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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

फिर से एक बार हो ,बिहार में बहार हो.. फिर से एक बार हो, नितीशे कुमार हो..बिहार की वर्तमान स्थिति पर चोट करता गुंजन गोस्वामी का आलेख

27 अप्रैल 2018
   2015 में मधेपुरा के Raj Shekhar  ने नीतीश कुमार के चुनावी कैंपेन के लिए जब यह गाना लिखा होगा। तो कभी नहीं सोचा होगा कि आने वाले 4 या 5 सालों में हालात ऐसे हो जाएंगे। स्थिति क्या है बिहार की इस पर बहुत ज्यादा बताने की आवश्यकता नहीं है। बहुतों को इसके बारे में जानकारी होगी। पर जमीनी हकीकत से सिर्फ वही लोग रूबरू हैं जो इसकी मार झेल रहे हैं।

                 अभी ताजा तरीन उदाहरण के रूप में अगर बात की जाए ,तो नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने माननीय सुशासन बाबू की पीठ थपथपाई है , और यह बताया है कि भारत के विकास में कुछ चंद राज्य बाधा पैदा कर रहे हैं उन राज्यों में फिर से वही नाम है जो हमेशा से होते हैं । "बीमारू राज्य" , बिहार ,मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और एक नया नाम जुड़ा है, वह है छत्तीसगढ़ ।



       
               क्योंकि मैं बिहार का बाशिंदा हूं, इसलिए मुख्य रूप से मैं बिहार की बात करूंगा। 2005 में जंगलराज के खत्म होने के साथ ही बिहार ने सत्ता परिवर्तन के रूप में एक नया संकल्प लिया था और नीतीश कुमार ने NDA के साथ मिलकर लोगों को यह वादा किया था कि बिहार जंगलराज के अंधेरे से बाहर निकल के एक नए सवेरे की तरफ अग्रसर होगा। पर आज जब मैं उस वादे को याद करता हूं तो वो समुद्र के किनारे रेत के टीले जैसा लगता है । जिन मुद्दों पर नीतीश कुमार बिहार में एक पोस्टर बॉय की तरह याद किए जाने लगे, उन मुद्दों में सबसे प्रमुख मुद्दा है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का मुद्दा । वह मुद्दा जिस पर व्यापक रूप से हस्ताक्षर अभियान तक चलाए गए, बड़ी-बड़ी जनसभाएं हुई । पर पता नहीं क्यों वर्तमान समय में वह मात्र राजनीति का एक रुप लगता है। क्योंकि केंद्र में कांग्रेस शासित यूपीए की सरकार थी तो एनडीए तथा उसके घटक दल जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने बढ़-चढ़कर बिहार को विशेष राज्य दर्जे की मांग की थी। और अगर गौर करें तो पिछले 4 सालों से केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद नीतीश कुमार ने इस प्रकार के किसी भी कैंपेन में हिस्सा नहीं लिया।

                 ऊपर लिखे राज्यों में कई सालों से बीजेपी की सरकारें हैं या फिर कुछ राज्यों में सत्ता का परिवर्तन होता रहता है । परंतु अगर एक सामान्य नागरिक के दृष्टिकोण से देखें तो आप पाएंगे कि सदैव आप ही ठगे जाते हैं । आप को बीजेपी और कांग्रेस के मुद्दों पर भटकाया जाता है और वास्तविक मुद्दों को गौण कर दिया जाता है । शायद आपने कभी गौर भी नहीं किया होगा कि बिहार में हर साल बाढ़ आती है और अगर यह मान लिया जाए कि जंगलराज में कुछ भी नहीं हुआ तो फिर आखिर इन 12 सालों में नीतीश कुमार ने क्या किया बाढ़ को लेकर।  बाढ़ अभी भी हर वर्ष आती है। लाखो-लाख वर्ग हे० की जमीनों को बंजर करती है , लाखों लोग बाढ़ में विस्थापित होते हैं और हर साल एक नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत करते हैं ,इस इंतजार में कि अगले साल फिर बाढ़ आएगी और उन्हें फिर से विस्थापित होना होगा।

        अगर हम शिक्षा की बात करें तो शिक्षा और शिक्षक दोनों ही बिहार में बदहाली की स्थिति में जी रहे हैं। शिक्षक जहां शिक्षा को छोड़कर दुनिया जहां के हर कार्य करने में तुले हुए हैं । फिर चाहे वह शौचालय योजना की समीक्षा हो या मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना की समीक्षा या फिर विद्यालयों में चलने वाले मध्यान भोजन की देखरेख उन्हें समय-समय पर चुनाव कार्यों में भी लगाया जाता है, और आए दिन वह अपने मुद्दों को लेकर लगातार प्रदर्शन करता भी दिखता रहता है। परंतु इन सबके बीच शिक्षा कहां है? आने वाला भविष्य कहां है?

