● रवि कुमार संत (वरीय संपादक)
मधेपुरा/बिहार: सुशिक्षित समाज से ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है। बच्चे शिक्षित होंगे तो परिवार भी शिक्षित होगा, परिवार शिक्षित होगा तो समाज भी शिक्षित होगा।समाज को शिक्षित करने में सर्व समाज व सर्व धर्म का योगदान जरूरी है। समाज में समानता लाने के लिए न केवल हमें मानसिकता बदलने की जरूरत है, बल्कि उन लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता भी है, जो किसी न किसी कारण से समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पा रहे हैं। समाज के ऐसे उपेक्षित हिस्से के बच्चों को शिक्षित कर दिया जाए तो समाज में समानता की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। इसी सोच के साथ बीएन मंडल विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो आरपी राजेश समाज में आर्थिक रूप से कमजोर गरीब बेसहारा बच्चों को उच्च शिक्षा ग्रहण करा रहे हैं। प्रो राजेश एक साधारण परिवार से संबंध रखती हैं। वे टीपी कालेज में बतौर एनसीसी पदाधिकारी 11 वर्ष कार्यरत रहे। वे शुरू से ही गरीबों की मदद करने को तैयार रहते थे। इस कार्य में उनकी गृहणी पत्नी साथ देती है। गरीब छात्रों को शिक्षित कर वे समाज में अंधकार को दूर कर उजाला फैलाने का कार्य कर रहे हैं। जिंदगी की व्यस्तता के बीच गरीब बेसहारा बच्चों के लिए समय निकालना जरूर टेढ़ी खीर है, लेकिन प्रो राजेश इस कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। इस बीच उन्हें उन बच्चों की चिंता रहती थी जो पारिवारिक समस्याओं के कारण शिक्षित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में प उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर पुश्तैनी काम-धंधे में लगाने के बजाय उसके स्वभाव और पसंद के अनुरूप व्यवसाय या काम दिया जाए तो ज्यादा अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं।
●छात्रों को बेहतर नागरिक बनने के गुर सिखा रहे हैं प्रो आरपी राजेश:
सुशिक्षित समान के मूलमंत्र को अपनाते हुए टीपी कालेज में हजारों छात्रों को बेहतर नागरिक बनने के गुर सिखा चुके शिक्षाविद व परीक्षा नियंत्रक प्रो राजेश कहते हैं कि हमें बच्चों को साक्षर नहीं, शिक्षित करने पर जोर देना चाहिए। साक्षर और शिक्षित का अंतर बताते हुए वे कहते हैं कि इस देश में शिक्षा का स्तर जब तक साक्षर से शिक्षित करने तक नहीं जाएगा, समाज को सुशिक्षित नहीं किया जा सकेगा। सिर्फ भाषा का अक्षर ज्ञान रखने वाला साक्षर है, जबकि किसी बात को पढ़ने के बाद समझने और फिर उसका पालन करने वाला शिक्षित कहलाता है। आधुनिक शिक्षा पद्धति में भारतीय संस्कृति के योगदान को जरूरी मानने वाले प्रो राजेश कहते हैं कि आज के अराजकता और अव्यवस्था से भरे परिदृश्य को सुधारने के लिए उन छात्रों की जरूरत है जो नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों से लैस हों। इन गुणों के विकास के लिए छात्र को शिक्षा के साथ सांस्कृतिक विरासत की धरोहर का भी ज्ञान दिया जाना जरूरी है।
● प्रो राजेश के संरक्षण में 14 सौ बच्चे नौकरी पा कर रहे हैं देश की सेवा:
प्रो राजेश पिछले 15 वर्षो से टीपी कालेज में NCC के माध्यम से छात्रों को शिक्षित बनाने की मुहिम में लगे हैं। वह मानते हैं कि क्या ठीक है और क्या गलत, इसको समझने वाले ही शिक्षित होते हैं। NCC में इनके संरक्षण में उच्च योग्यता हासिल कर करीब 1400 बच्चे नौकरी पा कर देश की सेवा कर रहे हैं। NCC में छात्र का मूल्यांकन करने की विधि के साथ उसे व्यवहारिकता सिखाना शामिल है। वे कहते हैं कि बच्चे में आठ प्रकार की बुद्धिमतता होती है, इनमें से हम जब तक उसकी प्रकृति के अनुरूप उसे ज्ञान नहीं देंगे, परिणाम सार्थक नहीं आएंगे।
NCC में बच्चे को उसी तरह तराशा जाता है जिस तरह धरती मां अपने पौधों की सींचती है। यदि हम जमीन में केले का बीज बोते हैं तो पेड़ भी केले का ही बनता है और उसमें फल भी केले के रूप में ही आते हैं। ऐसे ही हम यदि बच्चे को उसके स्वभाव के अनुसार उसे अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करेंगे तो निश्चित तौर पर वह उपयोगी नागरिक बनेगा।।
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