संपादक- आर. कुमार
बीएन मंडल विश्वविद्यालय में आवेदन के साथ शपथ पत्र देने के निर्णय में संसोधन किया गया है। अब छात्रों को आवेदन के साथ शपथ पत्र नहीं देना होगा। विवि एवं कॉलेज में शैक्षणिक व प्रशासनिक खामियां को देख कर छात्र शिकायत कर सकते है। परंतु किसी शिक्षक, पदाधिकारी व कर्मी पर व्यक्तिगत आरोप लगाने से पहले शिकायत के साथ शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा। वहीं दूसरी तरफ विवि के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन करने वाले छात्रों को जिले के पुलिस कप्तान ने कड़ी चेतावनी दी है। एसपी ने कहा अब विश्वविद्यालय में तालाबंदी कर सरकारी काम-काज ठप करने वाले छात्रों को गिरफ्तार कर सीधा जेल भेजा जाएगा। ज्ञात हो कि 05 अप्रैल को पटना हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों के कुलपति की समस्या पर संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया था कि विवि में विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने पर जिले के डीएम व एसपी जिम्मेवार होंगे। कोर्ट से जिम्मेवारी तय होने के बाद प्रशासन ने विवि पर सख्त पहरा लगा दिया है। साथ ही छात्रों को अल्टीमेटम दिया कि वे लोकतांत्रित अधिकार के तहत आंदोलन करें और धरना अनशन पर बैठे। तालबंदी करने वाले छात्रों की पहले गिरफ्तारी कर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी।
कोर्ट ने प्रधान सचिव को दिया है कड़ा निर्देश
विश्वविद्यालय में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोर्ट ने सरकार के प्रधान सचिव को कड़ा निर्देश दिया था। आदेश में न्यायालय ने प्रधान सचिव को कहा कि वे विवि मुख्यालय के डीएम व एसपी को विवि में विधि-व्यवस्था बनाए रखने का निदेश जारी करें। इन समस्याओं के समाधान को लेकर उच्च न्यायालय ने 24 अप्रैल को जिले के डीएम व एसपी को तलब किया गया है।
4 दिनों तक छात्र संगठनों ने किया था प्रदर्शन
इससे पहले बता दे कि 11 अप्रैल को विवि ने बैठक कर शिकायत के साथ शपथ पत्र को अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद 11 अप्रैल से लगातार चार दिनों तक विभिन्न छात्र संगठनों ने इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन कर विवि के काम-काज को ठप कर दिया था। दो दिनों तक विवि में पूर्णत: तालाबंदी कर छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन में जनअधिकार छात्र परिषद, एनएसयूआई, अभाविप सहित अन्य संगठन शामिल थे।
राजभवन के निर्देश के आलोक में विवि ने किया नियम लागू
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय ने राज्यपाल सचिवालय के निर्देश के आलोक में निर्णय लिया था कि विभिन्न छात्र संगठनों, शिक्षकों एवं अन्य लोगों के द्वारा कई प्रकार की शिकायतें दर्ज की जाती हैं। इन शिकायतों की जांच आदि में विश्वविद्यालय का काफी समय एवं संसाधन नष्ट होता है। विश्वविद्यालय आगे उन्हीं शिकायतों पर विचार करेगी, जिसमें न्यायायिक शपथ पत्र लगा होगा। इसके बाद विश्वविद्यालय ने यह नियम लागू किया गया।
विवि व कॉलेज में शैक्षणिक व प्रशासनि जैसे पढ़ाई नहीं होना, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, लैब की व्यवस्था ठीक नहीं रहना, खेल के साथ सांस्कृतिक गतिविधियां ठप होना, छात्रों के साथ प्राचार्य व शिक्षकों के द्वारा गलत व्यवहार किया जाना सहित अन्य मामलों में शिकायत के साथ शपथ पत्र देना अनिवार्य नहीं होगा। किसी पर फर्जी नौकरी एवं गबन जैसे गंभीर व्यक्तिगत आरोप लगाने पर शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।
प्रो डॉ अवध किशोर राय, कुलपति, बीएनएमयू
सरकारी काम-काज में बाधा उत्पन्न करने पर प्रशासन करेगी कार्रवाई
आए दिन देखा गया है कि विश्वविद्यालय में तालाबंदी कर सरकारी काम-काज को ठप कर दिया जाता है। ऐसी घटनाओं पर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। छात्र आंदोलन करें धरना पर बैठे अनशन करें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन तालाबंदी कर सरकारी काम-काज में बाधा उत्पन्न करने पर प्रशासन कार्रवाई करेगी। यह गैरकानूनी व नियम विरूद्ध है। विधि-व्यवस्था कायम रखने में अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस जेल भेजेगी।
कुमार आशीष, एसपी, मधेपुरा
