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सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

MADHEPURA:संतों का आंदोलन भक्ति का नहीं मुक्ति का आंदोलन:डॉ जवाहर पासवान...

     ●सारंग तनय@मधेपुरा।
मधेपुरा:आधुनिक भारत में संतों का आंदोलन भक्ति का नहीं मुक्ति का आंदोलन था। उक्त बातें  अंबेडकर छात्रावास मधेपुरा के प्रांगण में संत शिरोमणि रैदास जयंती के शुभ अवसर पर संबोधित करते हुए बीएनएमयू के सीनेट - सिंडीकेट सदस्य डॉ जवाहर पासवान ने कहा।उन्होंने कहा कि जब भारत में मनुवाद जातिवाद संप्रदायवाद एवं छुआछूत पाखंडवाद चरम सीमा पर था तो ऐसे ही भीषण परिस्थिति में 16वीं शताब्दी में संत शिरोमणि रविदास साहब का जन्म हुआ था।उनके सत्य परख एवं परिवर्तनकारी विचारों के वजह से चित्तौड़गढ़ की महारानी भी उनके विचारों को आत्मसात कर समाज के अंदर फैलाने लगी जिसके चलते महारानी मीराबाई को अपने ही परिवार और समाज से विषपान का भी सामना करना पड़ा और वह अपने दृढ़ विश्वास के साथ समाज के लिए कार्य करती रही।आज समाज में ऐसे ही व्यक्ति की जरूरत है तब जाकर हमारे समाज को मुक्ति मिलेगी।
विशिष्ट अतिथि डॉक्टर प्रोफेसर ललन प्रकाश साहनी ने कहा कि जिस तरह तलवार की धार शान से तेज किया जाता है उसी प्रकार हमें अपने पुरखों के विचारों को भी समाज के अंदर प्रचारित एवं प्रसारित कर तेज किया जाएगा तब जाकर ही बहुजन समाज के अंदर चेतना जगॆगी। मुख्य अतिथि के रूप में बामसेफ के पूर्व जिला अध्यक्ष सुभाष पासवान ने कहा कि आधुनिक भारत के महान विचार परिवर्तक संत शिरोमणि रैदास एवं संत कबीर एक ही मां के दो संतान थे। मनु वादियों ने एक को चमार एवं दूसरे को जुलाहा बनाया।उन्होंने कहा कि जब तक रैदास जिंदा रहे मनु वादियों की बोलती बंद रही, जब उनकी हत्या धर्म के धोखे बाजो ने की तो उनके बारे में मोटी-मोटी ग्रंथों को लिखकर कहा गया कि संत रैदास भक्ति का आंदोलन चला रहे थे, जबकि वे बहुजन समाज के लिए मुक्ति का आंदोलन चला रहे थे। प्रोफेसर अंजली पासवान ने संबोधित करते हुए कही कि मीराबाई के भजन में जो सत्यता है आज भी हमारे समाज के लिए अनछुआ पहलू है। मीरा कृष्ण के लिए नहीं वह तो संत रैदास जी के विचारों के लिए कहती थी।‍‌‍ "ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन वो तो गली-गली हरि गुण गाने लगी।"आज समाज को मीरा जैसी प्रवर्तक की जरूरत है तब जाकर ही हमारे समाज में परिवर्तन होगा ‌।भारतीय विद्यार्थी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल पासवान एवं विश्वविद्यालय अध्यक्ष मुन्ना कुमार ने कहा कि सभी परिवर्तनों का मूल परिवर्तन है विचार परिवर्तन जो हमारे आधुनिक भारत के संत चाहते थे। आज हमें उनके विचारों को समझ कर समाज को समझाना पड़ेगा यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा बिहार प्रभारी डीएन बौद्ध  ने कहा कि संत रैदास हमारे बहुजन समाज के ऐसे पुरोधा थे जो मनुवाद एवं पाखंडवाद का जीवन भर धज्जियां उड़ाते रहे। इसके अलावा छात्र अनिल कुमार, सनोज, विकास, सोनू, दीपक, प्रभास, मोहन, संतोष, सनी, नितीश, राजू, अजय, गौरव, समीत, पिंटू, मिथिलेश, कुंदन, चंदन, लालू, शिवकुमार राम, सुमन, हीरा महादेव सोरेन आशीष रविंद्र, सत्यम, शिवम, शुभम, ओम इत्यादि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ जवाहर पासवान ने किया।

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