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गुरुवार, 7 मई 2020

लॉकडाउन का प्रवासी बिहारी मजदूरों पर प्रभाव एवं समाधान...

 ● सारंग तनय@मधेपुरा।
मधेपुरा/बिहार: पीएम मोदी  द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी तालाबंदी(लॉक डाउन) का प्रवासी बिहारी मजदूर पर गंभीर प्रभाव पड़ा है ,लगभग 1.74 लाख प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य पहुंच चुके हैं तथा 1.8400000 मजदूर विभिन्न राज्यों में अभी भी फंसे हुए हैं ।ऐसी दशा में कोविड-19 तालाबंदी का प्रभाव प्रवासी मजदूर पर एवं इस समस्या का समाधान अनिवार्य है।
इस संदर्भ में  बीएनएमयू की शोध छात्रा नैनिका ने कई समस्याओं को रेखांकित किया तथा महत्वपूर्ण सुझाव , समस्या के समाधान के लिए बताया है।
कई राज्यों में तत्कालिक समस्याएं प्रवासी मजदूरों के समक्ष भोजन की है।  एक अति गंभीर समस्या  दक्षिण के कई राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों  राज्यों के स्थानीय नौकरशाह से संपर्क स्थापित करने में कठिनाई हो रही है।


शोध छात्रा नैनिका के द्वारा इन समस्याओं के निराकरण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। उनका अभिमत है कि भाषा संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए दूसरे राज्यों के बिहार केयूर के आईएएस एवं आईपीएस के माध्यम से संपर्क स्थापित किया जा सकता है दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के भोजन एवं आश्चर्य के लिए वहां की राज्य सरकार से सीधा संपर्क स्थापित किया जा सकता है उन राज्यों में हंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या का आकलन करके वहां की सरकार के राजकोष में वित्तीय सहायता दिया जा सकता है तथा उस राज्य सरकार को इन प्रवासी मजदूरों को वित्तीय सहायता देने के लिए अधिकृत किया जा सकता है।
दूसरी और बिहार वापस लौटे मजदूरों के लिए भी रणनीति बनानी आवश्यक है इस संदर्भ में एक दीर्घकालीन योजना बनाने की जरूरत है बिहार की जनसंख्या का दो तिहाई भाग 20 -25 वर्ष के युवकों की है।


मनरेगा जैसी योजना का प्रभाव कारी क्रियान्वयन आवश्यक है कोविड-19 तालाबंदी के बाद बाकी परिस्थिति में सरकार की जल जीवन हरियाली मिशन को मनरेगा से जोड़ना बहुत जरूरी हो जाता है इन दोनों का संयुक्त क्रियान्वयन 250 दिनों तक आवश्यक है जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और लोगों को आमदनी हो पाएगी उनके परिणाम स्वरूप बाजार में मांग आपूर्ति का निरंतर संचालन होगा सरकार को जन वितरण प्रणाली पीडीएस के दुकानों के माध्यम से अनाजों को बेचना चाहिए क्योंकि बिहार में बहुत बड़ी मात्रा में अनाज का भंडारण है राज्य सरकार केन्स के आर्थिक सिद्धांत को भी अपनाना चाहिए यानी कि सरकारी व्यय को बढ़ावा देना चाहिए।।।


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