●सारंग तनय@मधेपुरा(बिहार)।
मधेपुरा: भूपेंद्र नारायण मंडल का जीवन हमारे लिए आदर्श है। वे आम लोगों के लिए समर्पित मनीषी थे। उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा रोशनी पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उक्त बातें कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने कही। वे शनिवार को विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में आयोजित सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता भूपेन्द्र नारायण मंडल की जयंती सह विश्वविद्यालय स्थापना दिवस उत्सव की अध्यक्षता कर रहे थे। इसको लेकर जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए थे। भूपेन्द्र नारायण मंडल प्रतिमा स्थल को फूलों से सजाया गया था।
कुलपति ने कहा कि भूपेन्द्र बाबू गाँधीवादी समाजवाद के स्तंभ थे। वे अपने से पहले वंचित व्यक्ति के हितों को देखते थे। हमें गर्व है कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण भूपेन्द्र बाबू के नाम पर किया गया।
कुलपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के कल एवं आज को संजोने की जरूरत है। साथ ही आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए एकजुट होना है और विकास के कारवां को रूकने नहीं देना है। हमें अनवरत प्रगति के पथ पर चलते रहना है। चरेवेति, चरेवेति।
प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने कहा कि भूत भविष्य को बंधनग्रस्त नहीं कर सकता है। भविष्य वर्तमान से आकार लेता है। हमें अतीत, वर्तमान एवं भविष्य तीनों के बीच तालमेल बैठाकर चलना है। इस दिशा में बीएनएमयू : कल, आज और कल का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को संकीर्णता से मुक्त होना चाहिए। शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक परिवर्तन के लिए भी होनी चाहिए।
टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा के पूर्व प्रधानाचार्य डाॅ. सच्चिदानंद यादव ने कहा कि भूपेन्द्र बाबू समाजवाद प्रबल हिमायती थे। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को प्रचारित-प्रसारित करने की जरूरत है।
कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के निर्माण में जननायक कर्पूरी ठाकुर, तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति डाॅ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि की महती भूमिका है।
जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने सबों से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय के इतिहास, उपलब्धियों, कार्य योजनाओं और अपने संस्मरणों से संबंधित आलेख भेजे। इसे बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय : कल, आज और कल पुस्तक में प्रकाशित किया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरुआत साउथ कैम्पस स्थित भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि के साथ हुई। मुख्य समारोह में विशेष रूप से भूपेन्द्र बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया और 'बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय : कल, आज और कल' विषय पर परिचर्चा हुई।
अतिथियों का स्वागत कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने किया। संचालन पृथ्वीराज यदुवंशी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कुलानुशासक डाॅ. अशोक कुमार यादव ने की।
इस अवसर पर शिक्षक वित्तीय परामर्शी सुरेश चंद्र दास, पूर्व कुलसचिव डाॅ. शचीन्द्र महतो, डाॅ. भूपेन्द्र ना.यादव मधेपुरी, सीनेट -सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, शिक्षक नेता डाॅ. नरेश कुमार, निदेशक अकादमिक डाॅ. एम. आई. रहमान, पूर्व वार्ड पार्षद ध्यानी यादव, डाॅ. इम्तियाज अंजूम, पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर, कुलपति के निजी सहायक शंभु ना.यादव, सीनेटर रंजन यादव, महेंद्र नारायण मंडल, परमेश्वरी यादव, आनंद कुमार, विकास कुमार, शोधार्थी सारंग तनय, डेविड यादव आदि उपस्थित थे।
