मधेपुरा। सदर अस्पताल में रविवार को मेन गेट पर हुए अचानक प्रसव से एक बच्चे की मौत हो गई। बताया गया कि गर्भवती महिला को ग्वालपाड़ा पीएचसी से सदर अस्पताल रेफर किया गया था। सदर अस्पताल में सक्रिय आशा द्वारा गुमराह कर निजी अस्पताल ले जाने के क्रम में गर्भवती महिला अस्पताल परिसर में ही बच्चे को जन्म दे दिया। जिससे सड़क पर बच्चे के गिरने से मौत हो गई। आक्रोशित परिजनों और स्थानीय लोगों ने सदर अस्पताल गेट को जाम करते हुए मेन रोड को भी जाम कर दिया।
बताया गया कि आलमनगर के गंगापुर गांव निवासी कुंदन सिंह की पत्नी खुशबू देवी इनदिनों अपने मायके ग्वालपाड़ा के झलाड़ी गांव में रह रही थी। प्रसव के लिए खुशबू को रविवार की सुबह ग्वालपाड़ा पीएचसी में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उसे पीएचसी से एंबुलेंस में सवार कर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। सदर अस्पताल में भर्ती करने के बाद उसकी जांच की गयी। खून की कमी को देखते डॉ. प्रीति कुमारी ने खुशबू की मां को ऑपरेशन कर प्रसव करने की बात कही। महिलाएं अपने घर से पुरुषों के आने का इंतजार कर रही थीं। इसी बीच एक आशा वहां पहुंची। उसने खुशबू की मां को यह कहकर गुमराह कर दिया कि यहां ठीक से प्रसव नहीं हो सकेगा। निजी अस्पताल में बढ़िया से प्रसव हो जाएगा। अपने विश्वास में लेकर बिना डिस्चार्ज कराए आशा गर्भवती महिला को लेकर जाने लगी। इसी बीच अस्पताल परिसर में ही गेट के पास महिला ने बच्चे को जन्म दिया। सड़क पर गिरने के कारण बच्चे की मौत हो गयी। इस घटना से आक्रोशित लोगों ने अस्पताल के पास ही सड़क जाम कर दिया। मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह ने लोगों को समझा कर शांत कराया। इसके बाद सड़क पर आवाजाही शुरू हुई।
सवाल यह है कि सदर अस्प्ताल में भर्ती मरीज को गुमराह कर डिस्चार्ज कराए बगैर निजी अस्पताल ले जाने वाले दलालों पर अस्पताल प्रबंधन सख्त कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। जबकि अस्पताल में दलालों के सक्रिय रहने की बात कोई नई नहीं है। कई बार मरीजों के परिजनों की ओर से आरोप भी लगते रहे हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन इस ओर कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा। हालांकि सदर अस्पताल के प्रभारी डीएस डॉ. फुल कुमार ने कहा कि डॉक्टर द्वारा महिला का प्रसव कराने की पूरी तैयारी की जा रही थी। उन्हें गुमराह कर कौन ले जा रहा था इसकी जांच की जा रही है। दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।



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