लोकतंत्र को मजबूत करें : प्रति कुलपति
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह गौरव की बात है। लेकिन दुख की बात है कि हम लोकतांत्रिक मूल्यों के पालन में काफी पीछे हैं। अतः हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को दुनिया का सबसे बेहतर लोकतंत्र बनाएँ। यह बात प्रति कुलपति डॉ. फारुक अली ने कही। वे शनिवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में मताधिकार और संविधान विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
प्रति कुलपति ने कहा कि हमारा लोकतंत्र हमें स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता का अधिकार देता है। संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय दिलाने का आदर्श प्रस्तुत किया गया है। हमें अपने इन संवैधानिक आदर्शों को यथार्थ की धरातल पर उतारना है। समाज एवं राष्ट्र में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना है।
प्रति कुलपति ने कहा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान मताधिकार का अधिकार देता है। हमने एक नागरिक एक वोट का आदर्श लागू किया है। चपरासी से लेकर राष्ट्रपति तक को समान अधिकार दिया गया है।
प्रति कुलपति ने कहा कि भारतीय मतदाता काफी जागरूक है। लेकिन उसे और जागरूक करने की जरूरत है। हम अपने वोट का महत्व समझें और संवैधानिक मूल्यों का संरक्षण करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव ने कहा कि देश की दशा एवं दिशा मतदाताओं के हाथ में है। हम अपने मताधिकार के द्वारा समाज एवं राष्ट्र का भविष्य तय करते हैं। अतः हमें मताधिकार का गंभीरता से प्रयोग करना चाहिए और संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण हेतु हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मताधिकार हमारा सबसे बड़ा अधिकार है। हमें इस अधिकार का प्रयोग विवेकसम्मत ढंग से करना चाहिए। मतदान के दिन हम सभी काम को छोड़कर पहले मताधिकार का प्रयोग करें। पहले मतदान, फिर जलपान के नारे को चरितार्थ करें।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि भारतीय संविधान हमारा आदर्श है। यह देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। लेकिन हम आज तक संवैधानिक आदर्शों को समाज में लागू नहीं कर पाए हैं। यही कारण है कि समाज में आज भी विषमता एवं भेदभाव मौजूद है।
सम्मानित अतिथि हिंदी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. वीर किशोर सिंह ने कहा कि संविधान दिवस हमें अपने मताधिकार धर्म का बोध कराता है। हम अपने मताधिकार के महत्व को समझें और दूसरों को भी इसे समझाएँ।
कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद यादव ने की।
इस अवसर पर डाॅ. वीणा कुमारी, डाॅ. गीता रस्तोगी, लीला कुमारी, मधुलिका कुमारी, आभा रानी यादव, रीना सिन्हा, अनिता कुमारी, कुमारी मनसा, नीलू कुमारी, रीता कुमारी, कुमारी वंदना बिंदु, सुप्रिया कुमारी, रूपम कुमारी, सरस्वती कुमारी, अभय कुमार, शशिनाथ झा, शंकर दास, ओम प्रकाश, उमेश कुमार, डाॅ. अरूण कुमार, डाॅ. एन. के. निराला, परमानंद प्रसाद, दिनेश कुमार, डाॅ. दीप नारायण यादव, अनिल कुमार, राजेन्द्र प्रसाद यादव, नंदकिशोर कुमार, शिव किशोर सिंह, अरविंद कुमार, धीरेन्द्र कुमार, उमेश प्रसाद यादव, शुभेन्दु सिन्हा, शंकर आर्य, अभिनंदन यादव, विष्णुदेव प्रसाद यादव, संजय कुमार, रवि शंकर, नरेश कुमार आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के बाद सभी उपस्थित लोगों ने ठाकुर प्रसाद की प्रतिमा के समक्ष एक शपथ ली। शपथ में कहा गया, "हम भारत के नागरिक लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे और स्वतंत्रत, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए निर्भिक होकर धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचनों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।"
