मधेपुरा/बिहार: आज अपना समाज सहित सम्पूर्ण विश्व कोरोना के साथ साथ सामाजिक मानसिकता से भी लड़ रहा है। जिसके घर में कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ निकल रहे हैं उसके आस पड़ोस के लोग उन्हें डर, शक आदि के नज़र से देख रहे। जबकि ज़रूरत हैं अपना खुद का परहेज़ करते हुए उन्हें मानसिक मदद करने की। आज मधेपुरा और आस - पास के कुछ जागरूक लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस विषय पर अपना विचार रखे। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अलग-अलग देश या अन्य जगह रह रहे कोसीवासी सम्मलित हुए। सभी ने आम जनता से अपील की कोरोना इतनी बड़ी बीमारी नहीं हो सकती कि सम्पूर्ण विश्व के सामाजिकता को ख़त्म कर दें, आइए सब मिल कर उन्हें मानसिक संतावना प्रदान करते हुए आदर का भाव रखे। यह बीमारी किसी को भी हो सकती हैं और लोग कुछ दिन में ही स्वस्थ हो जाते हैं।
मुंबई रेड ज़ोन में रह रहे बॉलीवुड के गीतकार राजशेखर ने कहा दुनिया भर में लोग ठीक होकर आते हैं तो तालियों से उनका स्वागत करते हैं- अरे ये अपना आदमी कोरोना को हराकर आया। अपने यहाँ भी ऐसा ही होना चाहिए ताकि लोग खुलकर टेस्ट करा सकें। किसी कोरोना पोज़िटिव या उनके परिवार के साथ भेदभाव करने से लोग टेस्ट कराने से डरेंगे और बीमारी जल्दी ख़त्म नहीं हो पाएगी।
मधेपुरा के एंटेरपेनीयोर आशीष सोना ने कहा कोरोना के लिए के सरकार के निर्देश को पालन करते हुए सवेंदनशील बनिए,आस- पड़ोस के लोगों का बायकाट समस्या का निदान बिल्कुल नहीं है ।
लंदन में रह रहे आइ०आइ०टी०एन आमोद कुमार ने कहा कोरोना सकारात्मक मामलों को हाइलाइट करें और प्रचार करें जो लोग सामान्य हो गए हैं। फ्लू या इसी तरह की बीमारियों के लिए भारत में तुलनीय मृत्यु दर। इस पहलू को उजागर करें। इस पर और अधिक चर्चा की जरूरत है ताकि यह बीमारी हमें हल्का लगने लगे।
केमेस्ट्री स्कालर सह प्रशिक्षक समिधा ग़्रुप नेहा सिंह कहती हैं कि लोगों में मौजूद डर और जानकारी की कमी है अगर उन्हें सही जानकारी होगी तो ये पता चलेगा कि ये वायरस कैसे फैलता है और संक्रमण के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है।मेरे हिसाब से साइकोलॉजिकल काउंसलिंग कराने की योजना बनाई जानी चाहिए और लोगो को जागरूक करना चाहिए।
जोहेंसबर्ग(साउथ अफ़्रीका) में रह रही विध्या गुप्ता कहती हैं कोरोना पोसिटिव लोग से भेद भाव न करे जिन्होंने अपनी खुद की जिम्मेदारी निभाई और जाँच करवाया और क्वारंटाइन में गए। जिम्मेदारी सिर्फ सरकार, डॉक्टर, पुलिस कर्मी, बैंकर या सफाई कर्मी की ही नहीं बल्कि हमारी भी है की ऐसी परिस्थिति में हमसे जितना हो पाए हम लोगो की मदद करे न की उनसे घृणा करें।
मधेपुरा के एंटेरपेनीयोर अमित कुमार मोनी कहते हैं सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी को फिजिकल डिस्टेंसिंग कहना ज्यादा उचित होगा। सभी तरह के मीडिया और हैल्थ डिपार्टमेंट के प्रेस रिलीज में भी इसे लोगों को बताना चाहिए की पैनिक नहीं होना है।
रवांडा(साउथ अफ़्रीक में रह रहे सुधाकर सिंह कहते है भ्रामक ख़बर ने सभी को डरा दिया हैं , हमें डरना नहीं बल्कि जागरूक रहना हैं।
पटना में रह रहे समाजसेवी सह पत्रकार सोमू आनंद ने कहा इस संदर्भ मे पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोगों को आगे आकार अपने पूरी बात का विडीयो सोशल मीडिया पर डालना चाहिए। साथ ही उन्हें अपने प्लाज़्मा डोनेट करने के लिए लोकल प्रशासन को कहना चाहिए।
प्रोग्राम का संचालन करते हुए समिधा ग़्रुप के सचिव संदीप शांडिल्य ने कहा सम्पूर्ण विश्व में शायद कोई ही बचे जिसको कोरोना नहीं होगा फिर लोग घृणा किससे करना चाहते हैं। आने वाले दिन में सब कुछ सामान्य हो जाएगा ।
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डेटा एनलयसिस्ट एन०एस०पार्थशार्थी , आइ०आइ० टी एन, बैंकोक से श्रुति झा, प्रशिक्षक समिधा ग़्रुप नेहा ठाकुर ने भी अपनी बातें कोनफ़्रेंस में कहीं।।।
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