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मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

कारगर कदम नहीं उठे तो कलाकार विवश होकर करेंगे आंदोलन



मधेपुरा। बीएनएमयू की उदासीनता से परेशान कलाकारों ने मंगलवार को कुलपति से मिलकर मांगपत्र सौंपा। कलाकारों ने कहा कि यह दुखद है कि विवि में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई शुरू करवाने को लेकर वर्षों से कलाकारों द्वारा संघर्ष किया जा रहा है, लेकिन हर बार शुरू करने कि बात शुरू होकर ही दम तोड देती है। स्थापना काल से ही बीएनएमयू में संगीत व नाट्यशास्त्र नहीं हो पाने से यहां के रंगकर्मियों एवं छात्रों को दूसरे विवि का सहारा लेना पड़ता है। यह मधेपुरा की अस्मिता का भी सवाल है कि जब दरभंगा-मधेपुरा (कमला-कोसी) एक हो गयी है, तो वहां की तरह शिक्षा का स्तर भी क्यों न एक हो। संगीत व नाट्यशास्त्र संयुक्त मिथिला की पहचान है। इस पहचान को बीएनएमयू में बनाये रखने की जरूरत है। बीएनएमयू के स्थापना के 28 वर्ष बाद भी स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर संगीत व नाट्यशास्त्र की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है।


बीएनएमयू के पैतृक विवि एलएनएमयू में होती है नाट्यशास्त्र की पढ़ाई
 
रंगकर्मियों ने कहा कि नाट्यशास्त्र की पढ़ाई शुरू करने को लेकर कई वर्षों से लगातार स्थानीय स्तर पर मांग की जाती रही है। वर्ष 2017 में इसे लेकर व्यापक स्तर पर मुहिम छेड़ी गई थी एवं तत्कालीन कुलपति ने अगले सत्र से पढ़ाई शुरू करवाने की बात भी कही थी। नाट्यशास्त्र व संगीत की पढ़ाई शुरू करवाने को लेकर एकेडमिक, सीनेट व सिंडीकेट में भी कई बार आवाज उठती रही है। कलाकारों के शिष्टमंडल के सदस्यों का तर्क भी था कि जब बीएनएमयू के पैतृक विश्वविद्यालय एलएनएमयू दरभंगा में इसकी पढ़ाई होती है, तो फिर बीएनएमयू में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई शुरू करने में परेशानी क्यों आ रही है ? अपना दर्द बयां करते हुए कलाकारों ने कहा कि बीएनएमयू में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई नहीं होने के कारण यहां के छात्रों को राज्य के अन्य विवि एवं अन्य राज्यों में भटकना पड़ता है। यहां पढ़ाई शुरू होने से जहां नाट्य व संगीत में रुचि रखने वाली प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिलेगा, वहीं इस क्षेत्र में सृजन के साथ साथ रोजगार के अवसर भी उत्पन होंगे।



कारगर कदम नहीं उठाए गए तो विवश होकर किया जायेगा आंदोलन का रुख 

रंगकर्मियों का कहना था कि बीएनएमयू में पढ़ाई शुरू होने से शोध के कार्य को बढ़ावा मिलेगा और यहां कि विलुप्त हो रही सौंधी महक फिर से अपनी चमक बिखेर सकेगी। कुलपति प्रो. (डॉ.) आरकेपी रमन ने रंगकर्मियों से बात करते हुए कहा कि एलएनएमयू की गाइड लाइन व सिलेबस का अध्ययन कर बीएनएमयू में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई को लेकर कारगर कदम उठाये जायेंगे। जिससे कला संस्कृति के क्षेत्र में भी समुचित अवसर प्राप्त हो सके। बीएनएमयू के लिए भी यह कई स्तरों पर बहुपयोगी साबित होगा। उन्होंने इसके लिए सभी स्तरों से जानकारी उपलब्ध करने की जिम्मेदारी तत्क्षण विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर को दी। वहीं कलाकारों ने कहा कि बीएनएमयू में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई को लेकर विवि द्वारा इस बार कारगर कदम नहीं उठाए गए तो विवश होकर आंदोलन का रुख किया जायेगा। कलाकारों ने कहा कि लगातार मांग करके अब निराशा होने लगी है। कुलपति से मिलने वाले कलाकारों में शहंशाह, सुनीत साना, हर्षवर्द्धन सिंह राठौर, मनीष कुमार, अमित कुमार अंशु, अमित आनंद, फैजी शकील, शहनवाज अहमद, मिथुन कुमार गुप्ता, कार्तिक, बमबम, आतिफ, सुमन, सचिन, निशु सिंह, सिवानी अग्रवाल, रोहिनी कुमारी, रिया, सालू शुभम, अंजली आनंद समेत अन्य रंगकर्मी उपस्थित थे।

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