संपादक- आर. की
बीएन मंडल विश्वविद्यालय में संविदा पर बहाली को लेकर निकली चिंगारी शांत होने की बजाय और भड़क गई है। अब छात्र संगठनों ने संविदा पर बहाली करने से पहले पिछले वर्ष विवि में हुई नियुक्ति में व्याप्त अनियमितता की जांच कराने की मांग की है। इस संबंध में अभाविप के विभाग संयोजक रंजन यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शशि यादव व जिला संयोजक अभिषेक यादव ने बिहार सरकार, राजभवन और मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख कर नियुक्ति की उच्च स्तरीय जांच करवाने की बात कही है। उन्होंने आरोप लगाया कि तब गलत तरीके से तत्कालीन पदाधिकारियों ने अपने निकटतम लोगों को बहाल कर लिया था। जबकि उच्च न्यायालय पटना के न्यायादेश के आलोक में राज्य सरकार ने केवल विवि में 25 वर्षो से कार्यरत 80 अस्थायी कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार करने की बात कही थी। विगत िदनों समीक्षा के दौरान विवि में गलत तरीके से नियुक्त कर्मियों को लेकर राजभवन व राज्य सरकार की सख्ती इसे प्रमाणित करती है। इससे पहले अभाविप ने नगर कार्यालय में प्रेस वार्ता आयोजित कर विवि परिसर में घटित घटना की कड़ी निंदा की। इस मौके अभाविप के नगर सह मंत्री अमोद कुमार, जिला संगठन मंत्री उपेंद्र कुमार भरत सहित अन्य छात्र उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि कुलसचिव ने बयान देकर शिक्षा के मंदिर का मजाक उड़ाया है। जहां शिक्षा संस्कार देने की बात होनी चाहिए। वहां कुलसचिव हथियार उठाने की बात कर रहे हैं जो पूरी तरह निंदनीय है ।
प्रेस वार्ता के दौरान अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शशि यादव एवं जिला संयोजक अभिषेक यादव ने कहा है कि विवि में विवादित घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। इस पर छात्र संगठन और छात्र संघ के पदाधिकारियों द्वारा जब विरोध किया जाता है तो विवि द्वारा हमला कराया जाता है। यह विवि की तानाशाही रवैया को दर्शाता है। नगर मंत्री नीतीश यादव ने कहा कि हाल के दिनों में बहाली सहित अन्य फर्जीवाड़े के मामले में विवि प्रशासन की मिलीभगत की बात सामने आई है। लेकिन इन मामलों में दोषियों पर कार्यवाही नहीं की गई। कुलपति को कई महीने पहले पुलिस चौकी बनाने लेकर ज्ञापन दिया गया। इस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय परिसर में घटी घटना पूरी तरह अवैध नियुक्ति का मामला है।
कहा कि एक तरफ विवि नियमों को ताक पर रख कर संविदा पर बहाली की प्रक्रिया अपना रही है। वहीं दूसरी तरफ विवि में बिना राज्य सरकार की अनुशंसा के गलत तरीके से नियुक्त कर्मचारियोंं पर हटाने की बात कही गई है। विवि को इस संबंध में राजभवन की ओर से दिशा-निर्देश भी दिया गया हैं। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के स्तर पर पिछले दिनों हुई कुलसचिवों की बैठक में यह मामला जोरदार तरीके से उठा था। बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा की समीक्षा के क्रम में पाया गया कि अभी भी यहां गलत तरीके से बहाल कर्मचारी कार्य कर रहे हैं।
जबकि राजभवन की ओर से विश्वविद्यालय में गलत तरीके से नियुक्त कर्मचारियों को लेकर जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि विश्वविद्यालय में कोई भी नियुक्ति अपने स्तर पर नहीं की जाए। साथ ही, विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया गया है कि वे अपने वेबसाइट पर शिक्षक व कर्मचारियों का पूरा विवरण सार्वजनिक करें। इसमें सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त कर्मचारियों को ही स्थान दिए जाने का निर्देश दिया गया है।
विवि एक्ट में जरूरत के अनुसार विवि में आउटसोर्सिंग व संविदा पर कर्मियों को बहाल करने का प्रावधान है। नियुक्ति के संबंध में राजभवन व राज्य सरकार का पत्र नहीं मिला है। पत्र मिलने पर उनके निर्देशों का पालन किया जाएगा।
प्रो डॉ अवध किशोर राय, कुलपति, बीएनएमयू
