● रवि कुमार संत, वरीय संपादक (बिहार)
मधेपुरा/बिहार: किसी भी देश का विकास समाज से आरंभ होता है। समाज के विकास के लिए सर्वप्रथम स्वस्थ समाज का होना आवश्यक है। स्वस्थ मानव से ही स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है। स्वस्थ समाज के निर्माण में जिले के गम्हरिया प्रखंड स्थित चिकनी पंचायत के जोगबनी वार्ड नंबर 15 निवासी डा बीएन भारती की प्रेरक कहानी सामने है। वे मानव की बीमारी एवं समाज की कुरीतियों को समाप्त करने के जागरूकता फैला रहे हैं। स्वस्थ समाज का निर्माण तेजी से हो इसके लिए डा बीएन भारती सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में जहां लोगों का पहुंचना मुश्किल है वहां वे लोगों स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराते हैं। वे कहते हैं कि देश की सेवा के लिए जरूरी नहीं है कि आप सीमा पर ही जाएं। आप जहां हैं और जिस स्थिति में हैं, वहां पर भी आप यह काम कर सकते हैं। वे चिकित्सा को देश सेवा का माध्यम और गरीबों की स्वास्थ्य सेवा को अपना धर्म मानते हैं। वे करीब दो दशक से सरकारी स्वास्थ्य सेवा में रहते अपने निज निवास जोगबनी और निजी किलनिक पर गरीब, बेबस, लाचार, बीमार लोगों की इलाज कर रहे हैं। इसके अलावा निजी क्लिनिक वेदान्ता अर्थो केयर सेंटर जजहट सबैला सिंहेश्वर में असहाय और बीमार व्यक्तियों की सेवा को वे हर समय तत्पर रहते हैं। वहां हमेशा जन उपयोगी सेमिनार का आयोजन किया जाता है। ताकि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मिल सके। उनका गरीबों की सेवा का जज्बा ऐसा, मानो कोई सैनिक सीमा पर तैनात हो। एमबीबीएस के साथ एमएस की डिग्री प्राप्त डा बी एन भारती के द्वारा सुविधा विहीन इलाके में लोगों तक चिकित्सा सेवा किया गया है। वे हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार के निर्देशक द्वारा एक प्रशस्ति पत्र भी दिया गया।इनके यहां गरीब एवं पिछड़े लोगों के लिए विशेष रूप से शुलभ और निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्थाएं की जाती है। खास कर किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल लोगों का बतौर हड्डी रोग विशेषज्ञ डा बीएन भारती बेहतर इलाज करते हैं।
● स्वस्थ समाज के निर्माण में सामाजिक खामियों पर भी ध्यान देने की जरूरत:
डा बीएन भारती का मानना है कि
स्वस्थ समाज के निर्माण में सामाजिक खामियों पर भी ध्यान देना आवश्यक है। आज समाज में भी कई बीमारियां व्याप्त हैं। जिसे दूर कर ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है। आज आमजनों में नैतिक ह्रास के कारण आज के युवाओं में समाज निर्माण की भावना में कमी आ रही है। आमजनों के सोच में कुछ बदलाव के कारण समाज में कई प्रकार के अपराध में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। सरकार ने समाज में नशा उन्मूलन की दिशा में ठोस कदम उठाया है। सरकार की बाल-विवाह एवं दहेज उन्मूलन कार्यक्रम स्वस्थ समाज के लिए आवश्यक है। लेकिन इसकी सफलता आमजनों की इमानदार पहल के बिना संभव नहीं दिखती है। स्वस्थ समाज निर्माण के लिए खुले में शौच मुक्त समाज बनाने की योजना एक बेहतर पहल है। खुले में शौच जहां महिलाओं को अपमान का घूंट पीने को विवश करता था। वहीं महिलाओं की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही थी। सभी घरों में शौचालय का निर्माण हो तो स्वस्थ समाज के निर्माण में यह मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस कार्य में सबों की सकारात्मक भागीदारी से ही यह योजना सफल होगी।
●डाक्टर के रूप में मानवता की रक्षा के लिए लगातार हैं तत्पर:
कोरोना काल में जहां चिकित्सक शुल्क लेकर भी मरीजों को चिकित्सा सलाह देने से परहेज करते नजर आ रहे थे वहीं युवा चिकित्सक डा बीएन भारती ऐसे थे जो गरीब मरीजों को नियमित रूप से निशुल्क सलाह दे रहे थे। कोरोना काल में हर चीज के बंद होने की नौबत आई, खुले रहे तो केवल अस्पताल। जब हर मंदिर के दरवाजे बंद रहे तो भगवान 'डाक्टर' के रूप में मानवता की रक्षा के लिए वे लगातार तत्पर रहे। अधिकतर प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक ने अपना क्लीनिक बंद कर रखा था। ऐसे में गरीब, लाचार व बीमार लोगों के लिए उम्मीद की किरण बने डा बीएन भारती। महामारी के दौर में भी सिंहेश्वर मधेपुरा पथ में सबेला के समीप अपने अस्पताल में सुबह से लेकर रात तक मरीजों को अपनी सेवा दे रहे है। महामारी के समय मरीजों को फिजिकल रूप से देख कर उनका इलाज करते रहे। वह कहते हैं- पूरी टीम को विश्वास में लेकर मोर्चे पर तैनात हुआ। डरे-सहमे आने वाले मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ाते हुए इलाज शुरू किया। मरीजों से दोस्ती की। उन्हें अपना फोन नंबर दिया। दिन-रात में मरीज के आने वाले फोन पर भी उनकी हरसंभव मदद की।
● समाज सेवा से न तो कोई छुट्टी ली और न ही साप्ताहिक अवकाश:
डा बीएन भारती गरीब मरीज से शुल्क नहीं लेते। वे समाज सेवा से अबतक न तो कोई छुट्टी ली और न ही साप्ताहिक अवकाश। वह लगातार स्वस्थ समाज के लिए मुहिम चला रहे हैं। हर रोज मरीजों की सेवा में जुटे रहते हैं।
तमाम चुनौतियों के बाद वह लगातार अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हैं। डा भारती गरीब मरीज और जरूरतमंद मरीज की पहचान बीपीएल कार्ड से नहीं बल्कि उसके हालात देखकर करते हैं। संबंधित मरीज उनके क्लिनिक तक किस वाहन से पहुंचा तथा उसके परिवार में आजीविका का क्या साधन है एवं उसके तन पर कपड़े कैसे हैं साथ ही संबंधित की माली हालत की वास्तविकता के लिए वह अपने सहायकों की भी मदद लेते हैं। डा भारती सबेला में स्थित अपने क्लिनिक के अलावा गांव में संचालित क्लीनिक पर भी गरीब मरीजों को नि:शुल्क देखते हैं। वे कहते हैं कि हम गरीब मरीजों को मुफ्त चिकित्सा सलाह देकर उन पर कोई एहसान नहीं करते बल्कि उनकी दुआ लेते हैं। उन पर आने वाली विपदाओं और परेशानियों के बीच दुआएं आड़े आ जाती हैं। वह कहते हैं कि जब तक जीवन है तब तक गरीब मरीजों का इलाज मुफ्त ही करेंगे।।
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