● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: जिंदगी एक रहस्यमय सफर है। इसमें प्रायः चीजें सीधी रेखा में नहीं चलती हैं। जो चीज प्रारंभिक रूप से हमें दुखदायी नजर आती हैं, उसमें भी अक्सर हमारे उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ छीपी होती हैं। अतः हमें विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य एवं विवेक से काम लेना चाहिए। उक्त बातें जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कही। वे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में अपने योगदान के चार वर्ष पूरा होने की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें कभी भी तत्कालीन असफलताओं से घबराकर हार नहीं मानना चाहिए। हमें अनवरत अपने कर्मपथ पर चलते रहना चाहिए। यदि हम पूरे मन से प्रयत्न करेंगे, तो सफलता अवश्य मिलेगी। साथ ही हमें यह भी महसूस होगा कि जिसे हम असफलता समझ रहे थे, वह वास्तव में सफलता का एक अवसर था।
उन्होंने बताया कि वे अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव के बाद 2008 में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए योग्य हुए। इसके 6 वर्षों बाद वर्ष 2014 में बिहार लोक सेवा आयोग, पटना द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए विज्ञापन निकला था। हमारे दर्शनशास्त्र विषय का साक्षात्कार मार्च 2016 में हुआ और परिणाम आया लगभग 9 माह बाद दिसंबर में। इसमें मेरा चयन भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में हुआ। साक्षात्कार में कम अंक मिलने के कारण मेरा 'रैंक' सबसे नीचे रहा, इससे कुछ निराशा तो हुई, लेकिन हमने इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया।
उन्होंने बताया कि वे भूपेंद्र नारायण मंडल, विश्वविद्यालय में अपनी 'ज्वाइनिंग' का इंतजार करने लगे। साथ ही हम बीच-बीच में अगली प्रक्रियाओं की जानकारी आदि के लिए 'विश्वविद्यालय' का चक्कर काटते रहे और काफी खट्टे-मीठे अनुभवों से गुजरे। अंततः 3 जून, 2017 को उन्हें 'ज्वाइनिंग लेटर' मिला।
उन्होंने बताया कि उनका सौभाग्य है कि उन्हें प्रतिष्ठित टीपी कॉलेज, मधेपुरा की सेवा का अवसर मिला। फिर कुछ महिनों बाद ही उन्हें जनसंपर्क पदाधिकारी(पीआरओ) की जिम्मेदारी मिली और लगभग एक वर्षों से वे उपकुलसचिव (अकादमिक) के भी अतिरिक्त प्रभार में हैं।
उन्होंने बताया कि वे प्रारंभ में साक्षात्कार में कम अंक आने और इस कारण भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में चयनित होने से दुखी थे। लेकिन यह उनके लिए 'वरदान' साबित हुआ। उन्हें मधेपुरा में जितना अवसर मिला, उतना शायद कहीं और नहीं मिलता।
उन्होंने भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में उनके सफर के शुरूआती दिनों में संबल देने वाले तत्कालीन कुलपति प्रो.( डाॅ.)अवध किशोर राय सर एवं तत्कालीन प्रतिकुलपति प्रो.( डाॅ.) फारूक अली सर के प्रति विनम्रतापूर्वक आभार व्यक्त किया है। साथ ही माननीय कुलपति प्रो.( डाॅ.) आर.के.पी. रमण, प्रतिकुलपति प्रो. ( डाॅ.)आभा सिंह, पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो.(डाॅ.)ज्ञानंजय द्विवेदी एवं अकादमिक निदेशक प्रोफेसर डाॅ.एम.आई. रहमान के प्रति भी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित किया है, जिनके मार्गदर्शन में उनका सफर जारी है।
इसके अलावा उन्होंने
टीपी कॉलेज, मधेपुरा के तत्कालीन प्रधानाचार्य प्रो. (डाॅ.) एच. एल. एस. जौहरी एवं तत्कालीन अर्थपाल एवं संप्रति कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, पूर्व प्रधानाचार्य डाॅ. परमानंद यादव, वर्तमान प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव एवं सीनेट-सिंडिकेट सदस्य डाॅ.जवाहर पासवान के प्रति भी साधुवाद व्यक्त किया है।।
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