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बुधवार, 27 जून 2018

सिंहेश्वर मंदिर न्यास की जमीन पर पीछे के रास्ते से रुपए लेकर दूकान बसाने को लेकर आपस में भीड़े दो पक्ष, स्थिति तनावपूर्ण, दो संप्रदाय के बीच हो सकता है खून-खराबा

संपादक- आर. कुमार
बिहार का देवघर कहलाने वाले सुप्रसिद्ध मंदिर की जमीन पर रातों-रात दुकान बनाने की होड़ लगी हुई है। कोई रुपए के बल पर तो कोई आंख दिखा कर दुकान बना रहा है। इस तरह से केवल जून माह में दर्जनों दुकानें वहां बन गई है।  सोमवार देर शाम 14 फीट दुकान की जमीन के लिए दो पक्षों के बीच स्थिति तनावपूर्ण होने पर यह बातें खुल कर सामने आयी कि आखिर किसके अनुमति से यह दुकानें बन रही है। इसमें एक पक्ष के मो इसराईल का दावा है कि वह 15 वर्ष से यहां दुकान कर रहा था। जब पता चला कि पीछे के दरवाजे से दूसरे लोगों को रुपए लेकर जमीन आवंटन किया जा रहा है तो हमने अपनी जगह पर दुकान बनाना शुरू कर दिया। लेकिन उनलोगों ने दबंगई दिखाते हुए मेरी दुकान तोड़ दी और रातों-रात दुकान लगा लिया। वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि 6 फीट जगह के लिए न्यास द्वारा विधिवत रसीद काटा गया है।



फिलवक्त दोनों पक्षों के बीच तनाव स्थिति बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन समय रहते स्थिति पर नियंत्रण नहीं करती है तो वहां जमीन के लिए आपसी खून-खराबा हो सकता है।
सिंहेश्वर शिव मंदिर की ख्याति बिहार ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल तक फैली हुई है। लेकिन अब विडंबना यह है कि दूर- दराज के इलाकों में मौजूद मंदिर की संपत्ति की बिसात पर अब मुख्यालय सिंहेश्वर स्थित बाबा मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा सवालों के घेरे में है। इन दिनों जमीन आवंटन के लिए न्यास में सेंटिंग कर प्रति दुकान 50 हजार से एक लाख रुपए तक की लेन-देन की गई है। लेकिन न्यास के अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ है। उन्हें यह भी नहीं मालूम है कि न्यास की जमीन पर बिना रोक-टोक दर्जनों दुकानें खड़ी हो रही है। हालांकि बताया जा रहा है कि न्यास के स्थानीय सरपरस्त  ऐसे दुकानों से शुल्क की वसूली करते हैं। यही कारण है कि सब ने अपनी आंखें मूंद ली है।



न्यास के अधिकारियों की माने तो कुछ पुराने दुकानदारों को बकाया भुगतान के बाद जमीन आवंटन पर न्यास विचार कर सकती है। इसके लिए बैठक में यह चर्चा हुई थी कि न्यास केवल उन्हीं दुकानदारों को पुनः भूखंड आवंटन करेगी। लेकिन आलम यह है कि न्यास के निर्णय के विरूद्ध मंदिर रोड से लेकर मंदिर परिसर के भीतर, मवेशी हाट रोड, मेला परिसर, बाइपास और न्यास कार्यालय के समीप दुकानें बन रही है।
बताया जा रहा है कि किसी को न्यास की जमीन पर दुकान बनाने से पहले न्यास कार्यालय में इसके लिए आवेदन देना होता है। इसके बाद न्यास समिति की बैठक में उक्त आवेदन को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस पर न्यास समिति स्वीकृति प्रदान करेगी या नहीं यह समिति पर निर्भर करती है। इधर, न्यास की बैठक की प्रतीक्षा किए बिना ही नए दुकानें बनने लगी है।
न्यास की हालिया कार्यप्रणाली से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। न्यास की जमीन पर रुपए का लेन-देन कर दुकान व घर बनाने के लिए इन दिनों विवाद खड़ा होना आम है। न्यास की जमींन पर दुकान बनाने के लिए वैधानिक तरीके से अनुमति नहीं दी गई है। स्थानीय लोग बताते हैं कि भूखंड आवंटन के लिए न्यास के खास लोग काम करते हैं। इनलोगों को खुश करने पर उन्हें आसानी से दुकान की जगह मिल जाती है। इस खुशनामा की रकम कभी-कभी तो लाखों में पहुंच जाती है, बशर्ते जगह उम्दा होनी चाहिए। मंदिर की खास जगह वही है, जहां श्रद्धालु आसानी से पहुंचें। जैसी जगह वैसी रकम।


हमारे योगदान से पूर्व न्यास की बैठक में कुछ पुराने दुकानदारों को जगह आवंटन का निर्णय लिया गया था। नए दुकानों को जगह देने की अनुमति नहीं दी गई है। अगर नए दुकान बसाए गए है तो न्यास कार्रवाई करते हुए उसे अविलंब खाली कराएगी। जमीन के लिए विवाद होने की सूचना मिली है। स्थानीय सीओ व बीडीओ को कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।

मुकेश कुमार, डीडीसी सह सचिव, मंदिर न्यास समिति, सिंहेश्वर

-न्यास की हाल-फिलहाल किसी बैठक में खाली जमीन पर दुकान बसाने का निर्णय नहीं लिया गया है। केवल पुराने दुकानदारों को विधिवत प्रक्रिया अपनाते हुए पक्का दुकान बना कर देने पर विचार किया गया था। अगर इसके विपरित न्यास हित के विरूद्ध भूखंड आवंटन किया गया है तो इस पर अध्यक्ष व सचिव से मिल कर दुकान खाली कराने के साथ-साथ दोषी पर प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रस्ताव रखा जाएगा।

प्रो सत्यजीत यादव, सदस्य, सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति, सिंहेश्वर    

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