           चूंकि बिहार जैसे छोटे छोटे राज्य ही मिलकर भारत का निर्माण करते हैं । और अगर आप की नींव बिहार जैसी है तो फिर आपका घर भी उत्तर प्रदेश से बेहतर नहीं बन सकता ।

                  अगर राष्ट्रीय स्तर पर बात की जाए तो मानव विकास सूचकांक जारी करने वाली एक संस्था के अनुसार, भारत 188 देशों की सूची में 131 वें पायदान पर आता है । इस आंकड़े को देखने के बाद भी अगर आपके मन में इस बात की एक झूठी उम्मीद है कि आप एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहे हैं। तो निश्चित ही आप दिवास्वप्न देख रहे हैं , जिसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है। भारत अपने प्राथमिक मुद्दों को छोड़कर उन मुद्दों पर चल पड़ा है जिससे उसे वोट तो मिल सकता है नोट तो मिल सकता है पर भविष्य नहीं मिल सकता ।

            आप नारी सुरक्षा में पिछड़ चुके हैं , आप शिक्षा, उच्च शिक्षा में पिछड़ चुके हैं । आप शिशु मृत्यु दर में पिछड़ चुके हैं ,आप युवाओं को रोजगार देने में पिछड़ चुके हैं। उसके बाद भी आप दम्भ भरते हैं कि हम एक नए भारत का निर्माण करेंगे तो यह बात पचती नहीं है।

                    बहरहाल नीतीश कुमार ने अब तक अपनी छवि , एक कुशल सुशासक के रूप में बनाई हुई है । परंतु इस छवि का क्या उपयोग जब लोगों को लगातार मूलभूत सुविधाएं प्राप्त नहीं हो रही है । शौचालयों की स्थिति पर मैंने इससे पहले भी बात की थी कि बिहार सरकार जो ₹12000 शौचालय मद में देती है, उसमें ₹6000 मुखिया और वार्ड सदस्य अपने हिस्से में ले लेते हैं (सभी नही पर ज्यादातर पंचायतों में यही स्थिति है)।  अंततः एक नागरिक के पास ₹6000 ही मिलते हैं जिसमें उसे शौचालय का निर्माण कराना होता है। क्योंकि यह राशि कम पड़ जाती है इसलिए वो शौचालय नहीं बनवा पाता, और खुले में शौच करना ही उसकी मजबूरी हो जाती है।

                    आपको यह देखना होगा कि आप की जनसंख्या आपके लिए एक संभावना है या फिर एक चुनौती । आने वाले समय में कहीं ऐसा ना हो जाए कि आप की जनसंख्या आप पर बोझ बन जाए और जनसंख्या विस्फोट में आप दब जाएं । लोग भले ही नीतीश कुमार को एक कुशल प्रशासक कहें परंतु मेरी नजर में उनका सुशासन केवल ऊपरी और दिखावे का है। आपके राज्य में एक सांसद का बेटा शराब पीते हुए पकड़ा जाता है और शराबबंदी को ठेंगा दिखाते हुए समाज में आज़ाद घूमता है ।आप के राज में एक केंद्रीय मंत्री का बेटा दंगों का मुख्य आरोपी होता है और आपकी पुलिस उसे पकड़ने में नाकामयाब रहती है।

                साथ ही जनसेवा एक्सप्रेस की भीड़ यह बताने के लिए काफी है कि आपने पलायन को भी एक प्रमुख समस्या नहीं समझा। और यहां के मजदूर या निम्न वर्ग के लोग अभी भी अपनी कमाई के साधन के लिए दिल्ली पंजाब जाना ही कुबूल करते हैं । क्या यह आप की विफलता नहीं कि आपके राज्य के लोग किसी दूसरे राज्य में जाकर अपने जीविकोपार्जन हेतु अपने परिवार से दूर होते हैं । उसके बाद भी आप दम्भ भरते हैं , क्या आपने एक नए बिहार का निर्माण किया है ? कहां है वह नया बिहार ?

                      मुझे दिखाइए, मुझे कोई भी एक विभाग बताइए जहां आपने सौ प्रतिशत कार्य किए हो, आप कहेंगे कि मुझे सिर्फ नकारात्मकता दिखती है। नहीं मुझे वह छोटू जैसा लड़का भी दिखता है जो किसी चाय दुकान पर दिन के ₹200 के लिए ग्लास धोता है, मुझे वह बच्चा भी दिखता है जो पीठ पर प्लास्टिक की बोरियां लादे उसमें कूड़ा बीनता है , प्लास्टिक की बोतलें बीनता है। ताकि कचरे वाले को देकर उसे ₹50-100 मिल सके। मुझे कुछ वैसे बच्चे भी देखते हैं जो पॉलिथीन में सन फिक्स सूंघकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं । आप मुखिया हैं, यह आपकी जिम्मेदारी है। या फिर जो भी आपके नौकरशाह हैं उनकी जिम्मेदारी है। आप इन्हें पूरा कीजिए वरना बिहार के इस वक्त को भी दूसरे जंगलराज के रूप में याद करने में समय नहीं लगेगा।



गुंजन गोस्वामी,
युवा लेखक, सिंघेश्वर, मधेपुरा

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