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रविवार, 13 जून 2021

BNMU कैम्पस: "पीजीआरसी की बैठक हुई शुरू,14 जून को होगी सामाजिक विज्ञान संकाय की बैठक"...

● Sarang Tanay@Madhepura.
मधेपुरा/बिहार: उच्च शिक्षा में रिसर्च या शोध की भूमिका सबसे अहम होती है। शोध उच्च शिक्षा के लिए प्राणवायु के समान है। किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान की रैंकिंग में उसमें शोध की स्थिति का विशेष महत्व है।
उक्त बातें कुलपति प्रो.( डाॅ.) आर.के.पी.रमण ने कही। वे शनिवार को वाणिज्य संकाय, बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के स्नातकोत्तर गवेषणा परिषद् (पीजीआरसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
कुलपति ने कहा कि शोध विश्वविद्यालय का सर्वप्रमुख कार्य है। शोध से ज्ञान के नए क्षितिज प्रकाश में आते हैं। इससे नए ज्ञान का सृजन एवं ज्ञान का परिष्कारण होता है। अतः हम सबों को मिलकर शोध पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 
कुलपति ने कहा कि आज हम शोध की गुणवत्ता के मामले में काफी पीछे हैं। नए शोधार्थियों की यह जिम्मेदारी है कि वे शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। सभी शोधार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे निरंतर तत्पर रह कर कार्य किया करें और शोध-निदेशकों का यह दायित्व है कि वे शोधार्थियों का समुचित मार्गदर्शन करें। 
कुलपति ने कहा कि शोध को गुणवत्तापूर्ण, सामयिक और समाजोपयोगी होना चाहिए। यदि हमारा शोध समाज एवं राष्ट्र की समस्याओं के समाधान में योगदान नहीं देगा, तो उसका कोई मूल्य नहीं होगा।
प्रतिकुलपति प्रो.( डाॅ.) आभा सिंह ने कहा कि शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे समाज में एक उच्च मानदंड एवं आदर्श कायम करें। वे वैसी परंपरा को छोड़ें, जिसका अगली पीढ़ी अनुसरण करे। यह बात शोध के क्षेत्र में भी लागू होती है। हम वैसा शोध करें, जिससे हमारे विश्वविद्यालय और राज्य का नाम रौशन हो।
उन्होंने कहा कि शोध करना और कराना शिक्षक का सर्वोच्च दायित्व है।  हमें हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि शोध की गुणवत्ता एवं उपयोगिता कायम रहे।
उन्होंने कहा कि शोध-निदेशक पीएच. डी. से संबंधित नियम-परिनियमों की समुचित जानकारी रखें और शोधार्थियों को भी उसकी जानकारी दें। सभी संकायाध्यक्षों एवं विभागाध्यक्षों की यह जिम्मेदारी है कि वे पीएच. डी. से संबंधित सभी नियमों-परिनियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराएँ।
कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि सभी मिलकर विश्वविद्यालय में शोध का माहौल बनाएँ। जब हम शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे, तो हमें नैक मूल्यांकन में भी अच्छा ग्रेड मिलेगा।
उन्होंने कहा कि कुलपति लगातार विश्वविद्यालय के चहुंमुखी विकास के लिए प्रयासरत हैं। इसमें सभी का सहयोग अपेक्षित है। सबों के सहयोग से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ेगा। 
● सात प्रस्ताव पारित:
बैठक में मुख्य विभागीय शोध परिषद् द्वारा अनुशंसित एवं संकायाध्यक्ष द्वारा अनुमोदित पी-एच. डी. शोध से संबंधित कुल सात प्रस्तावों पर चर्चा हुई और सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। 
इनमें तीन नए शोधार्थियों के शोध प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। ये संदीप कुमार, ब्रज भूषण कुमार एवं सीमा हैं। इनके विषय क्रमशः विषय स्टडी ऑफ फाइनेंशियल इंटरमीडिएटेशन थ्रो काॅमर्सियल बैंक ..., बिहार में नवार्ड का कृषि एवं ग्रामीण विकास में योगदान ... एवं इफेक्टिवनेश ऑफ माइक्रो फाइनेंश इन सस्टेनेबल रूरल डेवलपमेंट ... है। तीनों के शोध निदेशक वाणिज्य विभाग के एसोसिएट प्रो.( डाॅ.) प्रभुनाथ सिंह हैं। इन सभी शोधार्थियों का नवंबर, 2019 से पी-एच. डी. कोर्स वर्क में नामांकन हुआ था। डीआरसी 22 जनवरी, 2021 को हुई है।
चार शोधार्थियों शैलेन्द्र कुमार, नीतीश कुमार, विकास कुमार एवं राजीव कुमार के शोध प्रबंध जमा करने हेतु अवधि विस्तारण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। 
बैठक में वाणिज्य संकायाध्यक्ष डाॅ. लम्बोदर झा, स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग, मधेपुरा के डाॅ. प्रभुनाथ सिंह, एसएनआरकेएस कॉलेज, सहरसा के डाॅ. सुनील कुमार एवं डाॅ. महेश कुमार  तथा बीएनएमभी काॅलेज, मधेपुरा के डाॅ. अशोक कुमार, कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, निदेशक अकादमिक डाॅ. एम. आई. एहसान एवं उपकुलसचिव अकादमिक डाॅ. सुधांशु शेखर उपस्थित थे। 
● एसओपी का हुआ पालन:
उप कुलसचिव अकादमिक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बैठक में शत-प्रतिशत उपस्थिति रही। इसमें विशेष रूप से कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु निर्धारित सभी दिशानिर्देशों (एसओपी) का पालन किया गया। इस हेतु विशेष रूप से केंद्रीय पुस्तकालय सभागार को सेनेटाइज कराया गया और सभी सदस्यों को मास्क, गलब्स एवं सेनेटाइजर वितरित किया गया।
● तीन दिन और होगी बैठक:
डाॅ. शेखर ने बताया कि आगे 14 जून  सोमवार को सामाजिक विज्ञान संकाय (इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, गृह विज्ञान), 15 जून मंगलवार को मानविकी संकाय (दर्शनशास्त्र, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, मैथिली) एवं 16 जून बुधवार को विज्ञान संकाय (वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, भौतिकी, रसायनशास्त्र, गणित) की बैठक सुनिश्चित है।
मालूम हो कि कुलपति प्रो.( डॉ.) आर.के.पी.रमण लगातार विश्वविद्यालय के शैक्षणिक उन्नयन हेतु और विशेष रूप से शोध को गति देने हेतु प्रयासरत हैं। उनके निदेशानुसार विश्वविद्यालय में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर जारी लाॅकडाउन में भी  छात्रहित से जुड़े कार्यों को ससमय पूरा करने का प्रयास किया गया और लगातार छात्रहित में निर्णय लिए जा रहे हैं। इस कड़ी में लंबे समय से प्रतिक्षित पीजीआरसी की बैठक का विशेष महत्व है।।

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