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रविवार, 3 जनवरी 2021

BNMU कैम्पस: " सफलता से इतराएं ना और असफलता से घबराएँ ना "- डॉ.सुधांशू शेखर...

मधेपुरा/बिहार: परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर अपना मूल्यांकन नहीं करें। न सफलता से इतराएं और न ही असफलता से घबराएँ। हर पल अपने जीवन का उन्नयन करने का प्रयास करें और समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में योगदान दें। ये बातें बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) डाॅ. सुधांशु शेखर ने कही। वे 'बीएनएमयू संवाद' की नई श्रृंखला 'साक्षात्कार' के अंतर्गत  शोधार्थी सारंग तनय के सवालों का जवाब दे रहे थे। नववर्ष के अवसर पर इस श्रृंखला की शुरूआत की गई है, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाने वाले शख्सियतों का साक्षात्कार लिया जाएगा।
डाॅ. शेखर ने बताया कि हमें सफलता एवं असफलता दोनों ही परिस्थितियों में विवेक से काम लेना चाहिए। वास्तव में सफलता कोई वैल्यू नहीं है, सफलता कोई मूल्य नहीं है।  सफल नहीं सुफल होना चाहिए। एक आदमी बुरे काम में सफल हो जाए, इससे बेहतर है कि एक आदमी भले काम में असफल हो जाए। सम्मान काम से होना चाहिए, सफलता से नहीं। हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मानव जीवन सर्वोपरि है और इसे हमें किसी भी परिस्थिति में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। 
सर्वप्रथम सारंग ने डाॅ. शेखर से उनकी पढ़ाई-लिखाई, मैट्रिक सेकंड क्लास करने से बावजूद आप असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सफर के बारे में जिज्ञासा व्यक्त की। इसके उत्तर में डाॅ. शेखर ने बताया कि उनकी पढ़ाई- लिखाई काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वे मैट्रिक एवं इंटर में द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुए, लेकिन स्नातक एवं स्नातकोत्तर में उन्होंने प्रथम श्रेणी से उत्तीर्णता प्राप्त की। फिर काफी संघर्ष के पश्चात पहले नियोजित शिक्षक और फिर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बनने में कामयाब रहे। जून 2017 में वे बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा की सेवा में आए। यह इस बात का प्रमाण है कि मनुष्य गिरकर संभल सकता है- असफलता से सीख लेकर सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ सकता है।
सारंग के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि उन्हें  मधेपुरा जैसे सहृदय लोग कहीं नहीं मिले। उन्होंने बताया कि वे पहले पत्रकार रहे हैं और वर्तमान में विश्वविद्यालय के पीआरओ की भूमिका निभा रहे हैं। दोनों ही  भूमिकाएँ अलग-अलग हैं, लेकिन एक-दूसरे से गहरे जुड़ी हुई हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा कि कोसी-सीमांचल और विशेषकर मधेपुरा के पत्रकारों के सहयोग से ही वे विश्वविद्यालय के लिए कुछ योगदान दे पाए हैं।
 क्या छात्रों को राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए ? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जीवन का प्रत्येक क्षेत्र राजनीति से प्रभावित एवं संचालित होता है। इसलिए सभी लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राजनीति में भाग लेना चाहिए और लेना पड़ता ही है। विशेषकर छात्र-जीवन तो राजनीति में भाग लेने का सर्वोत्तम समय है। 
सारंग ने कहा कि आप विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव अकादमिक भी हैं और इस रूप में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रगति में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है और आप एक अच्छे शोधार्थी भी रहे हैं, आप नए शोध के छात्रों को क्या सुझाव देना चाहेंगे ? इस प्रश्न के उत्तर में डाॅ. शेखर ने कहा कि वे माननीय कुलपति की योजनाओं को मूर्तरूप देने में अपनी भूमिका निभाएँगे। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को शोध-विषय के चयन में सर्वाधिक सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही निरंतर अध्ययनशील एवं चिंतनशील रहना चाहिए।
डाॅ. शेखर ने बताया कि वे नववर्ष 2021 में कुछ अधूरी किताबें पूरी करेंगे और दर्शन परिषद्, बिहार का अधिवेशन आयोजित करेंगे। उन्होंने बीएनएमयू संवाद के सभी सहयोगियों, सभी दर्शकों-श्रोताओं और विशेषकर सभी मीडियाकर्मियों को नववर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं।।

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