संपादक- आर. कुमार
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति की वर्तमान कार्यशैली पर अब न्यास के सदस्यों ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। न्यास के सदस्य सह विधि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो सत्यजीत यादव ने कहा कि आखिर किसकी अुनमति से न्यास की जमीन पर दुकान बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर न्यास समिति की बैठक में इस तरह का कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। प्रो सत्यजीत यादव ने सवाल उठाया की आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गयी की आनन फानन में दुकान बनाने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि अगर 10 वर्ष पूर्व बैठक में मंदिर न्यास समिति द्वारा निर्णय लिया गया था तो पुनः उसका बैठक में अनुमोदन होना जरूरी है।
नियम विरूद्ध इस तरह का कार्य न्यास हित के खिलाफ व मंदिर न्यास के राजस्व को घाटा पहुचाने वाला है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से यह जानकार आश्चर्य लगा कि मंदिर के विकास को लेकर जिस जगह को तत्कालीन डीएम द्वारा खाली कराया गया था उसी जगह पर रातों-रात दूकान बनाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि आखिरकार वर्षो बाद अचानक ऐसी कौन सी परिस्थिति आई कि उस जगह पर सीधे दुकान बनाने की हड़बड़ी दिखाई गई। जबकि मंदिर ट्रस्ट की जमीन बहुत बेशकीमती है। लेकिन कतिपय लोगों की संलिप्तता की वजह से मंदिर ट्रस्ट को लाखों के राजस्व की हानि हो रही है। इसी हड़बड़ी के पीछे कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ी जरूर है। इसे न्यास की बैठक में प्रमुखता से उठाते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाए जाने की अनुशंसा की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति की वर्तमान कार्यशैली पर अब न्यास के सदस्यों ने ही सवाल खड़ा कर दिया है। न्यास के सदस्य सह विधि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो सत्यजीत यादव ने कहा कि आखिर किसकी अुनमति से न्यास की जमीन पर दुकान बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर न्यास समिति की बैठक में इस तरह का कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। प्रो सत्यजीत यादव ने सवाल उठाया की आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गयी की आनन फानन में दुकान बनाने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि अगर 10 वर्ष पूर्व बैठक में मंदिर न्यास समिति द्वारा निर्णय लिया गया था तो पुनः उसका बैठक में अनुमोदन होना जरूरी है।
नियम विरूद्ध इस तरह का कार्य न्यास हित के खिलाफ व मंदिर न्यास के राजस्व को घाटा पहुचाने वाला है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से यह जानकार आश्चर्य लगा कि मंदिर के विकास को लेकर जिस जगह को तत्कालीन डीएम द्वारा खाली कराया गया था उसी जगह पर रातों-रात दूकान बनाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि आखिरकार वर्षो बाद अचानक ऐसी कौन सी परिस्थिति आई कि उस जगह पर सीधे दुकान बनाने की हड़बड़ी दिखाई गई। जबकि मंदिर ट्रस्ट की जमीन बहुत बेशकीमती है। लेकिन कतिपय लोगों की संलिप्तता की वजह से मंदिर ट्रस्ट को लाखों के राजस्व की हानि हो रही है। इसी हड़बड़ी के पीछे कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ी जरूर है। इसे न्यास की बैठक में प्रमुखता से उठाते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाए जाने की अनुशंसा की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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