई दिल्ली के सौजन्य से किया गया। 
उन्होंने कहा कि गीता पूरी दुनिया के लिए एक कल्याणकारी ग्रंथ है। इसमें तनाव-प्रबंधन, समय-प्रबंधन, जीवन-प्रबंधन आदि के सूत्र मौजूद हैं। इन सूत्रों को जीवन में उतारकर हम आधुनिक जीवन की कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि युद्धभूमि में अपने सामने अपने गुरु, भाई और सगे-संबंधियों को देखकर अर्जुन को विषाद हो गया। उसने सोचा कि इन लोग को मारकर राज्य प्राप्त करने का क्या औचित्य है ? ऐसी स्थिति में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निष्काम कर्म का संदेश दिया और उसके विषाद को दूर कर उसे स्वधर्म के मार्ग पर प्रवृत्त कराया। 
उन्होंने कहा कि गीता का संदेश है कि हमारा अधिकार कर्म करने में ही है, उसके फलों में नहीं है। इसलिए हमें कर्मफल की चिंता किए बिना  निष्कामभाव से कर्म करना चाहिए। हम कर्म में अशक्त नहीं हों और न ही अकर्मण्य बनें। 
मुख्य अतिथि दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष 
शोभा कांत कुमार ने कहा कि ने कहा कि गीता का प्रत्येक श्लोक (मंत्र) में एक गूढ़ जीवन-दर्शन छुपा हुआ है। हमें इसके गूढ़ार्थ को समझकर अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। 
उन्होंने कहा कि गीता किसी खास जाति या धर्म का ग्रंथ नहीं है। इसका संदेश सर्वकालिक एवं सार्वभौमिक है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा प्रधानाचार्य 
प्रो. (डॉ.) कैलाश प्रसाद ने  कहा कि भगवद्गीता एक मनोवैज्ञानिक ग्रंथ है। इसमें मानव मन की विभिन्न अवस्थाओं को भलीभांति चित्रित किया गया है। इसके संदेशों पर चलकर हम मानव जीवन की कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन अतिथि व्याख्याता डॉ. राकेश कुमार ने किया। 
कार्यक्रम के आयोजन में अर्थपाल डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डॉ. गौरव कुमार श्रीवास्तव, विनय कुमार, सारंग तनय, सुमन कुमार आदि ने सहयोग किया।
प्रतियोगिता में बाल गंगाधर तिलक की पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य से संबंधित एक थीम दिया गया। उस थीम के आलोक में एक-एक अंक के कुल दस प्रश्न पुछे गए। प्रश्न इस प्रकार हैं- किस ग्रंथ को हमारे सभी धर्मग्रंथों में एक तेजस्वी हीरा माना गया है ? (श्रीमद्भगवद्गीता) किस ग्रंथ में समस्त वैदिक धर्म का सार निहित है ? (श्रीमद्भगवद्गीता) श्रीमद्भगवद्गीता के रचयिता कौन है? (वेद व्यास) श्रीमद्भगवद्गीता में कुल कितने श्लोक हैं ? (सात सौ) श्रीमद्भगवद्गीता में कुल कितने अध्याय हैं ? (अठारह) श्रीमद्भगवद्गीता किस महाकाव्य का अंश है ? (महाभारत)
 श्रीमद्भगवद्गीता का पूरा नाम क्या है ? (श्रीमद्भगवद्गीता-उपनिषद्) श्रीमद्भगवद्गीता की रचना किस काल में हुई है ? (स्मृतिकाल) श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य के लेखक कौन हैं ? (बाल गंगाधर तिलक) श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य में किस योग पर जोर है ? (कर्मयोग)। 
प्रतियोगिता में  सौरभ कुमार चौहान (9 अंक), मुकेश कुमार शर्मा (8 अंक) एवं पवन कुमार (8 अंक) ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता में दिव्या भारती, गुरूदेव कुमार, मो. रजी,  सुनैना कुमारी, काजल कुमारी, पूजा कुमारी, नासरिन प्रवीण, शहनाज प्रवीण, जूही कुमारी, श्याम किशोर, मनीषा भारती, रिंकी कुमारी, श्वेता कुमारी, खुशबू कुमारी, एकता कुमारी, पल्लवी कुमारी, डिंपी कुमारी, सोनी भारती, सरिता कुमारी, निशा कुमारी, शक्ति सागर, पूजा मेहता, संदीप कुमार, प्रेरणा भारती, सैयद जिउल, अंजलि कुमारी, प्रवेश कुमार एवं मो. हुमायूं रासिद आदि ने भाग लिया।।

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