बीएन मंडल विश्वविद्यालय में संविदा पर बहाली को लेकर निकली चिंगारी शांत होने की बजाय और भड़क गई है। अब छात्र संगठनों ने संविदा पर बहाली करने से पहले पिछले वर्ष विवि में हुई नियुक्ति में व्याप्त अनियमितता की जांच कराने की मांग की है। इस संबंध में अभाविप के विभाग संयोजक रंजन यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शशि यादव व जिला संयोजक अभिषेक यादव ने बिहार सरकार, राजभवन और मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख कर नियुक्ति की उच्च स्तरीय जांच करवाने की बात कही है। उन्होंने आरोप लगाया कि तब गलत तरीके से तत्कालीन पदाधिकारियों ने अपने निकटतम लोगों को बहाल कर लिया था। जबकि उच्च न्यायालय पटना के न्यायादेश के आलोक में राज्य सरकार ने केवल विवि में 25 वर्षो से कार्यरत 80 अस्थायी कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार करने की बात कही थी। विगत िदनों समीक्षा के दौरान विवि में गलत तरीके से नियुक्त कर्मियों को लेकर राजभवन व राज्य सरकार की सख्ती इसे प्रमाणित करती है। इससे पहले अभाविप ने नगर कार्यालय में प्रेस वार्ता आयोजित कर विवि परिसर में घटित घटना की कड़ी निंदा की। इस मौके अभाविप के नगर सह मंत्री अमोद कुमार, जिला संगठन मंत्री उपेंद्र कुमार भरत सहित अन्य छात्र उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि कुलसचिव ने बयान देकर शिक्षा के मंदिर का मजाक उड़ाया है। जहां शिक्षा संस्कार देने की बात होनी चाहिए। वहां कुलसचिव हथियार उठाने की बात कर रहे हैं जो पूरी तरह निंदनीय है ।
प्रेस वार्ता के दौरान अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शशि यादव एवं जिला संयोजक अभिषेक यादव ने कहा है कि विवि में विवादित घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। इस पर छात्र संगठन और छात्र संघ के पदाधिकारियों द्वारा जब विरोध किया जाता है तो विवि द्वारा हमला कराया जाता है। यह विवि की तानाशाही रवैया को दर्शाता है। नगर मंत्री नीतीश यादव ने कहा कि हाल के दिनों में बहाली सहित अन्य फर्जीवाड़े के मामले में विवि प्रशासन की मिलीभगत की बात सामने आई है। लेकिन इन मामलों में दोषियों पर कार्यवाही नहीं की गई। कुलपति को कई महीने पहले पुलिस चौकी बनाने लेकर ज्ञापन दिया गया। इस पर अब तक कुछ नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय परिसर में घटी घटना पूरी तरह अवैध नियुक्ति का मामला है।
कहा कि एक तरफ विवि नियमों को ताक पर रख कर संविदा पर बहाली की प्रक्रिया अपना रही है। वहीं दूसरी तरफ विवि में बिना राज्य सरकार की अनुशंसा के गलत तरीके से नियुक्त कर्मचारियोंं पर हटाने की बात कही गई है। विवि को इस संबंध में राजभवन की ओर से दिशा-निर्देश भी दिया गया हैं। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के स्तर पर पिछले दिनों हुई कुलसचिवों की बैठक में यह मामला जोरदार तरीके से उठा था। बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा की समीक्षा के क्रम में पाया गया कि अभी भी यहां गलत तरीके से बहाल कर्मचारी कार्य कर रहे हैं।
जबकि राजभवन की ओर से विश्वविद्यालय में गलत तरीके से नियुक्त कर्मचारियों को लेकर जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि विश्वविद्यालय में कोई भी नियुक्ति अपने स्तर पर नहीं की जाए। साथ ही, विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किया गया है कि वे अपने वेबसाइट पर शिक्षक व कर्मचारियों का पूरा विवरण सार्वजनिक करें। इसमें सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त कर्मचारियों को ही स्थान दिए जाने का निर्देश दिया गया है।
विवि एक्ट में जरूरत के अनुसार विवि में आउटसोर्सिंग व संविदा पर कर्मियों को बहाल करने का प्रावधान है। नियुक्ति के संबंध में राजभवन व राज्य सरकार का पत्र नहीं मिला है। पत्र मिलने पर उनके निर्देशों का पालन किया जाएगा।
प्रो डॉ अवध किशोर राय, कुलपति, बीएनएमयू
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