मधेपुरा/बिहार: छात्र संगठन एसएफआई के विश्वविद्यालय प्रभारी सह रिसर्च स्कॉलर सारंग तनय ने विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अराजकता को दूर करने के संबंध में कुलपति डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी को ज्ञापन दिया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि विश्वविद्यालय में लागू किये गए यूएमआईएस सहित अन्य मामलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार एवं अराजकता व्याप्त है। इसे अबिलम्ब दूर किया जाय, अन्यथा हम चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ज्ञापन की प्रतिलिपि प्रधान सचिव, राजभवन पटना, प्रधान सचिव, शिक्षा विभाग, डीएसडब्लू, कुलसचिव एवं कुलपति के निजी सचिव को दी गई है।
ज्ञापन में माँगे की गई है कि वर्तमान में यूएमआईएस में जो कंपनी काम कर रही है, पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करा रही है। अतः इस कंपनी का कांटेक्ट रद्द किया जाए।यूएमआईएस की वर्तमान कंपनी से किए गए कांटेक्ट को सार्वजनिक करने का कष्ट करें। यूएमआईएस की वर्तमान कंपनी ने जिन कामों को नहीं किया है, उससे संबंधित भुगतान की गई राशि वापस लेने का कष्ट करें।
यूएमआईएस में कार्यरत कर्मियों का पूरा डिटेल्स जारी करने का कष्ट करें।
इसके अलावा यह भी माँग की गई है कि यूएमआईएस के नोडल पदाधिकारी को अविलंब पद मुक्त कर उन्हें पैतृक महाविद्यालय भेजने का कष्ट करें। यूएमआईएस का डेटा सुरक्षित है या नहीं ? यह डेटा हमारे विश्वविद्यालय की बहुमूल्य संपत्ति है, इसे दूसरे कंपनी के पास नहीं दिया जाए। यूएमआईएस के लिए विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर एवं सर्वर जोड़ा जाए, किसी भी कंपनी को कांटेक्ट नहीं दिया जाए। विद्यार्थियों के लिए पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) शुल्क एक सौ रूपये मात्र से अधिक नहीं हो।विद्यार्थियों से एक ही बार सभी कॉलेज एवं सभी विषय का ऑप्शन (विकल्प) लिया जाए ऐसी व्यवस्था हो कि विद्यार्थियों को बार-बार फॉर्म नहीं भरना पड़े।विद्यार्थियों के द्वारा जमा कराया गया पैसा विश्वविद्यालय के एकाउंट में जमा कराया जाए।
इसके अलावा यह भी माँग की गई है कि पैट-2019 क्वालीफाई स्टूडेंट्स को मार्क्स शीट अविलंब मुहैया कराई जाय। पैट-2019 कोर्स वर्क परीक्षा अविलंब ली जाए। पार्ट थर्ड 2019 के पेंडिंग रिजल्ट क्लियर करने की समय सीमा तय हो। गर्ल्स हॉस्टल को विधिवत रूप से चालू किया जाय एवं न्यूनतम फीस तय हो। पीएटी-2019 के अभ्यर्थियों से दो हजार पाँच सौ रूपये प्रीपीएचडी टेस्ट फी के नाम पर लिया गया था। पीएटी-2019 के आवेदन से कुल राशि संग्रहित की गई? पीएटी-2019 के आयोजन में खर्च कितना हुआ ? क्या उसके बाद राशि बची हुई है ? यदि बची हुई है, तो इस राशि को सभी अभ्यर्थियों को वापस किया जाए। वापस करना संभव नहीं हो तो उस राशि से एक 'रिसर्च सेंटर' की स्थापना की जाए।
सारंग ने कहा है कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। यह अधिकार, व्यवहार में तभी लागू हो सकता है, जब शिक्षा का शुल्क न्यूनतम हो। लेकिन बीएनएमयू का नया यूएमआईएस सिस्टम येन-केन-प्रकारेण विद्यार्थियों से पैसा वसूलने या आर्थिक शोषण करने का एक जरिया बना हुआ है। इस तरह यह छात्र विरोधी तो है ही, संविधान विरोधी एवं लोकतंत्र विरोधी भी है।।।


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें