रोहतास । बिहार के रोहतास जिले में फर्जी टेट के सर्टिफिकेट पर बहाल शिक्षकों की लंबी फेहरिस्त है। इसकी पहचान करना विभागीय अधिकारियों के वश की बात नहीं है। कारण कि 2011 के टेट सर्टिफिकेट पर 2015 तक बहाल शिक्षकों का प्रमाण पत्र आग के हवाले हो चुका है।
इस दौरान यहां भी एक-एक टेट प्रमाण पत्र के आधार पर 10 से 12 अभ्यर्थी शिक्षक के रूप में नियोजित हुए हैं। यहां तक नियोजन से संबंधित प्रभार नहीं सौंपने वाले विभागीय लिपिक पर निगरानी में केस भी चल रहा है। गत दिनों निगरानी इंस्पेक्टर किरण कुमारी के नेतृत्व में आई पांच सदस्यीय टीम ने संबंधित दोनों लिपिक के मामले की जांच की। हालांकि उत्तीर्ण से अधिक नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को नए सिरे से जांच का फरमान से फर्जी शिक्षकों में एक बार फिर बेचैनी छा गई है।
वर्ष 2011 में हुई टेट परीक्षा में जिले से 4500 अभ्यर्थी पास हुए थे। लेकिन 2012 से 2016 तक चली नियोजन प्रक्रिया में टेट पास होने वाले पांच हजार शिक्षकों की बहाली हो चुकी है। यह अपने आप में सवाल खड़ा करता है। पिछले वर्ष जांच में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे शिवसागर प्रखंड के आधा दर्जन पंचायत शिक्षकों को सेवामुक्त किया गया था, जबकि अन्य पर विभागीय आदेश के बाद भी नियोजन इकाई ने कार्रवाई नहीं की।
टेट सर्टिफिकेटों की जांच के लिए आनलाइन व्यवस्था भी की गई है, ताकि अधिकारी को प्रमाणपत्र जांच करने में किसी प्रकार की परेशानी न हो सके। लेकिन मजे की बात यह है कि अब तक विभाग के पास साढ़े तीन हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर ही प्राप्त नहीं हो सके हैं। फोल्डर प्राप्त नहीं होने के एवज में डीएम के निर्देश पर जिले के पौने दो सौ नियोजन इकाई के सचिवों पर विभिन्न थानों में प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा चुकी है। लेकिन पुलिस कार्रवाई करने से मुंह मोड़ रही है।
कार्रवाई को ले गतिरोध बरकरार
गलत सर्टिफिकेट व फर्जी तरीके से नियोजित शिक्षकों पर कार्रवाई को ले विभाग व इकाई के बीच आमतौर पर समन्वय का अभाव दिखता है। विभागीय अधिकारी ऐसे दर्जनों शिक्षकों को सेवामुक्त करने के लिए कई बार इकाई को पत्राचार करते थक गए, लेकिन अब तक नियोजन इकाई उस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं ले सकी है। जिसमें डेहरी, नासरीगंज, काराकाट, राजपुर समेत अन्य प्रखंड प्रमुख रूप से शामिल हैं। हालांकि कोर्ट के आदेश पर दो वर्ष पूर्व शुरू हुई निगरानी जांच व उच्च न्यायालय के निर्देश पर जिले में पौने दो सौ से अधिक फर्जी शिक्षकों ने स्वेच्छा से नौकरी छोड़ी थी। परंतु अभी भी ऐसे शिक्षकों की संख्या जिले में काफी है, जो फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करते हैं।
कहीं कमाई का जरिया न बन जाए फरमान
फर्जी टेट सर्टिफिकेट पर नियोजित शिक्षकों के कागजातों की जांच का फरमान कहीं कर्मियों व अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया न बन जाए। इसका भी भय लोगों को सताने लगा है। ऐसा माना जा रहा है कि डीएम व डीईओ स्तर से होने वाली इस जांच में कर्मियों की चांदी कट सकती है। वे इस मौके का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। हालांकि सर्टिफिकेट जांच में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतने का निर्देश विभागीय अधिकारी को दिया गया है।
कहते हैं अधिकारी
प्रमाणपत्र जांच से संबंधित शिक्षा विभाग के सचिव का पत्र का अब तक अवलोकन नहीं किया जा सका है। सचिव के पत्र के आलोक में जो भी आवश्यक कदम उठाना होगा, उसे उठाया जाएगा। जांच प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाएगी। जांच के दरम्यान जिन शिक्षकों का टेट सर्टिफिकेट जाली मिलेगा, उन्हें तत्काल हटाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने समेत अन्य कार्रवाई की जाएगी।
ओमप्रकाश पाल, प्रभारी डीएम रोहतास