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह गौरव की बात है। लेकिन दुख की बात है कि हम लोकतांत्रिक मूल्यों के पालन में काफी पीछे हैं। अतः हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को दुनिया का सबसे बेहतर लोकतंत्र बनाएँ। यह बात प्रति कुलपति डॉ. फारुक अली ने कही। वे शनिवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में मताधिकार और संविधान विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
प्रति कुलपति ने कहा कि हमारा लोकतंत्र हमें स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता का अधिकार देता है। संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय दिलाने का आदर्श प्रस्तुत किया गया है। हमें अपने इन संवैधानिक आदर्शों को यथार्थ की धरातल पर उतारना है। समाज एवं राष्ट्र में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना है।
प्रति कुलपति ने कहा कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान मताधिकार का अधिकार देता है। हमने एक नागरिक एक वोट का आदर्श लागू किया है। चपरासी से लेकर राष्ट्रपति तक को समान अधिकार दिया गया है।
प्रति कुलपति ने कहा कि भारतीय मतदाता काफी जागरूक है। लेकिन उसे और जागरूक करने की जरूरत है। हम अपने वोट का महत्व समझें और संवैधानिक मूल्यों का संरक्षण करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव ने कहा कि देश की दशा एवं दिशा मतदाताओं के हाथ में है। हम अपने मताधिकार के द्वारा समाज एवं राष्ट्र का भविष्य तय करते हैं। अतः हमें मताधिकार का गंभीरता से प्रयोग करना चाहिए और संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण हेतु हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मताधिकार हमारा सबसे बड़ा अधिकार है। हमें इस अधिकार का प्रयोग विवेकसम्मत ढंग से करना चाहिए। मतदान के दिन हम सभी काम को छोड़कर पहले मताधिकार का प्रयोग करें। पहले मतदान, फिर जलपान के नारे को चरितार्थ करें।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि भारतीय संविधान हमारा आदर्श है। यह देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। लेकिन हम आज तक संवैधानिक आदर्शों को समाज में लागू नहीं कर पाए हैं। यही कारण है कि समाज में आज भी विषमता एवं भेदभाव मौजूद है।
सम्मानित अतिथि हिंदी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. वीर किशोर सिंह ने कहा कि संविधान दिवस हमें अपने मताधिकार धर्म का बोध कराता है। हम अपने मताधिकार के महत्व को समझें और दूसरों को भी इसे समझाएँ।
कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद यादव ने की।
इस अवसर पर डाॅ. वीणा कुमारी, डाॅ. गीता रस्तोगी, लीला कुमारी, मधुलिका कुमारी, आभा रानी यादव, रीना सिन्हा, अनिता कुमारी, कुमारी मनसा, नीलू कुमारी, रीता कुमारी, कुमारी वंदना बिंदु, सुप्रिया कुमारी, रूपम कुमारी, सरस्वती कुमारी, अभय कुमार, शशिनाथ झा, शंकर दास, ओम प्रकाश, उमेश कुमार, डाॅ. अरूण कुमार, डाॅ. एन. के. निराला, परमानंद प्रसाद, दिनेश कुमार, डाॅ. दीप नारायण यादव, अनिल कुमार, राजेन्द्र प्रसाद यादव, नंदकिशोर कुमार, शिव किशोर सिंह, अरविंद कुमार, धीरेन्द्र कुमार, उमेश प्रसाद यादव, शुभेन्दु सिन्हा, शंकर आर्य, अभिनंदन यादव, विष्णुदेव प्रसाद यादव, संजय कुमार, रवि शंकर, नरेश कुमार आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के बाद सभी उपस्थित लोगों ने ठाकुर प्रसाद की प्रतिमा के समक्ष एक शपथ ली। शपथ में कहा गया, "हम भारत के नागरिक लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे और स्वतंत्रत, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए निर्भिक होकर धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचनों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।"
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