बीएन मंडल विश्वविद्यालय में आवेदन के साथ शपथ पत्र देने के निर्णय में संसोधन किया गया है। अब छात्रों को आवेदन के साथ शपथ पत्र नहीं देना होगा। विवि एवं कॉलेज में शैक्षणिक व प्रशासनिक खामियां को देख कर छात्र शिकायत कर सकते है। परंतु किसी शिक्षक, पदाधिकारी व कर्मी पर व्यक्तिगत आरोप लगाने से पहले शिकायत के साथ शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा। वहीं दूसरी तरफ विवि के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन करने वाले छात्रों को जिले के पुलिस कप्तान ने कड़ी चेतावनी दी है। एसपी ने कहा अब विश्वविद्यालय में तालाबंदी कर सरकारी काम-काज ठप करने वाले छात्रों को गिरफ्तार कर सीधा जेल भेजा जाएगा। ज्ञात हो कि 05 अप्रैल को पटना हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों के कुलपति की समस्या पर संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया था कि विवि में विधि-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने पर जिले के डीएम व एसपी जिम्मेवार होंगे। कोर्ट से जिम्मेवारी तय होने के बाद प्रशासन ने विवि पर सख्त पहरा लगा दिया है। साथ ही छात्रों को अल्टीमेटम दिया कि वे लोकतांत्रित अधिकार के तहत आंदोलन करें और धरना अनशन पर बैठे। तालबंदी करने वाले छात्रों की पहले गिरफ्तारी कर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी।
कोर्ट ने प्रधान सचिव को दिया है कड़ा निर्देश
विश्वविद्यालय में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोर्ट ने सरकार के प्रधान सचिव को कड़ा निर्देश दिया था। आदेश में न्यायालय ने प्रधान सचिव को कहा कि वे विवि मुख्यालय के डीएम व एसपी को विवि में विधि-व्यवस्था बनाए रखने का निदेश जारी करें। इन समस्याओं के समाधान को लेकर उच्च न्यायालय ने 24 अप्रैल को जिले के डीएम व एसपी को तलब किया गया है।
4 दिनों तक छात्र संगठनों ने किया था प्रदर्शन
इससे पहले बता दे कि 11 अप्रैल को विवि ने बैठक कर शिकायत के साथ शपथ पत्र को अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद 11 अप्रैल से लगातार चार दिनों तक विभिन्न छात्र संगठनों ने इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन कर विवि के काम-काज को ठप कर दिया था। दो दिनों तक विवि में पूर्णत: तालाबंदी कर छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन में जनअधिकार छात्र परिषद, एनएसयूआई, अभाविप सहित अन्य संगठन शामिल थे।
राजभवन के निर्देश के आलोक में विवि ने किया नियम लागू
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय ने राज्यपाल सचिवालय के निर्देश के आलोक में निर्णय लिया था कि विभिन्न छात्र संगठनों, शिक्षकों एवं अन्य लोगों के द्वारा कई प्रकार की शिकायतें दर्ज की जाती हैं। इन शिकायतों की जांच आदि में विश्वविद्यालय का काफी समय एवं संसाधन नष्ट होता है। विश्वविद्यालय आगे उन्हीं शिकायतों पर विचार करेगी, जिसमें न्यायायिक शपथ पत्र लगा होगा। इसके बाद विश्वविद्यालय ने यह नियम लागू किया गया।
विवि व कॉलेज में शैक्षणिक व प्रशासनि जैसे पढ़ाई नहीं होना, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, लैब की व्यवस्था ठीक नहीं रहना, खेल के साथ सांस्कृतिक गतिविधियां ठप होना, छात्रों के साथ प्राचार्य व शिक्षकों के द्वारा गलत व्यवहार किया जाना सहित अन्य मामलों में शिकायत के साथ शपथ पत्र देना अनिवार्य नहीं होगा। किसी पर फर्जी नौकरी एवं गबन जैसे गंभीर व्यक्तिगत आरोप लगाने पर शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।
प्रो डॉ अवध किशोर राय, कुलपति, बीएनएमयू
सरकारी काम-काज में बाधा उत्पन्न करने पर प्रशासन करेगी कार्रवाई
आए दिन देखा गया है कि विश्वविद्यालय में तालाबंदी कर सरकारी काम-काज को ठप कर दिया जाता है। ऐसी घटनाओं पर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। छात्र आंदोलन करें धरना पर बैठे अनशन करें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन तालाबंदी कर सरकारी काम-काज में बाधा उत्पन्न करने पर प्रशासन कार्रवाई करेगी। यह गैरकानूनी व नियम विरूद्ध है। विधि-व्यवस्था कायम रखने में अगर जरूरत पड़ी तो ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस जेल भेजेगी।
कुमार आशीष, एसपी, मधेपुरा