● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: पंचायत चुनाव-2021 को लेकर 03 नवम्बर को कुमारखंड ब्लॉक में मतदान निपटाने के बाद अब प्रत्याशी और उनके समर्थक हार-जीत का गुणा-भाग लगाने में जुटे हैं। वहीं दीवाली के रोज से ही प्रत्याशी और उनके समर्थक वोटर लिस्ट से 0एक-एक वोट का हिसाब लगाने लगे।
हालांकि, 13 व 14 नवम्बर को मतगणना के बाद साफ होगा कि किसके खाते में जीत और किसको हार मिलेगी।
दरअसल, पंचायत चुनाव-2021 में आधे से अधिक वोटर खुलकर सामने नहीं आते हैं। पंचायत चुनाव में ही ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं, जिसके चलते प्रत्याशी वोटरों का रुख भी नहीं भांप पाते। हालांकि, प्रत्याशी जनसंपर्क के दौरान बहुतों को खोलने का प्रयास करते हैं, लेकिन गाँव की राजनीति होने के कारण ज्यादातर वोटर खुलकर सामने न आने के स्थान पर चुपचाप वोट देने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। वे किसी से बुराई - भलाई या झगड़ा मोल लेना नहीं चाहते।
वहीं दीपावली व छठ पूजा को लेकर मतगणना देरी से होने के कारण प्रत्याशियों की बेचैनी और बढ़ सी गई है।
कुमारखंड बाजार, भतनी, रामनगर, टिकुलिया, बेलारी, रानीपट्टी, केवटगामा, रहटा आदि बाजारों में चाय-पान के दुकानों पर मुखिया, सरपंच, जिला परिषद, पंचायत समिति, वार्ड सदस्य, वार्ड पंच उम्मीदवारों का जीत व हार का चर्चा तेज हो गई है। लोग अपने -अपने पंचायत के प्रत्याशी के जीत और हार का आकलन लगाने में जूट हुए हैं।
इस साल पंचायत चुनाव ग्यारह चरणों में हो रहा है। कुछ लोग मतदान के परसेंटेज और वोटर लिस्ट के हिसाब से वोटों का मिलान कर हार-जीत का गणित लगा रहे हैं। ज्यादातर प्रत्याशी अपनी जीत को पक्का मान रहे हैं, लेकिन मुखिया, जिला परिषद, पंचायत समिति के पदों को लेकर ज्यादा गुणा-भाग लगाया जा रहा है। कोई प्रत्याशी अपनी सेटिंग के बल पर जीत का दावा कर रहा है तो कोई व्यवहार की बदौलत। कई ग्राम पंचायतों में तो वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए मुर्गा परोसने के साथ मिठाई भी बांटी।
जिन वोटरों ने किसी प्रत्याशी का खुल कर समर्थन किया , वह अपने प्रत्याशी की ही जीत का दावा कर रहे हैं।
वहीं जो वोटर चुनाव प्रचार के दौरान किसी के समर्थन में खुल कर सामने नहीं आये , वे प्रत्याशी का बिना नाम लिए जीत- हार पर चर्चा कर रहे हैं।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें