जिले में कार्यरत फर्जी नियोजित शिक्षकों की जांच में फिर से तेजी आने की संभावना है। शिक्षा विभाग की मानें तो ऐसे शिक्षकों के अलावा टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के नियोजन
की भी जांच की जाएगी। डीपीओ स्थापना इस बाबत आज जिला के सभी बीईओ व बीआरपी के साथ आवश्यक बैठक करने वाले हैं। डीपीओ कार्यालय ने इस बाबत सभी बीईओ को आवश्यक निर्देश जारी किया है। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार द्वितीय व तृतीय फेजके शिक्षक नियोजन की जांच अब स्थापना कार्यालय करेगी। इसके
तहत 2006 के बाद नियोजित शिक्षकों की जांच की जाएगी। वहीं, प्रथम व द्वितीय फेज की जांच निगरानी विभाग ही करेगी। मालूम हो कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ढाई वर्ष से निगरानी विभाग से नियोजित शिक्षकों की जांच
करवा रही है। बुधवार की बैठक में नवादा में फर्जी आधार पर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के प्रमाण पत्र व नियोजन पर भी चर्चा होने की संभावना है।
मालूम हो कि नवादामें शिक्षक पात्रता परीक्षा में 106 शिक्षकों की उत्तीर्णता के बावजूद
विभिन्न नियोजन इकाई ने 253 शिक्षकों को नियोजित कर दिया। ऐसे में मधेपुरा में भी ऐसे टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच की जाएगी। ढाई वर्ष में भी नहीं पूरा
हो सका प्रारंभिक शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच:हाई कोर्ट
के आदेश के ढाई वर्ष बाद भी निगरानी की जांच पूरी नहीं हो सकी है। निगरानी द्वारा पहले जिला के सात हजार से अधिक शिक्षकों की जांच की जानी थी। विभाग की मानें तो हाई स्कूल शिक्षकों के कागजात की जांच हो चुकी है। लेकिन ऐसे कितने शिक्षक इस मामले में दागी हैं इस बात का निगरानी अभी तक खुलाशा नहीं कर पाई है। पूरे मामले में निगरानी
का भी कहना है कि पहले से ही कार्य का काफी लोड है।
नियोजन इकाई भी जांच के घेरे में गलत प्रमाणपत्र पर शिक्षकों के नियोजन में नियोजन इकाई भी आशंका के
घेरे में है। स्थिति यह हैकि अभी भी जिले के एक दर्जन से अधिक पंचायत सचिवों ने पंचायत शिक्षकों के नियोजन का फोल्डर जमा नहीं किया है। ऐसा माना जा रहा हैकि फर्जी शिक्षक नियोजन में सबसे ज्यादा पंचायत नियोजन इकाई व जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। सूत्रों की मानें तो निगरानी विभाग अगर पूरे मामले को स्पीडी ट्रायल की तरह जांच करे तो जिला के कई नियोजन इकाई व जनप्रतिनिधि भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।
अबतक दो दर्जन फर्जी शिक्षकों की हो चुकी है सेवा समाप्त
ढाई साल से चल रही फर्जी शिक्षकों की जांच में अबतक दो दर्जन फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त की जा चुकी है। जानकारों की मानें तो निगरानी विभाग के सुस्ती के कारण फर्जी शिक्षक पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। सरकार द्वारा डीपीओ स्थापना को जांच का जिम्मा सौंपे जाने से इसमें तेजी आने की संभावना है।
की भी जांच की जाएगी। डीपीओ स्थापना इस बाबत आज जिला के सभी बीईओ व बीआरपी के साथ आवश्यक बैठक करने वाले हैं। डीपीओ कार्यालय ने इस बाबत सभी बीईओ को आवश्यक निर्देश जारी किया है। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार द्वितीय व तृतीय फेजके शिक्षक नियोजन की जांच अब स्थापना कार्यालय करेगी। इसके
तहत 2006 के बाद नियोजित शिक्षकों की जांच की जाएगी। वहीं, प्रथम व द्वितीय फेज की जांच निगरानी विभाग ही करेगी। मालूम हो कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ढाई वर्ष से निगरानी विभाग से नियोजित शिक्षकों की जांच
करवा रही है। बुधवार की बैठक में नवादा में फर्जी आधार पर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के प्रमाण पत्र व नियोजन पर भी चर्चा होने की संभावना है।
मालूम हो कि नवादामें शिक्षक पात्रता परीक्षा में 106 शिक्षकों की उत्तीर्णता के बावजूद
विभिन्न नियोजन इकाई ने 253 शिक्षकों को नियोजित कर दिया। ऐसे में मधेपुरा में भी ऐसे टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच की जाएगी। ढाई वर्ष में भी नहीं पूरा
हो सका प्रारंभिक शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच:हाई कोर्ट
के आदेश के ढाई वर्ष बाद भी निगरानी की जांच पूरी नहीं हो सकी है। निगरानी द्वारा पहले जिला के सात हजार से अधिक शिक्षकों की जांच की जानी थी। विभाग की मानें तो हाई स्कूल शिक्षकों के कागजात की जांच हो चुकी है। लेकिन ऐसे कितने शिक्षक इस मामले में दागी हैं इस बात का निगरानी अभी तक खुलाशा नहीं कर पाई है। पूरे मामले में निगरानी
का भी कहना है कि पहले से ही कार्य का काफी लोड है।
नियोजन इकाई भी जांच के घेरे में गलत प्रमाणपत्र पर शिक्षकों के नियोजन में नियोजन इकाई भी आशंका के
घेरे में है। स्थिति यह हैकि अभी भी जिले के एक दर्जन से अधिक पंचायत सचिवों ने पंचायत शिक्षकों के नियोजन का फोल्डर जमा नहीं किया है। ऐसा माना जा रहा हैकि फर्जी शिक्षक नियोजन में सबसे ज्यादा पंचायत नियोजन इकाई व जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। सूत्रों की मानें तो निगरानी विभाग अगर पूरे मामले को स्पीडी ट्रायल की तरह जांच करे तो जिला के कई नियोजन इकाई व जनप्रतिनिधि भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।
अबतक दो दर्जन फर्जी शिक्षकों की हो चुकी है सेवा समाप्त
ढाई साल से चल रही फर्जी शिक्षकों की जांच में अबतक दो दर्जन फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त की जा चुकी है। जानकारों की मानें तो निगरानी विभाग के सुस्ती के कारण फर्जी शिक्षक पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। सरकार द्वारा डीपीओ स्थापना को जांच का जिम्मा सौंपे जाने से इसमें तेजी आने की संभावना है।