●लोकार्पण:
इस अवसर के लिए खासतौर से प्रकाशित एक स्मारिका का लोकार्पण किया गया। इसके प्रधान संरक्षक कुलपति, संरक्षक प्रति कुलपति, प्रकाशक कुलसचिव और संपादक जनसंपर्क पदाधिकारी हैं। इसमें चार आलेख प्रकाशित किए गए हैं। साथ ही कुछ चित्रों को भी स्थान दिया गया है।
भूपेन्द्र नारायण विचार मंच द्वारा प्रकाशित पुस्तक सदन में भूपेन्द्र नारायण मंडल का लोकार्पण भी किया गया। इसका संपादन डाॅ. श्यामल किशोर यादव, डाॅ. सच्चिदानंद यादव एवं डाॅ. आलोक कुमार ने किया है। इसमें भूपेन्द्र बाबू द्वारा राज्यसभा, लोकसभा एवं बिहार विधानसभा में दिए गए भाषणों को संकलित किया गया है। साथ ही उनकी जीवनी भी प्रकाशित की गई है। इसका खास आकर्षण सोशलिस्ट पार्टी के चतुर्थ सम्मेलन में दिया गया उनका अध्यक्षीय भाषण 'समाजवाद का वैज्ञानिक स्वरूप' है।
●सम्मान:
फरवरी 2019 से जनवरी 2020 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. परमानन्द यादव, डॉ. शिवमुनि यादव, डॉ. अमोल राय, डॉ. अरुण कुमार मिश्रा, डॉ. एच. एल. एस. जौहरी, डॉ. बलराम सिंह एवं डॉ. बी. एन. साह और शिक्षकेत्तर कर्मचारी विद्यानंद सिंह को सम्मानित किया गया।
●कम्बल वितरण:
कार्यक्रम के दौरान कुलपति की धर्म पत्नी शोभा राय के सौजन्य से प्राप्त कम्बल देकर चतुर्थवर्गीय कर्मयों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में ललन मल्लिक, अशोक मल्लिक, सुशील मल्लिक, रंजीत मल्लिक, ललन कुमार यादव, ललन कुमार, चंदन मुखिया, राजेन्द्र मल्लिक, अमितम ल्लिक के नाम शामिल हैं।
●समिति:
आयोजन हेतु गठित विभिन्न समितियों ने सक्रिय सहयोग किया। संचालन समिति में डाॅ. फारूक़ अली, डाॅ. अशोक कुमार यादव, डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, सुरजदेव प्रसाद,
डाॅ. ललन प्रसाद अद्री एवं श्री बी. पी. यादव, इवेंट मैनेजमेंट कमिटी में डाॅ. नरेन्द्र श्रीवास्तव, डाॅ. एम. आई. रहमान एवं डाॅ. अबुल फजल, सांस्कृतिक समिति में डाॅ. रीता सिंह, डाॅ. बी. एन. विवेका, डाॅ. शंकर कुमार मिश्र एवं श्री पृथ्वीराज यदुवंशी, भोजन समिति में शंभु नारायण यादव, राजीव कुमार, राजेश कुमार, बबलू ठाकुर, विश्वनाथ साह, सी. एस. पांडेय, घनश्याम राय, शशांक कुमार, देवेन्द्र कुमार, संजीव कुमार,अशोक केसरी, बिमल कुमार, संजय कुमार सत्यार्थी, संतोष कुमार, अखिलेश्वर नारायण एवं राकेश कुमार के नाम शामिल थे।
●बी. एन. मंडल:
सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता बी. एन. मंडल का जन्म रानीपट्टी स्टेट के जमींदार बाबू जयनारायण मंडल और दानावती देवी के घर एक फरवरी 1904 को हुआ था। आपकी शिक्षा रानीपट्टी, मधेपुरा, मुंगेर, भागलपुर एवं पटना में हुई। आपने 1930 में वकालत पेशा के साथ अपना सार्वजनिक जीवन आरंभ किया। आप महात्मा गाँधी के आह्वान पर 1921 के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। आपने 13 अगस्त, 1942 को मधेपुरा स्थित ट्रेजरी बिल्डिंग पर तिरंगा फहराया। आपकी 1949 में गठित सोशलिस्ट पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका थी। आपने टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा की स्थापना में भी महती भूमिका निभाई। इस महाविद्यालय की स्थापना कालांतर में बीएनएमयू निर्माण का आधार बना। आप 1968 में और 1972 में राज्यसभा सदस्य बने। आपका सांसद रहते हुए 29 मई, 1975 को टेंगराहा (कुमारखंड) में महापरिनिर्वाण हुआ।।
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