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शनिवार, 7 मार्च 2020

BNMU:"शिक्षा, समाज एवं संस्कृति" पर होगा मंथन,कुलपति की अध्यक्षता में हुई समीक्षात्मक बैठक...

◆सारंग तनय@मधेपुरा(बिहार)।
मधेपुरा: भारतीय संस्कृति दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति है और आज भी इसकी प्रासंगिकता बरकरार है। आज पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रही है। यह बात कुलपति प्रोफेसर डाॅ. अवध किशोर राय ने कही। वे शुक्रवार को दर्शन परिषद्, बिहार के आयोजन को लेकर  केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। यह अधिवेशन भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में पहली बार 20-22 मार्च तक आयोजित होने जा रहा है।
        कुलपति ने बताया कि  अधिवेशन का मुख्य विषय "शिक्षा, समाज एवं संस्कृति" रखा गया है। इन तीनों में गहरा संबंध है। हम जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से मानव का संबंध स्थापित होता है। इस संबंध को मजबूत एवं सुदृढ़ बनाने के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है। प्रत्येक समाज शिक्षा के माध्यम से ही अपने सदस्यों में अपनी संस्कृति का संचरण करता है।
  कुलपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृति है। दुनिया की कई संस्कृति लुप्त हो गई, लेकिन भारतीय संस्कृति की अविरल धारा आज भी सतत् प्रवाहमान है। हमारे सांस्कृतिक मूल्य आज भी अक्षुण्ण हैं और इसके बल पर हम दुनिया के समाने मजबूती से खड़े हैं।

उन्होंने  कहा कि हमें युवाओं के बीच भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है। हम अपनी संस्कृति के संरक्षक महापुरुषों को बार-बार याद करें और संस्कृति की विशेषताओं को आगे बढ़ाएँ।
कुलपति ने कहा कि इस अधिवेशन का आयोजन विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। पूरे देश में इस आयोजन को लेकर चर्चा हो रही है। हमें विश्वास है कि इस आयोजन से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। 
कुलपति ने इस अधिवेशन के आयोजन में सभी पदाधिकारियों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, कर्मचारियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों, अभिभावकों, पत्रकारों एवं समाजसेवियों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि  यह हम सबों का कार्यक्रम है और सभी व्यक्ति खुले मन से इसमें सहयोग करें। इसमें हम सबों को किसी न किसी रूप में भागीदारी निभानी है। सबों के सहयोग से ही यह कार्यक्रम सफल होगा। 
  प्रति कुलपति डाॅ. फारूक अली ने बताया कि   मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली (आईसीपीआर) से दो लाख रूपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। साथ ही विभिन्न महाविद्यालयों से भी सहयोग प्राप्त हुआ है। अन्य जगहों से भी सहयोग प्राप्त होने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि बीएनएमयू में एक वर्ष से अधिक समय से इस कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियां चल रही हैं। दिसंबर, 2018 को पटना में आयोजित 41 वें वार्षिक अधिवेशन में कई अन्य विश्वविद्यालयों के सिथ बीएनएमयू ने भी 42वें अधिवेशन के आयोजन का प्रस्ताव दिया था। आमसभा ने सभी प्रस्तावों के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया और अंततः बीएनएमयू के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई थीं। हमें इस अधिवेशन को यादगार बनाकर परिषद् के सभी सदस्यों का दिल जीतना है।

आयोजन सचिव सह बीएनएमयू जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि अधिवेशन के अवसर पर एक स्मारिका का प्रकाशन किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह, राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  सहित कई गणमान्य राजनेताओं एवं शिक्षाविदों का शुभकामना संदेश प्राप्त हो चुका है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लगभग तीन सौ विद्वानों का शोध-सार एवं शोध-आलेख प्राप्त हुआ है।   

मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने बताया कि सम्मेलन में देश के कोने-कोने से दार्शनिक एवं शिक्षाविद् शिरकत करेंगे। इनमें पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक प्रो. (डाॅ.) रामजी सिंह, पूर्व कुलपति प्रो. (डाॅ.) सोहनराज तातेड़ (जोधपुर),  आईसीपीआर के अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) रमेशचन्द्र सिन्हा, अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.)  जटाशंकर (इलाहाबाद), उत्तर भारत दर्शन परिषद् के अध्यक्ष  प्रो. (डाॅ.) सभाजीत मिश्र (गोरखपुर), दर्शन परिषद्, बिहार के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) प्रभु नारायण मंडल (भागलपुर), अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) बी. एन. ओझा एवं महासचिव डाॅ. श्यामल किशोर (पटना) के नाम शामिल हैंं।
●उपस्थिति:
बैठक में मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी, टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा के डाॅ. शिव शंकर कुमार, पार्वती साइंस काॅलेज, मधेपुरा के डॉ. सुनील कुमार यादव, एचपीएस काॅलेज, निर्मली के डॉ. रणधीर कुमार सिंह एवं डॉ. पंकज कुमार, केपी काॅलेज, मुरलीगंज के डॉ. मो. अली अहमद मंसूरी, आरजेएम काॅलेज, सहरसा के डाॅ. प्रत्यक्षा राज, एचपीएस काॅलेज, उदाकिसुनगंज के डॉ. मिथिलेश कु झा एवं
डॉ रंजीत कुमार, सीनेटर रंजन यादव, पत्रकार पृथ्वीराज यदुवंशी एवं गरिमा उर्विशा, शोधार्थी सारंग तनय,  एवं सौरभ कुमार चौहान, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. धीरेंद्र कुमार, ईसा असलम, पल्लवी राय, आमोद आनंद, राजीब कुमार, चंदन कुमार, बिमल कुमार, माधव कुमार, मनीष कुमार, , राजहंस राज,  डेविड यादव आदि उपस्थित थे।
●मिलेंगे कई पुरस्कार:
 अधिवेशन में पांच विभागों (समाज दर्शन, धर्म दर्शन, नीति दर्शन, तत्वमीमांसा एवं ज्ञानमीमांसा) के अंतर्गत शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाएँगे। इन विभागों में 35 वर्ष से कम आयु के लोगों द्वारा पढे जाने वाले श्रेष्ठ पाँच आलेखों (प्रत्येक विभाग में एक) पर जे. एन. ओझा स्मृति युवा पुरस्कार (प्रत्येक पुरस्कार एक हजार रूपये का) प्रदान किया जाएगा।
      इसी तरह 35 वर्ष से कम उम्र के पाँच अन्य लोगों को एक-एक हजार का डाॅ. विजय श्री स्मृति युवा पुरस्कार भी प्रदान किया जाएगा, इसके अलावा सभी विभागों में प्रस्तुत एक सर्वश्रेष्ठ आलेख पर दो हजार रुपये का प्रोफेसर सोहनराज लक्ष्मीदेवी तातेड़, जोधपुर (राजस्थान) पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
 ●दो विशेष संगोष्ठी:
अधिवेशन के अवसर पर दो विशेष संगोष्ठियाँ भी आयोजित की गई हैं। पहली संगोष्ठी का विषय 'बिहार की दार्शनिक एवं सांस्कृतिक विरासत' है। इसके जरिए पूरे बिहार और विशेषकर कोसी की विरासत को सामने लाया जाएगा।
दूसरी संगोष्ठी 'गाँधी 150 : विमर्श एवं विकल्प' पर केन्द्रित है। इसके जरिए आतंकवाद, पर्यावरण संकट, बेरोजगारी, विषमता, अनैतिकता आदि समस्याओं का समाधान में गाँधी-दर्शन की प्रासंगिकता को रेखांकित किया जाएगा।।।
       

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