● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: गाँधी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है। हमारे शरीर, मन, एवं आत्मा तीनों का विकास होना चाहिए। अतः आज हमारे युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक श्रम भी करना चाहिए। साथ ही उन्हें अपनी आत्मा के विकास के लिए आध्यात्मिकता एवं नैतिकता को अपनाना चाहिए।
उक्त बातें राष्ट्रीय गाँधी संग्रहालय,नई दिल्ली के निदेशक ए. अन्नामलाई ने कही।
वे शनिवार को टीपी कॉलेज, मधेपुरा में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह का ऑनलाइन उद्घाटन कर रहे थे। समारोह का आयोजन "गाँधी चले विद्यार्थियों की ओर" कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया।
देश में आजादी की अलख जगाने वाले महात्मा गांधी ऐसे दूरदर्शी महापुरुष थे। उनके 'सत्य', 'अहिंसा एवं सत्याग्रह' आदि मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हें आज के संदर्भ में युवाओं को बताने की आवश्यकता है। गाँधी सदैव युवाओं के एक रोल मॉडल रहे हैं।
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने उत्तरदायित्व को समझें और अपने कर्म को सौ 100% तत्परता के साथ पूरा करें। जीवन में कभी भी शक्ति एवं समृद्धि का भोंडा प्रदर्शन नहीं करें। आवश्यकता से अधिक सम्पत्ति का संग्रह नहीं करें और स्वेच्छा से सादगी को अपनाएं।
उन्होंने कहा कि गाँधी के जीवन-दर्शन में देश- दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। उनके दर्शन को अपनाकर हम गरीबी, बेरोजगारी, विषमता, हिंसा, आतंकवाद, पर्यावरण-संकट आदि का समाधान कर सकते हैं।
महात्मा गांधी ने दुनिया के इतिहास में पहली बार शांतिपूर्ण तरीके से यानी अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को बहुप्रतीक्षित आजादी दिला दी।
उन्होंने कहा कि गाँधी की ईश्वर में अटूट आस्था थी। वे मंदिरों में पूजा करने नहीं जाते थे। लेकिन वे एक महान धार्मिक व्यक्ति थे।
मुख्य अतिथि महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो.(डाॅ.) मनोज कुमार ने कहा कि गाँधी के विचारों एवं कार्यों में एकरूपता थी। वे जैसा कहते थे, वैसा आचरण भी करते थे। उनका जीवन ही उनका विचार है। उनके संदेशों से युवा पीढ़ी का परिचय कराना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हम गाँधी को मानें नहीं, बल्कि जानें। हमें उनकी जो बात हमें ठीक लगे, हम उसपर अमल करें।
गांधी संग्रहालय, नई दिल्ली के क्यूरेटर अंसार अली ने कहा कि बिहार ने ही मोहन को 'महात्मा' बनाया। यदि गांधी चंपारण नहीं जाते, तो 'महात्मा गाँधी' नहीं बनते। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने जीवन में सत्य एवं अहिंसा जैसे सास्वत मूल्यों को अपनाएँ और नशा एवं अन्य बुराइयों से दूर रहें।
हिंदी विभागाध्यक्ष डाॅ. वीणा कुमारी ने कहा कि महात्मा गाँधी भारत के चमकते रत्नों में एक हैं। वे न केवल भारत, वरन् पूरी दुनिया के लिए प्रकाशपुंज हैं। उनके विचार एवं कार्य हमेशा प्रासंगिक हैं। आज युवाओं को पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण छोड़कर गाँधी-विचार की ओर लौटने की जरूरत है।
बीएनएमयू के सीनेट-सिंडिकेट सदस्य सह पॉलिटिकल साइंस के एचओडी डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि गाँधी, अंबेडकर एवं अन्य विचारकों ने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित किया। इसलिए वे आज भी याद किए जाते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने बताया कि गाँधी संग्रहालय द्वारा इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु देश के 40 संस्थानों में बिहार से एकमात्र टीपी कॉलेज, मधेपुरा का चयन किया गया था।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर (आयोजन सचिव) ने कहा कि आज पूरी दुनिया विभिन्न संकटों से घिरी है। ऐसे में लोग गाँधी के विचारों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
इस अवसर पर NSS के पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. स्वर्ण मणि, एनसीसी ऑफिसर ले. गुड्डु कुमार, सीनेटर रंजन यादव, शोधार्थी द्वय सौरभ कुमार एवं सारंग तनय, काउंसिल मेम्बर द्वय माधव कुमार एवं दिलीप कुमार दिल, अमरेश कुमार अमर, सौरभ कुमार चौहान, आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली टीमों को पुरस्कार और सभी प्रतिभागियों एवं सहभागियों को
प्रमाण-पत्र दिया गया। छात्र ऋषभ कुमार झा एवं उनके साथियों ने 'रघुपति राघव राजा राम...' भजन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर सुन्दरम कुमार, निशा कुमारी, चंचला, अंजनी, नेहा, अनु, सरोज, नवीन कुमार, लालबहादुर, मंजय, सूरज, दिव्यांशु, सुमन, जगदम्बी, बाबुल, उज्ज्वल भगत, ज्योतिष, मिथुन, प्रिंस, आलोक, विजय कुमार भारती, नीतीश, सौरभ, गौरव, अंकित, प्रभाष, प्रिंस, रूपेश, आनंद, संयम भारद्वाज, रमन , स्वराज प्रताप, मो. अलाउद्दीन, आलोक आदि मौजूद रहे।।
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